राजपूताना इतिहास में भाटी राजवंश के शासक स्वयं को भगवान श्रीकृष्ण का वंशज मानते हैं। भाटी राजवंश के शासक राव जैसल सिंह भाटी ने राजस्थान के जैसलमेर को अपनी नई राजधानी बनाया। तत्पश्चात 12 जुलाई 1156 ई. को एक शानदार किले का निर्माण करवाया। राव जैसल के नाम पर ही इस किले का नाम जैसलमेर फोर्ट पड़ा।
सुनहरे बालू एवं बलुआ पत्थर से निर्मित जैसलमेर फोर्ट की दीवारें सूर्य की रोशनी में चमकती हैं। इसीलिए इसे स्वर्णगिरी भी कहते हैं। हांलाकि इस किले के कई नाम हैं, इसके अतिरिक्त जैसलमेर फोर्ट भारत का एकमात्र जीवित किला (लिविंग फोर्ट) है जिसमें आज भी एक बड़ी आबादी निवास करती है।
आप इस तथ्य को जानकर हैरान रह जाएंगे कि दुनिया के 8 देशों की कुल जनसंख्या के बराबर लोग सिर्फ जैसलमेर फोर्ट में निवास करते हैं। किले में राजमहल, जैन मंदिरों के अलावा हस्तशिल्प की दुकानें, रेस्टोरेंट्स और गेस्ट हाउस भी मौजूद हैं, जो इसे जीवन्त बनाते हैं।
अब आपका यह सोचना बिल्कुल लाजिमी है कि आखिर में दुनिया के ऐसे कौन से 8 देश हैं, जिनकी कुल जनसंख्या के बराबर सिर्फ जैसलमेर फोर्ट में ही लोग रहते हैं। इस रोचक तथ्य से रूबरू होने के लिए यह रोचक स्टोरी जरूर पढ़ें।
भारत का एकमात्र जीवित किला है जैसलमेर फोर्ट
जैसलमेर के किले को स्वर्णगिरि/ सोनारगढ़ / सोनगिरी/ राजस्थान का अण्डमान/ रेगिस्तान का गुलाब/ रेत के समुद्र में लंगर डाल हुए जहाज के समान/ पश्चिमी सीमा का प्रहरी/ त्रिकूटगढ़ तथा भारत का इकलौता लिविंग फोर्ट आदि नामों से जाना जाता है।
भारत का यह अद्भुत किला एक जीवित शहर की तरह है जिसमें दुकानें, मंदिर, रेस्टोरेंट और निवास करने वाली जनता भी शामिल है। जैसलमेर किले का निर्माण 12 जुलाई 1156 ई. में राव जैसल सिंह भाटी ने करवाया था। जैसलमेर किला ‘त्रिकूट’ नामक पहाड़ी पर स्थित है। चूंकि इस किले का आकार त्रिकोणीय था, इसीलिए शुरूआती दौर में इसे ‘त्रिकुटगढ़’ के नाम से जाना जाता था। त्रिकूट पहाड़ी पर स्थित होने के कारण किले की मीनारें कई मील दूर तक दिखाई देती हैं।

जैसलमेर किले के बारे में बादशाह अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फजल ने लिखा है — “घोड़ा कीजे काठ का, पग कीजे पाषाण। अख्तर कीजे लोहे का, तब पहुंचे जैसाण।” अर्थात जैसलमेर पहुंचने के लिए लकड़ी का घोड़ा और पत्थर की टांगें होनी चाहिए। जैसलमेर किले से जुड़ी एक अन्य कहावत यह भी है — “गढ़ दिल्ली, गढ़ आगरो-अधगढ़ बीकानेर। भलो चुणायो भाटियों सिरे तो जैसलमेर।।”
यह किला 250 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और इसकी दीवारें 30 फीट तक ऊंची हैं। इस दुर्ग में सर्वाधिक 99 बुर्ज हैं। इसके निर्माण में चूने का इस्तेमाल नहीं किया गया है। जैसलमेर फोर्ट को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर सूची में भी शामिल किया जा चुका है। साल 2009 में इस किले पर पांच रुपए का डाक टिकट भी जारी किया गया था।
जैसलमेर का किला राजपूत और मुगल स्थापत्य कला का अद्भुत मिश्रण है। किले के अन्दर महल, हवेलियां, मंदिर और कुओं का निर्माण करवाया गया है, जो स्थानीय सोने के रंग के बलुआ पत्थर से निर्मित हैं। किले की नक्काशी और डिजाइन देखते ही बनती है। जैसलमेर फोर्ट में महारावल महल, जवाहर महल और जैनमंदिर भी मौजूद हैं। किले के अन्दर पीले बलुआ पत्थर से निर्मित 7 जैन मंदिरों में ऋषभदेव, पार्श्वनाथ और सम्भवनाथ मंदिर अति प्रसिद्ध हैं।
महारावल महल संगमरमर के सिंहासन के लिए विख्यात है, जबकि जवाहरमहल शाही निवास का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करता है। किले की गलियां पूरी तरह से हस्तशिल्प की दुकानों, रेस्टोरेंट्स और गेस्ट हाउस से अलंकृत हैं, जो इसे लिविंग फोर्ट बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किले में मौजूद रेस्टोरन्ट्स और भोजनालयों में आप बड़ी आसानी से इतालवी, फ्रेंच और देशी पकवानों का स्वाद चख सकते हैं।
जैसेलमेर किले को विदेशी आक्रमणकारियों के घेराबंदियों तथा कई आक्रमणों का सामना करना पड़ा। अलाउद्दीन खिलजी जैसे आक्रमणकारी का सामना करने के बाद 16वीं सदी में मुगल बादशाह अकबर के सामने जैसलमेर राजवंश को झुकना पड़ा और वैवाहिक सम्बन्ध के जरिए मुगलों के साथ एक नई राजनीति की शुरूआत हुई।
सोनार किले की सुरक्षा के लिए तीन दीवारें बनाई गई थी। इनमें पहली दीवार पत्थर की बनाई गई थी जो किले के आधार को मजबूत बनाती थी, वहीं दूसरी दीवार रक्षात्मक व्यूह के रूप में कार्य करती थी। जबकि तीसरी दीवार बलुआ पत्थर से बनी थी जो सैनिकों को आक्रमणकारियों से सुरक्षा प्रदान करती थीं।
जैसलमेर किले में रहते हैं 8 देशों की कुल आबादी के बराबर लोग
जैसलमेर का किला भारत का एकमात्र जीवित किला है, जिसमें आज भी एक बड़ी आबादी निवास करती है। इस किले में जैसलमेर शहर की कुल 25 फीसदी जनसंख्या रहती है। साल 2011 की जनगणना की अनुसार, जैसलमेर शहर की कुल आबादी 95, 435 है। हांलाकि आज की तारीख में जैसलमेर शहर की जनसंख्या अनुमानत: 1 लाख से कम नहीं होगी।
इस प्रकार यदि हम उपरोक्त आंकड़ों का आकलन करें तो भारत के एकमात्र जीवित किले जैसलमेर फोर्ट में तकरीबन 25,000 के बराबर जनसंख्या निवास करती है। रोचक तथ्य यह है कि दुनिया के तकरीबन इन 8 देशों की कुल जनसंख्या के बराबर लोग भारत के इस एकमात्र जीवित किले में निवास करते हैं।
साल 2008 में संकलित आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया के इन 8 देशों की कुल आबादी 29, 250 है। इस तथ्य को आप कुछ इस प्रकार से समझ सकते हैं।— 1.नौरु (10,000) 2. सन्त हेलेना (6,600) 3. मॉण्टसेराट (5,900) 4. फ़ॉकलैंड द्वीपसमूह (3,000) 5. न्युए (1,500) 6. टोकेलाऊ (1,400) 7. वैटिकन सिटी (800) 8. पिटकेर्न (50) ।
दोस्तों, अब तो आपको विश्वास हो गया होगा कि भारत के एकमात्र लिविंग फोर्ट जैसलमेर के ‘सोनार किले’ में दुनिया के उपरोक्त 8 देशों की कुल जनसंख्या के बराबर आबादी निवास करती है।

कैसे पहुंचे जैसलमेर फोर्ट
— यदि आप हवाई मार्ग से जैसलमेर पहुंचना चाहते हैं तो आपको जानकारी के लिए बता दें कि जैसलमेर शहर में कोई एयरपोर्ट नहीं है। ऐसे में आप जोधपुर एयरपोर्ट से जेसलमेर पहुंच सकते हैं। जोधपुर एयरपोर्ट से जैसलमेर की दूरी तकरीबन 275 किमी. है, ऐसे में इस दूरी को आप बस, कैब, टैक्सी के जरिए तय कर सकते हैं।
— यदि आप ट्रेन से जैसलमेर पहुंचना चाहते हैं, तो यह मार्ग सबसे अच्छा विकल्प है। देश के प्रत्येक बड़े शहरों से ट्रेन के जरिए आप सीधे जैसलमेर पहुंच सकते हैं।
— यदि आप लान्ग ड्राइव के शौकीन हैं, तो सड़क मार्ग के जरिए कुछ दिनों की यात्रा कर टैक्सी, कैब अथवा निजी गाड़ी से जैसलमेर पहुंच सकते हैं।
जैसलमेर फोर्ट घूमने का समय सुबह 9 बजे से सायंकाल पांच बजे तक है। किले का प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए प्रति व्यक्ति 50 रुपए और विदेशियों के लिए प्रति व्यक्ति 250 रुपए निर्धारित है।
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