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What do famous books say about Mahatma Gandhi's celibacy?

महिलाओं संग सामूहिक स्नान और लड़कियों के साथ नंगे होकर सोना : महात्मा गांधी के ब्रह्मचर्य पर क्या कहती हैं चर्चित किताबें?

महात्मा गांधी का ब्रह्मचर्य के साथ प्रयोग उनके जीवन के सबसे विवादित पहलूओं में से एक माना जाता है। महात्मा गांधी का कहना था कि जो भी पुरुष किसी खूबसूरत महिला के साथ नग्न रहकर कामभावना से दूर रहे, वही असली ब्रह्मचारी है।

महिलाओं के साथ सामूहिक स्नान और युवतियों के साथ नग्न अवस्था में सोना महात्मा गांधी का ब्रह्मचर्य के साथ प्रयोग का अनूठा उदाहरण था। भारतीय मुक्ति संग्राम के दिनों में कुछ अखबारों के अलावा ब्रिटेन की लोकसभा में भी महात्मा गांधी का ब्रह्मचर्य प्रयोग चर्चा का विषय का बना था।

भारतीय इतिहास में ऐसे तमाम पत्र और किताबें मौजूद हैं जिनमें यह दावा किया गया है कि जवान लड़कियों के साथ नग्न अवस्था में सोने तथा महिलाओं संग स्नान करने में महात्मा गांधी तनिक भी गुरेज नहीं करते थे। इस रोचक स्टोरी में हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि आखिर में किन-किन चर्चित किताबों तथा पत्रों में महात्मा गांधी से जुड़े उपरोक्त तथ्यों का दावा किया गया है।

वैवाहिक जीवन में यौन सम्बन्धों के बारे में क्या लिखते हैं महात्मा गांधी

महात्मा गांधी अपनी आत्मकथा द स्टोरी ऑफ़ माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ में लिखते हैं कि, “वैवाहिक जीवन के शुरूआती 5 वर्षों में हम दोनों (पत्नी कस्तूरबा) महज छह महीने साथ रहे होंगे। इस दौरान मैं स्कूल में भी केवल कस्तूरबा के बारे में ही सोचता रहता था। यहां तक कि रात में उससे मुलाकात की बात हर वक्त मेरे दिमाग में चलती रहती ​थी।

वह आगे लिखते हैं कि मैं कस्तूरबा को देर रात तक जगाता था और उससे बातें करता था। इसी दौरान जब मेरे पिता बीमार पड़े तब उनकी देखभाल करते वक्त भी मेरे जेहन में केवल सम्भोग की बातें ही चलती रहती थीं। गांधी जी अपनी आत्मकथा में लिखते हैं कि जब उनके पिता की मृत्यु हो रही थी तब वो अपनी पत्नी के साथ संभोग में व्यस्त थे।

अपने शादीशुदा जीवन में यौन सम्बन्धों के प्रति बेहद आग्रही महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका प्रवास के दौरान साल 1906 में ब्रह्मचर्य का व्रत ले लिया, तब उनकी उम्र 38 साल थी। हैरान कर देने वाली बात यह है कि उन्होंने अपने ब्रह्मचर्य को परखने के लिए एक-दो नहीं अपितु कई महिलाओं तथा लड़कियों के साथ कुछ इस तरह से सम्पर्क में रहे, जो आज भी विवाद का विषय है।

चर्चित किताबें एवं पत्र : महात्मा गांधी से जुड़ी विवादित बातें

रमाशंकर शुक्ल की किताब महात्मा गांधी-ब्रह्मचर्य के प्रयोग के मुताबिक, “उन दिनों कुछ मराठी अखबारों ने ​छापा था कि गांधीजी कामी पुरूष हैं, उनका ब्रह्मचर्य उनकी वासना को छुपाने का साधन मात्र हैं। यह खबर ब्रिटेन की लोकसभा में चर्चा का विषय बन गई थी।

वेद मेहता की किताब 'महात्मा गांधी एंड हिज एपॉस्टल्स' के मुताबिक, 69 वर्षीय गांधीजी करीब 24 साल की खूबसूरत सुशीला नायर (निजी सचिव प्यारेलाल की बहन) के साथ नग्न स्नान किया करते थे। महात्मा गांधी की निजी चिकित्सक भी थीं सुशीला नायर, ऐसे में इन दोनों के नग्न स्नान को लेकर वर्धा के सेवाग्राम आश्रम में इतनी खलबली मच गई थी कि महात्मा गांधी को आगे आकर सफाई देनी पड़ी।

आश्रमवासियों का आरोप था कि सुशीला खुद भी स्नान करती हैं और जब गांधीजी को स्नान कराती हैं तब वे उनकी साड़ी ओढ़ लेते हैं। महात्मा गांधी को अपनी सफाई में कहना पड़ा कि वे दोनों पार्टिशन में नहाते हैं, दोनों की आंखें बन्द रहती हैं, वह केवल अन्दाजे जानते हैं कि सुशीला नहा रही हैं। यह बात साल 1938 की है।

गांधी के करीबी सहयोगी रहे पी. परशुराम जिन्होंने आश्रम छोड़ दिया, था, उन्होंने गांधी के ब्रह्मचर्य की कड़े शब्दों में निन्दा की। पी. परशुराम 1 जनवरी 1947 को लिखते हैं कि कितने दिन हैं जब सुशीला नायर रोई नहीं हैं, वह डाक्टर हैं फिर भी हमेशा बीमार रहती हैं।

महात्मा गांधी द्वारा सेवाग्राम आश्रम के प्रबन्धक मुन्नालाल शाह को लिखे एक पत्र के अनुसार, “आभा मेरे साथ तीन रातें सोई जबकि कंचन सिर्फ एक रात। वीनस का मेरे साथ सोना एक दुर्घटना ही है, वो मेरे करीब सोई थी। जानकारी के लिए बता दें कि गांधीजी के साथ एक रात सोने वाली महिला कंचन आश्रम के प्रबंधक मुन्नालाल की पत्नी थी।

मनुबेन के नाम से मशहूर मृदुला गांधी 17 वर्ष की उम्र में महात्मा गांधी की पसर्नल अस्टिटेन्ट बनीं और गांधीजी की हत्या तक लगातार उनके साथ बनी रहीं। उसी मनु बेन के बारे में महात्मा गांधी के सचिव प्यारे लाल अपनी किताब महात्मा गांधी : द लास्ट फेज में लिखते हैं कि महात्मा गांधी ने मनु बेन के साथ वह सब कुछ किया जो एक मां अपनी बेटी के लिए करती है। वह उसकी पढ़ाई, पोशाक, भोजन, आराम और नींद आदि बातों का ध्यान रखते थे। मनु को मार्गदर्शन के लिए गांधी उसे अपने बिस्तर पर ही सुलाते थे।

इतना ही नहीं, प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा की बायोग्राफ़्री 'फ़ादर ऑफ़ द नेशन' के अनुसार, “देश की आज़ादी की पूर्व संध्या पर बंगाल के नोआखली ज़िले में हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए तो गांधी ने एक विवादास्पद प्रयोग किया। उन्होंने अपनी सहयोगी मनु गांधी को अपने साथ बिस्तर में सोने के लिए कहा।

वहीं, महात्मा गांधी की बहू आभा गांधी जब 16 साल की थीं, तब उन्हें महात्मा गांधी के साथ सोने के लिए कहा गया था। यह बात स्वयं आभा गांधी ने 'महात्मा गांधी एंड हिज एपॉस्टल्स' के लेखक वेद मेहता से चर्चा के दौरान कही थी।

1920 के दशक में युवा लड़कियों के कन्धों का सहारा लेकर सुबह-शाम टहलना महात्मा गांधी के लिए सामान्य सी बात थीं। वेद मेहता अपनी किताब 'महात्मा गांधी एंड हिज एपॉस्टल्स' में लिखते हैं कि सुबह टहलने के लिए महात्मा गांधी आभा और मनु के कन्धों का सहारा लेते थे और सैर-सपाटे के बाद उनके शरीर की मालिश होती थी। 22 जनवरी 2022 को प्रकाशित बीबीसी के हिन्दी संस्करण के एक लेख के मुताबिक, प्रभावती रोज सुबह गांधी जी के साथ टहलने जाती थीं और उनके पैरों में घी की मालिश किया करती थीं। इस प्रकार  सुशीला नायर, मनु और आभा के अलावा आश्रम में कई ऐसी महिलाएं थीं जो महात्मा गांधी के मालिश से लेकर सामूहिक स्नान तथा उनके साथ नियमित रूप से सोने में उनकी मदद करती थीं।

दयाशंकर शुक्ल अपनी चर्चित किताब अधनंगा फकीर के दूसरे अध्याय एक छोटी सी प्रेम कहानी में लिखते हैं कि बापू आश्रम में जब किसी नई युवती को लाते तो कस्तूरबा खीज उठती थीं। दरअसल कस्तूरबा सभी लड़कियों को सन्देह की नजर से देखती थीं। उम्र के इस पड़ाव में भी वह अपने पति पर विश्वास नहीं कर पाई थीं, यह भी बापू की ही देन थी। किताब में लिखा गया है कि पत्नी-पत्नी में खूब झगड़े होते थे। कहते हैं, दोनों एक दूसरे को फूटी आंखों नहीं सुहाते थे।

एक ऐसा भी दौर आया जब कस्तूरबा की जगह सरला देवी चौधरानी ने ली। अपने करीबी जर्मन मित्र हरमन कालेनबाख को लिखे एक पत्र में महात्मा गांधी ने सरला देवी चौधरानी को अपनी आध्यात्मिक पत्नी कहा है। महात्मा गांधी 27 अप्रैल 1920 ई. को सरला देवी चौधरानी को एक पत्र लिखते हैं- “अब यह बिछड़ना और अधिक कठिन लगने लगा है, जिस जगह तुम बैठी थी, उसी ओर देखता हूं और खाली देखकर अत्यंत उदास हो जाता हूं।गाँधीजी के पौत्र राजमोहन गाँधी द्वारा लिखित पुस्तक मोहनदास के अनुसार, “यह दौर गाँधीजी की पत्नी कस्तूरबा के लिए अत्यंत यंत्रणा भरा था।

महात्मा गांधी के करीबियों में से एक  सी. राजगोपालाचारी ने सरला देवी और कस्तूरबा गांधी की तुलना केरोसिन लैम्प और सुबह के सूरज से करते हुए एक पत्र में लिखा कि आपने एक भयानक भ्रम को जन्म दिया है। वह आगे लिखते हैं​ कि इस आध्यात्मिक प्रेम में अभी तक शरीर है, मसीह नही है।

कहते हैं, महात्मा गांधी के बेटे देवदास, पत्नी कस्तूरबा, सचिव महादेव भाई तथा सी. राजगोपालाचारी जैसे कई निकट सहयोगियों के सामूहिक प्रयास के बाद सरला देवी चौधरी से उनका सम्बन्ध विच्छेद हो सका था। गाँधीजी के ब्रह्मचर्य प्रयोगों के सिलसिले में सिर्फ सरलादेवी चौधरानी ही नहीं अपितु अमतुस सलाम, मनु, आभा, सुशीला नायर, प्रभावती, सरोजिनी नायडू तथा सुचेता कृपलानी जैसे कई नाम आते हैं।

उपरोक्त चर्चित किताबों तथा पत्रों के अलावा कुछ ऐसे नामचीन लेखक भी हैं जिन्होंने अपनी प्रख्यात कृतियों में गांधीजी की कामभावना के प्रति दिलचस्पी के बारे में लिखा है- इनमें एरिक एरिकसन (गाँधीज ट्रुथ, 1969), ​निर्मल कुमार बोस (माइ डेज विद गाँधी, 1953), लैपियर और कॉलिन्स (फ्रीडम एट मिडनाइट, 1975), वेद मेहता (महात्मा गाँधी एंड हिज एपोस्टल्स, 1976),  सुधीर कक्कड़  (मीरा एंड द महात्मा, 2004), जैड एडम्स (गाँधी : नेकेड एम्बीशन, 2010)  आदि का नाम शामिल है।

महात्मा गांधी का ब्रह्मचर्य

महात्मा गांधी के ब्रह्मचर्य पर देश-दुनिया के तमाम विद्वानों तथा लेखक-पत्रकारों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए हैं। यदि हम गांधी के ब्रह्मचर्य की बात उन्हीं के शब्दों में करें तो जो पुरुष किसी खूबसूरत महिला के साथ नग्न रहकर भी कामभावना से दूर रहे, वही असली ब्रह्मचारी है।

ब्रह्मचर्य व्रत लेने के ठीक एक साल बाद यानि 1907 ई. में समाचार पत्र इंडियन ओपिनियनमें अपने पाठकों को ​गांधी लिखते हैं कि यह हर विचारशील भारतीय का कर्तव्य है कि वह विवाह न करे। यदि विवाह के संबंध में वह असहाय है, तो वो अपनी पत्नी के साथ संभोग न करे। पति-पत्नी को केवल बच्चे पैदा करने के उद्देश्य से ही यौन सम्बन्ध बनाने चाहिए।

महात्मा गांधी ने अपने आश्रम में ब्रह्मचर्य के कुछ नियम निर्धारित कर रखे थे, जिसके अनुसार पति-पत्नी को अकेले में नहीं रहना चाहिए। यदि उन्हें कामुकता महसूस हो तब ठण्डे पानी से स्नान करना चाहिए। आश्रम में शादीशुदा जोड़ों को एकसाथ सोना मना था। आश्रम की लड़कियां और लड़के पवित्रता के साथ एक साथ नहा और सो सकते थे, परन्तु किसी भी यौन बातचीत के लिए दंडित किया जाता था। हांलाकि यह नियम खुद गांधीजी पर लागू नहीं होते थे।

लेखक शंकर शरण अपनी​ किताब गांधी के ब्रह्मचर्य प्रयोग में लिखते हैं कि ‘‘गाँधी काम-भावना की दुर्दम्य शक्ति से जीवनपर्यंत आक्रान्त रहे। उन्होंने ब्रह्मचर्य व्रत साल 1906 में ही ले लिया था परन्तु स्त्री-पुरुष सम्बन्ध के आकर्षण से वे कभी मुक्त नहीं हो सके।  

किताबों में यह दावा किया गया है कि महात्मा गांधी ब्रह्मचर्य प्रयोग के नाम पर नाबालिग और किशोर लड़कियों के साथ नग्न अवस्था में सोते थे। इस सम्बन्ध में गांधीजी ने यह तर्क दिया कि आश्रम उनकी सभी महिला सहयोगी उनकी दत्तक पुत्रियां हैं। परन्तु सवाल यह उठता है कि आखिर में दुनिया में ऐसा कौन सा बाप होगा जो अपनी बेटियों के साथ नंगा सोता होगा।

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