इसमें कोई दो राय नहीं कि यूपी और बिहार का तकरीबन हर शख्स बेहद जायकेदार मिठाई बालूशाही का दीवाना है। इतना ही नहीं, यूपी और बिहार में खासकर विवाह के दौरान वधू पक्ष की ओर से ससुरालियों को उपहार देने के लिए अन्य मिठाईयों के साथ बालूशाही जरूर बनवाई जाती है।
दरअसल बालूशाही एक ऐसी मिठाई है जो मुगलकाल में बेहद पॉपुलर हुई, तत्पश्चात मुगलिया बादशाह इस मिठाई को उत्तर भारत से दक्षिण भारत तक लेकर गए। अब आपका यह सोचना लाजिमी है कि आखिर में इस मिठाई का नाम बालूशाही क्यों पड़ा? इसके अलावा अति स्वादिष्ट मिठाई बालूशाही बनाने की विधि क्या है? इन सब प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए भोजन इतिहास से सम्बन्धित यह रोचक स्टोरी जरूर पढ़ें।
बालूशाही नाम कैसे पड़ा
यह सच है कि जायकेदार मिठाई बालूशाही का बालू से कोई लेना-देना नहीं है। दरअसल ‘बालूका’ और ‘शाही’ शब्द को मिलाकर बने बालूशाही नाम के पीछे रोचक इतिहास छुपा है। बालूका का अर्थ- बाटी यानि की गेहूं से बनी गेंद जिसे घी में तलकर चीनी की चाशनी में डूबोने के पश्चात इसे सूखे मेवे तथा चांदी की पन्नी से सजाया है, जिससे यह मिठाई शाही बन जाती है। इसी वजह से इसे बालूशाही कहते हैं।

कुछ भोजन इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि बालूशाही नामक मिठाई मुगलों की शाही रसोई से निकली थी, इसलिए मुगलकाल के दौरान यह लोकप्रिय हुई। बालूशाही में ‘बालू’ शब्द है जिसका अर्थ रेत होता है। चूंकि इस मिठाई की परतदार, कुरकुरी और खुरदरी सतह को बालू के समान माना जाता है, साथ ही इस मिठाई की शुरूआती लोकप्रियता उच्च समाज से जुड़ी हुई है, ऐसे में इस मिठाई का नाम बालूशाही पड़ा।
वहीं कुछ पाक विशेषज्ञों का कहना है कि बालूशाही की उत्पत्ति मुगलकाल के दौरान हैदराबाद की शाही रसोई में हुई थी। तत्पश्चात हैदराबाद की शाही रसोई से जन्मी बालूशाही का प्रसार बिहार और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में हुआ, जहां इस मिठाई ने लोकप्रियता प्राप्त की।
विभिन्न नामों से लोकप्रिय है बालूशाही
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार के ज्यादातर लोग ‘बालूशाही’ के दीवाने हैं, किन्तु यहां के कुछ लोग इसे ‘टिकरी’ अथवा ‘खुरमा’ आदि भी कहते हैं। वहीं राजस्थानी लोगों के बीच यह शानदार मिठाई ‘मक्खन बड़ा’ के नाम से पॉपुलर है। मध्यप्रदेश के उज्जैन जैसे शहरों में भी बालूशाही को ‘मक्खन बड़े’ के रूप में ही पेश किया जाता है।
वहीं दक्षिण भारतीय राज्यों विशेषकर-आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में बालूशाही को लोग ‘बदुशा’ नाम से जानते हैं। जबकि गोवा में बालूशाही को ‘भक्कम पेड़ा’ के नाम से जाना जाता है। भारत के विभिन्न भागों के साथ ही बालूशाही को पाकिस्तान, नेपाल और बंग्लादेश के व्यंजनों में खासा पसंद किया जाता है।

रून्नी सैदपुर और भागलपुर की बालूशाही
बिहार के मुजफ्फरपुर से तकरीबन 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सीतामढ़ी जिले के रुन्नी-सैदपुर की बालूशाही का हर कोई दीवाना है। मैदा, घी, बेकिंग सोडा, चीनी और दही से तैयार रुन्नी-सैदपुर की बालूशाही की डिमांड बिहार के अलावा नेपाल तथा यूपी में भी बहुत ज्यादा है।
मैला आंचल, मारे गए गुलफाम, पंचलाइट जैसी कालजयी रचनाओं के जनक फणीश्वर नाथ रेणु ने अपने उपन्यास ‘कितने चौराहे’ में रुन्नी सैदपुर की बालूशाही का विशेषरूप से उल्लेख किया है। अब आप समझ गए होंगे कि बिहारी लोगों में रून्नी सैदपुर की बालूशाही किस हद तक पॉपुलर है।
इसके अलावा भागलपुर की बालूशाही भी अपने अनूठे स्वाद के लिए बेहद प्रसिद्ध है। भागलपुर की बालूशाही इतनी नर्म और मुलायम होती है कि यह मुंह डालते ही घुल जाती है। अब तो पनीर बालूशाही और मावा बालूशाही भी बनने लगी है। कुछ हलवाई बालूशाही पर रबड़ी डालकर भी परोसने लगे हैं।
बालूशाही बनाने की विधि
भारत के अलग-अलग हिस्सों में बालूशाही का रंग भी अलग-अलग होता है। कहीं इसका रंग लाल, तो कहीं भूरा और कहीं इसका रंग बिल्कुल नारंगी होता है। मुगलिया दौर में जन्मी बालूशाही की सबसे बड़ी खासियत ही यही है कि यह मुंह में डालते ही घुल जाती है। हांलाकि समय के साथ बालूशाही की रेसिपी में कई बदलाव आए हैं, अब तो कुछ लोग शुगर फ्री बालूशाही भी बनाने लगे हैं। बावजूद इसके हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर में बालूशाही बनाने की विधि क्या है।
बालूशाही बनाने की सामग्री - मैदा, बेकिन्ग पाउडर, चुटकीभर नमक, मात्रानुसार पानी, चीनी, दही, शुद्ध देशी घी अथवा रिफांइड, सूखे मेवे, इलायची, पिस्ता, केसर थ्रेड तथा चांदी की पन्नी आदि।
बालूशाही कैसे तैयार करें –
बेहद स्वादिष्ट और जायकेदार बालूशाही तैयार करने के लिए सबसे पहले मैदे को छानकर मिक्सिंग बाउल में डाल दें। इसके बाद मैदे में चुटकीभर नमक और बेंकिग पाउडर मिक्स करें। तत्पश्चात आधा कप देसी घी, मात्रानुसार पानी और आटे को मिला लें। इस मैदे को ज्यादा गूंथे नहीं बल्कि हल्के हाथों से तैयार करें। फिर तकरीबन 15 से 20 मिनट के लिए ढंककर रख दें।

चाशनी तैयार करें - चीनी की जायकेदार चाशनी तैयार करें। चीनी की चाशनी में केसर और कूटी हुई इलायची डालकर तब तक पकाएं जबतक यह मिश्रण चाशनी में बिल्कुल घुल नहीं जाए। फिर इस चाशनी को गैस से नीचे उतार लें।
कुछ ऐसे तैयार करें बालूशाही- सबसे पहले मैदे को अच्छे से गूथकर उसकी गोल-गोल लोइयां तैयार करें। इसके बाद मैदे की लोइयों को अंगूठे से हल्का दबाकर पेड़े का आकार दें। इन लोइयों को शुद्ध घी अथवा रिफाइंड में धीमी आंच पर भूरा होने तक तलें। तत्पश्चात इसे चीनी की दानेदार चाशनी में कुछ देर के लिए डूबोकर छोड़ दें, इसके बाद बालूशाही को चाशनी में गोता लगाने के बाद बाहर निकाल लें। फिर क्या, इसकी खुशबू से पूरा मिठाई बाजार महक उठता है। ऐसे में तैयार बालूशाही को सूखे मेवों विशेषकर कुटे हुए पिस्ते अथवा बादाम तथा चांदी की पन्नी से सजाकर सर्व करें।
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