नर्मदा और ताप्ती नदियों के बीच पठार पर स्थित मालवा राज्य का उत्तर तथा दक्षिण भारत के बीच के मुख्य मार्गों पर नियंत्रण था। ऐसे में मालवा पर कब्जा करने वाला शक्तिशाली राज्य सम्पूर्ण उत्तरी भारत पर प्रभुत्व स्थापित करने की दिशा में अग्रसर हो जाता था।
आज हम आपको मालवा के एक ऐसे सुल्तान के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे नितान्त ‘ढोंगी एवं कामी’ कहा जाता है। यह सुल्तान बाहर से बेहद पवित्र एवं धार्मिक जीवन जीने का दिखावा करता था किन्तु यह खूबसूरत महिलाओं के प्रति आसक्ति के लिए कुख्यात था।
जी हां, मैं मालवा के सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी की बात कर रहा हूं। भोग-विलास में डूबे रहने वाले गयासुद्दीन खिलजी ने हरम के रूप में अत्यंत विशाल एवं खूबसूरत जहाज महल का निर्माण करवाया था। ऐसे में सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी के हरम एवं उसकी अय्याशियों से रूबरू होने के लिए इस रोचक स्टोरी को जरूर पढ़ें।
ढोंगी एवं कामी सुल्तान था गयासुद्दीन खिलजी
सुल्तान गयासुद्दीन (1469-1500 ई.) के चरित्र में बड़ा अन्तर्विरोध था। वह बाहर से बेहद पवित्र एवं धार्मिक जीवन व्यतीत करने का दिखावा करता था किन्तु व्यक्तिगत जीवन में वह नितान्त कामी था। यही वजह है कि सुल्तान गयासुद्दीन का चरित्र उसे विवादास्पद शासक बनाता है।
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि कुशल शासक गयासुद्दीन खिलजी ने मालवा में शांति और समृद्धि स्थापित की। वहीं कुछ इतिहासकारों की नजर में वह अत्यन्त कामी था जिसने अपने भोग-विलास के लिए जनता पर अत्याचार किए।
मालवा के साम्राज्य विस्तार हेतु गयासुद्दीन ने मेवाड़ पर दो बार आक्रमण किए किन्तु वह दोनों बार ही असफल रहा। गयासुद्दीन के शासनकाल में ही गुजरात ने चम्पानेर को जीत लिया किन्तु वह कुछ न कर सका। 1500 ई. में गयासुद्दीन खिलजी के बड़े बेटे अब्दुल कादिर ने उसे जहर देकर मरवा दिया। अब्दुल कादिर अपने पिता गयासुद्दीन खिलजी की हत्या करने के बाद ‘नासिरूद्दीन शाह’ की उपाधि धारण कर मालवा की गद्दी पर बैठा।
अय्याशी का अड्डा था जहाज महल
मालवा के सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी ने मांडू में कपूर तालाब और मुंज तालाब नामक दो झीलों के बीच ऐतिहासिक इमारत जहाज महाल का निर्माण 15वीं शताब्दी में करवाया। यह महल पानी में तैरते जहाज जैसा दिखता है, इसलिए इसका नाम ‘जहाज महल’ पड़ा। कुछ लोग इस राजमहल को ‘शिप पैलेस’ भी कहते हैं।
सुल्तान गयासुद्दीन का हरम था ‘जहाज महल’ जिसमें उसकी रानियों के साथ 16000 खूबसूरत दासियां रहती थीं। इस हरम में अनेक हिन्दू सरदारों की पुत्रियां भी थीं। सुल्तान गयासुद्दीन ने इथोपियाई तथा तुर्की दासियों की एक अंगरक्षक सेना गठित की थी।
सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी के जहाज महल में कई फव्वारें तथा कैनाल बने हुए हैं जिसमें अनवरत पानी बहता है। इस महल की भव्यता को देखकर आसानी से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि सुल्तान गयासुद्दीन अपनी पत्नियों एवं दासियों संग कितने मजे से समय व्यतीत करता रहा होगा।
110 मीटर लंबा और 15 मीटर चौड़ा जहाज महल अफगान, मुगल और हिंदू वास्तुकला का शानदार नमूना है। जहाज महल दो मंजिला इमारत है जिसमें कई खम्भे, मेहराब तथा खपरैल की छतें हैं। जहाज महल से झील का मनोरम दृश्य एवं गार्डेन का नजारा दिल को बेहद सुकून देता है। ऐसा कहते हैं कि इश्कबाज लोग यहां बैठकर अक्सर उस जमाने में सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी की भोग-विलास की बातें किया करते हैं।
कैसे पहुंचे जहाज महल?
मध्य प्रदेश के धार जिले से मांडू की दूरी तकरीबन 35 किमी. है। राज्य के प्रमुख शहर इंदौर से मांडू की दूरी 96 किमी. है। यदि आप मांडू स्थित जहाज महल देखना चाहते हैं तो इंदौर से धार और धार से मांडू के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है।
मांडू का कोई अपना रेलवे स्टेशन नहीं है। इंदौर के बाद सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन रतलाम में है, जो 124 किलोमीटर दूर है। ऐसे में आप रतलाम से भी बस सेवा अथवा निजी वाहन के द्वारा मांडू जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त भोपाल से मांडू, उज्जैन से मांडू तथा इंदौर से मांडू के बीच सीधी बसें चलती हैं। मध्य प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से मांडू के लिए निजी टैक्सियां भी किराए पर ली जा सकती हैं।
जहाज महल घूमने के लिए अक्टूबर से मार्च का महीना सबसे उपयुक्त रहता है। जहाज महल घूमने का शुल्क भारतीय पयर्टकों के लिए 5 रुपए (प्रति व्यक्ति), विदेशी पर्यटकों लिए 100 रुपए (प्रति व्यक्ति) तथा वीडियो कैमरा शुल्क 25 रुपए निर्धारित है। ध्यान रहे, जहाज महल सुबह 6 बजे से सायं 7 बजे तक खुला रहता है।
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