भोजन इतिहास

These three Mughal emperors were vegetarian and did not like nonveg

मांस नहीं साग-सब्जी के शौकीन थे यह तीन मुगल बादशाह

यह बात सभी जानते हैं कि मुगल राजवंश की शाही रसोई में तरह-तरह के मांसाहारी पकवान ही ज्यादा बनते थे। अत: दुनियाभर के होटलों एवं रेस्टोरेन्ट्स में बनने वाले मुगलई व्यंजनों से आम लोगों में एक धारणा बन चुकी है कि मुगल बादशाह केवल मांसाहारी पकवान ही खाते थे। परन्तु यह बात जानकर आप हैरान रह जाएंगे कि तीन मुगल बादशाह ऐसे थे जो मांसाहारी पकवान की जगह रोटी, चावल-दाल और सब्जी खाना कुछ ज्यादा ही पसन्द करते थे। जी हां, भारत के ताकतवर मुगल बादशाहों में अकबर, जहांगीर और औरंगजेब ऐसे नाम हैं, जिन्हें मांस की जगह साग-सब्जी खाना कुछ ज्यादा ही पसन्द था। ऐसे में ये तीनों मुगल बादशाह शाकाहारी भोजन में क्या-क्या खाना पसन्द करते थे, यह जानने के लिए इस स्टोरी को जरूर पढ़ें।

मुगल बादशाह अकबर 

मुगलकाल के सबसे ताकतवर बादशाह अकबर ने भारत में कई राजपूतों राजवंशों के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किए थे, जिसके चलते मुगल रसोई में फारसी स्वादों के साथ ही भारतीय पाक कला का अद्भुत मिश्रण देखने को मिला। अकबर सप्ताह में दिन शुद्ध शाकाहारी भोजन करता था जिसमें वह घी से भरपूर साग, दाल, मौसमी सब्जियां और पुलाव को तरजीह देता था। मुगल बादशाह अकबर के लिए खास तरह से पालक का साग बनाया जाता था। पालक के साग को घी, मेथी, अदरक, इलायची और लौंग के साथ पकाया जाता था। अकबर को पंचमेल दाल भी बहुत ज्यादा पसन्द थी। दरअसल अकबर की हिन्दू पत्नी जोधाबाई के कारण अकबर को पंचमेल दाल और साग-सब्जी खाने का शौक लगा। अकबर को खरबूजे इतने पसन्द थे कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से उसके लिए खरबूजे मंगवाए जाते थे। अकबर गंगाजल पीता था।

बादशाह जहांगीर

जहांगीर की आत्मकथा ‘तुजुक-ए-जहांगीरी’ के अनुसार, “मुगल बादशाह जहांगीर हर रोज तकरीबन 20 प्याला शराब पी जाता था जिसमें वह 14 प्याला शराब दिन में और 6 प्याला शराब रात में पीता था।” शराब के अतिरिक्त वह अफीम का भी सेवन करता था। शराब और अफीम के नियमित सेवन से उसकी तबियत खराब रहने लगी। हकीमों तथा वैद्यों की सलाह पर जहांगीर मांसाहारी की जगह शाकाहारी भोजन करने लगा। अ​त: जहांगीर को खाने में मांसाहारी पकवानों की जगह साग-सब्जियां परोसी जाने लगीं। हांलाकि जहांगीर खाने का बहुत ज्यादा शौकीन नहीं था फिर भी शाकाहारी भोजन में वह चावल-दाल खाना बहुत ज्यादा पसन्द करता था। उसे उड़द की दाल और दही भी बहुत पसन्द थी। जहांगीर मूंग दाल की खिचड़ी भी बड़े चाव से खाता था जिसमें चावल की जगह बाजरे का इस्तेमाल किया जाता था। जहांगीर को फालूदा भी बहुत पसन्द था।

बादशाह औरंगजेब

मुगल इतिहास में बादशाह औरंगजेब को ‘जिन्दा पीर’ आदि उपाधियों से नवाजा गया है। दरअसल औरंगजेब शुरू से शाकाहारी नहीं था, लगातार युद्धों में व्यस्त रहने के कारण उसका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा था, ऐसे में हकीमों की सलाह पर उसे कुछ दिनों के लिए मांसाहारी भोजन छोड़ना पड़ा। फिर क्या था, औरंगजेब को साग-सब्जियां इतनी पसन्द आईं कि वह शाकाहारी ही बन गया। औरंगजेब के खाने की शुरूआत ही दही और चावल से होती थी। रुकत-ए-आलमगीरी के अनुसार, औरंगजेब पंचमेल दाल, काबुली चने से बने व्यंजन, खिचड़ी, राजमा और गेहूं के कबाब, चने की दाल से बना पुलाव जिसे वह बहुत चाव से खाता था। पनीर से बने कोफ्ते भी मुगल बादशाह औरंगजेब की ही देन है। जानकारी के लिए बता दें कि औरंगजेब की पसंदीदा कुबूली बिरयानी बासमती चावल, दाल, तले हुए प्याज और दही के मिश्रण से बनाई जाती थी। औरंगजेब फलों में आम का दीवाना था।

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