भारत में छोटी-बड़ी कुल 562 रियासतें थीं जिनके अधीन 7,12,508 वर्गमील क्षेत्र था। इन रियासतों में 202 रियासतें ऐसी थीं जिनमें से प्रत्येक का क्षेत्रफल 10 वर्ग मील से कम था। जबकि 139 रियासतों का क्षेत्रफल 5 वर्गमील से कम था। वहीं 70 रियासतें ऐसी थीं जिनका क्षेत्रफल 1 वर्ग मील से अधिक नहीं था। कुल मिलाकर भारत की यह रियासतें 48 फीसदी भारतीय क्षेत्र एवं 28 फीसदी जनसंख्या को कवर करती थीं।
बतौर उदाहरण- हैदराबाद रियासत इटली देश जितनी बड़ी थी जिसकी जनसंख्या 1,40,00,000 थी और आमदनी साढ़े आठ करोड़ रुपए थी। जबकि सबसे छोटी रियासत बिलबारी थी जिसकी सालाना आमदनी 8 रुपए और जनसंख्या महज 27 थी। इस स्टोरी में हम भारत की सबसे छोटी रियासत बिलबारी से जुड़े रोचक इतिहास का वर्णन करेंगे।
भारतीय रियासतों का अस्तित्व
भारत की ज्यादातर रियासतें मुगल काल में बनीं और उत्तर मुगल काल में स्वयत्तता प्राप्त अथवा अर्धस्वायत्तता प्राप्त ईकाईयों के रूप में परिवर्तित हो गईं। इसके बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी ने इन रियासतों की दुर्बलता का लाभ उठाकर खुद को शक्तिशाली बनाने का काम किया।
भारत की कई बड़ी रियासतें जैसे- हैदराबाद, मैसूर, कश्मीर और राजपूत रियासतें ऐसी थीं जिन्होंने केवल कम्पनी की प्रभुसत्ता स्वीकार की थी, अपने क्षेत्र का विलय नहीं। जबकि इनमें से कई रियासतें ऐसी थीं जिन्होंने शताब्दियों तक मुगलों का तत्पश्चात मराठों का विरोध किया। इन रियासतों की रक्षा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया ने हस्तक्षेप करके की।
1857 की महाक्रांति के बाद 1858 ई. में भारत का शासन ब्रिटिश क्राउन द्वारा सम्भालने के बाद ब्रिटिश सरकार और रियासतों के बीच सम्बन्धों की परिभाषा अधिक स्पष्ट हो गई। ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया ने अपनी घोषणा में कहा कि, “हम भारत के स्थानीय राजाओं को यह घोषित करते हैं कि हम उन सभी सन्धियों तथा प्रतिज्ञापत्रों को स्वीकार करते हैं जो ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा अथवा उनकी ओर से की गई हैं और हम उन पर आचरण करेंगे तथा हम यह आशा करते हैं कि रियासतों के राजा भी अपनी ओर से उन्हें मानते रहेंगे।”
महारानी विक्टोरिया की इसी घोषणा के आधार पर उत्तरवर्ती वर्षों में भी ब्रिटिश सरकार और रियासतों के बीच सम्बन्धों में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिले।
बिलबारी रियासत
ब्रिटिश साम्राज्य के अप्रत्यक्ष शासन के अधीन भारत की सबसे छोटी रियासत बिलबारी का क्षेत्रफल महज 1.65 वर्गमील था। बिलबारी की वार्षिक आय महज 8 रुपए और जनसंख्या सिर्फ 27 थी। एक आंकड़े के मुताबिक साल 1941 में बिलबारी की जनसंख्या 82 थी। प्रारम्भ में यह रियासत बड़ौदा एजेन्सी के प्रशासनिक नियंत्रण में थी। बाद में इस क्षेत्र को गुजरात राज्य में मिला दिया गया। गुजरात राज्य के वर्तमान डांग जिले के पूर्वी क्षेत्र में स्थित बिलबारी रियासत जमीन का एक टुकड़ा मात्र थी जिसकी आबादी सबसे कम थी।
बिलबारी रियासत के शासक
बिलबारी रियासत के मूल शासक कोंकणी थे जिनकी डांग क्षेत्र में बाहुल्यता थी। इनमें बांसडा और धरमपुर रियासतें भी थीं। 14वीं शताब्दी में भयंकर अकाल पड़ा जिसके कारण यह परिवार कोंकण से उत्तर की तरफ पलायन कर गया। जो वर्तमान में गुजरात के तटीय इलाकों, पश्चिमी घाट तथा अरब सागर के बीच व गोवा से दमन तक फैला हुआ है।
पोवार (जिन्हें पवार अथवा परमार नामों से भी जाना जाता है) की उपाधि धारण करने वाले बिलबारी रियासत के शासकों को ब्रिटिश हुकूमत के राजनीतिक एजेंट के रूप में भी जाना जाता था।
बिलबारी के शासकों को ब्रिटिश शासन की तरफ से राजस्व अधिकार से लेकर विवादों के निपटारे के लिए कुछ अधिकार प्राप्त थे। हांलाकि बिलबारी रियासत के पवार शासक पटेल कहे जाने वाले गांवों के मुखियों के साथ वर्ष में तीन से चार बार ब्रिटिश दरबार में मिलने के लिए जाते थे। बिलबारी रियासत के शासकों को ब्रिटिश सरकार से पेंशन मिलती थी।
साल 1947 में भारत की आजादी के बाद देश की सभी रियासतों को भारत और पाकिस्तान में शामिल होने का विकल्प दिया गया जिसके तहत देश की सभी रियासतों के साथ ही बिलबारी रियासत के राजा ने भी भारतीय गणराज्य में शामिल होने का निर्णय लिया।
बिलबारी की वर्तमान स्थिति
वर्तमान में बिलबारी एक गांव बन चुका है, जो गुजरात के डांग जिले के सुबीर तहसील में स्थित है। मालगा ग्राम पंचायत के अधीन बिलबारी के निकटतम शहर का नाम पिपलनेर है जो बिलबारी से तकरीबन 15 किमी. की दूरी पर स्थित है। बिलबारी गांव सार्वजनिक बस सेवा से कनेक्टेड है। इसके अतिरिक्त बिलबारी से 5-10 किमी. की दूरी पर रेलवे स्टेशन भी है।
साल 2009 के आंकड़े के मुताबिक, 53 घरों वाले बिलबारी की जनसंख्या 249 है। जिसमें 137 महिलाएं और 112 पुरुष हैं। वर्ष 2009 के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार बिलबारी का कुल क्षेत्रफल 224.77 हेक्टेयर है। बिलबारी के निवासी गुजराती और हिन्दी भाषी दोनों हैं।
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