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The powerful Afghan ruler Sher Shah Suri is the father of the Indian rupee

भारतीय ‘रुपए’ का जनक है यह ताकतवर अफगान शासक

दोस्तों, विश्व अर्थव्यवस्था में जिस प्रकार से अमेरिकी डॉलर, ब्रिटिश पाउण्ड, जापानी येन और यूरोपीय संघ के यूरो की एक खास पहचान है, ठीक उसी प्रकार से भारतीय मुद्रा रुपया भी अपना एक अलग मुकाम रखता है।

यदि हम भारतीय मुद्रा रुपए के व्यापक इतिहास की बात करें तो इसका सर्वप्रथम उल्लेख प्रख्यात व्याकरणविद् पाणिनी और आचार्य चाणक्य ने रूप्यशब्द से किया है। इन दोनों विभूतियों ने रूप्य शब्द का इस्तेमाल सम्भवत: चांदी के सिक्कों के लिए किया है।

परन्तु यदि हम रुपया की बात करें तो इस शब्द का उपयोग भारतीय इतिहास के एक ताकतवर अफगान शासक द्वारा पहली बार किया गया ​जिसने अपने साहस और चतुराई से मुगलों को हिन्दुस्तान से तकरीबन खदेड़ ही दिया था। जी हां, आपका सोचना बिल्कुल लाजिमी है, मैं सूर साम्राज्य के महान शासक शेरशाह सूरी की बात कर रहा हूं।

शेरशाह सूरी ने अपने शासन काल में चांदी का जो सिक्का जारी किया था, उसे रुपया कहा जाता था। भारतीय रुपएके प्रतीक इस चांदी के सिक्के को मुगलों, मराठों तथा अंग्रेजों ने भी चलन में बनाए रखा। ऐसे में भारतीय मुद्रा के प्रतीक रुपएसे जुड़ा रोचक और व्यापक इतिहास जानने के लिए यह स्टोरी अवश्य पढ़ें।

रुपया शब्द की उत्पत्ति

रुपया शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 'रुप्य' से हुई है, जिसका हिन्दी अर्थ है- मुद्रांकित सिक्का (विशेषकर चांदी का)'रुप्य' शब्द का उल्लेख सर्वप्रथम प्रख्यात व्याकरणविद् पाणिनी ने 6वीं शताब्दी के आसपास किया, इस शब्द का उपयोग वे सम्भवत: एक कीमती मुद्रा विशेषकर चांदी के सिक्के के लिए करते हैं।

इसके बाद चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री आचार्य चाणक्य ने अपनी महान कृति अर्थशास्त्र में चांदी के सिक्कों का उल्लेख 'रुप्य' शब्द के रूप में किया है। मौर्यकाल के बाद से मध्यवर्ती युग तक सिक्कों की कोई निश्चित मौद्रिक प्रणाली नहीं थी परन्तु साल 1540 से 1545 ई. के मध्य अफगान शासक शेरशाह सूरी ने चांदी का एक सिक्का जारी किया जिसका वजन 180 ग्रेन था, इस सिक्के को रुपया कहा जाता था। तब से लेकर आज तक रुपया शब्द अपने प्रचलन में बना हुआ है।

भारतीय रुपएका जनक है शेरशाह सूरी

शेरशाह सूरी मध्ययुगीन इतिहास के उन महान व्यक्तियों में से एक था जिसने अपने परिश्रम, योग्यता और अपनी तलवार की शक्ति से स्वयं को एक साधारण शख्स से राज्य पद तक पहुंचा दिया।

शेरशाह सूरी ने कहा था- “यदि भाग्य ने मेरी सहायता की और सौभाग्य मेरा मित्र रहा, तो मैं मुगलों को सरलता से हिन्दुस्तान से बाहर खदेड़ दूंगा। उसका यह कथन सच साबित हुआ और शेरशाह सूरी ने मुगल बादशाह हुमायूं को हिन्दुस्तान से निष्कासित कर उत्तर भारत में सूर वंश के अफगान साम्राज्य की स्थापना की।

शेरशाह सूरी ने महज पांच वर्ष (1540 से 1545 ई. तक) शासन किया परन्तु उसकी उपलब्धियों ने उसे इतिहास के महान शासकों में ला खड़ा किया। यदि हम शेरशाह सूरी की राजनीतिक और प्रशासनिक उपलब्धियों से इतर उसकी मुद्रा व्यवस्था की बात करें तो उसने पूर्ववर्ती शासकों द्वारा चलाए पुराने और घिसे हुए सिक्कों का चलन बन्द करवा दिया। इसके बाद उसने सोने, चांदी और तांबे के नए सिक्के चलवाए और उन सिक्कों का एक अनुपात निश्चित किया।

शेरशाह सूरी ने 1540 से 1545 ई. के बीच 180 ग्रेन का चांदी का सिक्का चलवाया जिससे रुपया कहा जाता था। इस रुपए को मुगल बादशाहों ने यथावत जारी रखा। तत्पश्चात मराठों तथा अंग्रेजों ने भी इस मुद्रा प्रणाली को अपना आधार बनाया।

प्रख्यात ब्रिटिश इतिहासकार स्मिथ ने लिखा है कि शेरशाह द्वारा जारी रुपया वर्तमान ब्रिटिश मुद्रा प्रणाली का आधार है।  अब आप समझ गए होंगे 1540-1545 ई. में जारी रुपया आज भी प्रचलन में है, भले ही इसका स्वरूप और मानक थोड़ा बदल चुका है।

आजाद भारत में रुपए का इतिहास

यदि हम कागजी नोटों की बात करें जिसे देश की जनता अममून रुपया कहती है, आजादी से पूर्व साल 1770-1832 में बैंक ऑफ हिंदुस्तान, साल 1773-75 में जनरल बैंक ऑफ बंगाल एंड बिहार और साल 1784-91 में बंगाल बैंक द्वारा जारी किया गया था।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना साल 1935 में हुई। चूंकि राष्ट्रीय मुद्रा रुपएको भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किया जाता है इसलिए जनवरी 1938 में रिजर्व बैंक ने पहले कागजी मुद्रा के रूप में 5 रुपए का नोट जारी किया था। बता दें कि 5 रुपये के इस नोट पर किंग जॉर्ज VI का चित्र अंकित ​था।

साल 1938 में ही रिजर्व बैंक ने 5 रुपए के साथ ही 10 रुपए, 100 रुपए, 1000 रुपए और 10,000 रुपए के नोट भी जारी किए। हांलाकि आजादी के बाद दस हजार के नोट को विमुद्रीकृत कर दिया गया। जानकारी के लिए बता दें कि एक रुपए का नोट सर्वप्रथम 30 नवम्बर 1917 को जारी किया गया था। तत्पश्चात अगस्त 1940 में इस नोट को दोबारा जारी किया गया। मार्च 1943 में दो रुपए का नोट जारी किया गया।

आजादी के शुरूआती दौर में हमारे देश में 5, 10, 20, 25 और 50 पैसे का खूब चलन था परन्तु आज की तारीख में ये सिक्के तकरीबन बन्द हो चुके हैं। हांलाकि मई, 2024 में भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, 50 पैसे के सिक्के अभी भी लीगल टेंडर हैं। भारत में एक रुपए, दो रुपए, पांच रुपए, दस रुपए और बीस रुपए के सिक्के खूब चलन में हैं। एक रुपए और उससे अधिक के सिक्कों को 'Rupee Coin' कहा जाता है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी रुपए का वर्षानुक्रम

भारतीय मुद्रा रुपया शब्द को साल 1954 में बदलकर रुपए कर दिया गया।  भारत सरकार द्वारा मुद्रित पहला बैंक नोट 1 रुपए का नोट था। ​यदि हम भारतीय रुपएके चिह्न की बात करें तो इसका डिजाइन आईआईटी गुवाहटी के प्रोफेसर उदय कुमार धर्मलिंगम ने तैयार किया था। उदय कुमार धर्मलिंगम द्वारा बनाई गई इस डिजाइन को भारत सरकार ने 15 जुलाई 2010 को जनता के समक्ष पेश किया था।

स्वतंत्रता के पश्चात भारत सरकार ने साल 1949 में 1 रुपए का नोट जारी किया।

1957 ई. में एक अप्रैल को भारतीय रुपया 100 पैसे में विभाजित किया गया।

1957 से 1967 ई. के दौरान एल्यूमीनियम के एक, दो, तीन, पांच और दस पैसे के सिक्के जारी किए गए।

1959 ई. में भारतीय हज यात्रियों के लिए 10 रुपए और 100 रुपए का विशेष नोट जारी किया गया था, ताकि हज यात्री इसे सऊदी अरब में स्थानीय मुद्रा के साथ बदल सकें।

भारतीय रिजर्व बैंक ने 1969 ई. में 5 रुपए और 10 रुपए के ऐसे नोट जारी किए जिन पर महात्मा गांधी जन्म शताब्दी स्मारक डिजाइन किया गया था।

साल 1980 में एक रुपए, दो रुपए, पांच रुपए, दस रुपए तथा बीस रुपए के नोट जारी किए गए जिस पर क्रमश: ऑयल रिंग, आर्यभट्ट, कृषि मशीनीकरण, मोर और कोणार्क व्हील का चित्र अंकित किया गया।

साल 1981 में 10 रुपए के नोट पर आगे की तरफ सिंह तथा पीछे की ओर मोर का चित्र बना हुआ था।

साल 1983-84 में रिजर्व बैंक ने 20 रुपए का नोट जारी किया जिसके पीछे बौद्ध धर्म चक्र बना हुआ था।

रिजर्व बैंक ने अक्टूबर 1987 ई. में 500 रुपए का नोट जारी किया।

साल 1988 में 10, 25 और 50 पैसे के एल्युमिनियम के सिक्कों की जगह स्टेनलेस स्टील के सिक्के पेश किए गए।

जबकि 1992 ई. में 1 रुपए और 5 रुपए में स्टेनलेस स्टील के सिक्के जारी किए गए।

साल 1996 में भारत के केन्द्रीय बैंक द्वारा 10 रुपए से लेकर 500 रुपए तक के नोट जारी किए गए जिन पर महात्मा गांधी की तस्वीर अंकित थी।

जून, 1996 में केन्द्रीय बैंक ने 100 रुपए का नोट जारी किया जिसके सामने महात्मा गांधी की तस्वीर थी और पीछे हिमालय पर्वत का चित्र अंकित था।

मार्च 1997 ई. में 50 रुपए का नोट जारी किया गया, जिसके आगे महात्मा गांधी और पीछे भारतीय संसद की तस्वीर छपी थी।

वहीं अक्टूबर 1997 ई. में 500 रुपए का नोट जारी किया गया, जिसके सामने महात्मा गांधी और पीछे की तरफ दांडी मार्च का चित्र अंकित था।

नवंबर 2000 ई. में 1000 रुपए के नोट जारी किए गए।

अगस्त 2001 ई. में 20 रुपये के नोट जारी किए गए जिन पर सामने की तरफ महात्मा गांधी की छवि तथा पीछे की तरफ पोर्ट ब्लेयर लाइटहाउस की तस्वीर अंकित थी।

वहीं नवंबर 2001 ई. में जारी किए 5 रुपए के नोट पर सामने की तरफ महात्मा गांधी की तस्वीर थी तथा पीछे की ओर कृषि मशीनीकरण प्रक्रिया को दर्शाया गया था।

साल 2005 से 2008 के बीच रिजर्व बैंक द्वारा 50 पैसे, एक रुपए, दो रुपए तथा पांच रुपए के नए सिक्के जारी किए गए।

चूंकि कुछ समय के लिए 5 रुपए के नोटों की छपाई बन्द कर दी गई थी अत: साल 2009 में 5 रुपए के नोट दोबारा छापे गए।

जुलाई 2010 में भारतीय मुद्रा रुपए के नए चिह्न के रूप में 'Rs' उपयोग में लाया गया।

  साल 2011 में 5 पैसे से लेकर 25 पैसे तक के सिक्कों का विमुद्रीकरण कर दिया गया।

साल 2011 में 50 पैसे के सिक्कों के साथ 1 रुपए, 2 रुपए, 5 रुपए और 10 रुपए के नोटों की नई सीरीज पेश की गई।

साल 2012 में 10 रुपए, 20 रुपए, 50 रुपए, 100 रुपए, 500 रुपए और 1,000 रुपए के नोट जारी किए गए जिन्हें महात्मा गांधी की छवि तथा नए 'Rs' चिन्ह के साथ छापा गया था।

साल 2016 के नवम्बर महीने में भारत के रिजर्व बैंक ने 500 रुपए तथा 1000 रुपए के नोट वापस ले लिए तथा 2000 रुपए के नए नोट जारी किए।

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