
भारतीय इतिहास के महान राजाओं में से एक छत्रपति शिवाजी महाराज पराक्रमी योद्धा होने के साथ-साथ परम राष्ट्रभक्त, दूरदर्शी, कर्तव्यपरायण तथा सनातनी संस्कृति के संवाहक थे। महाराष्ट्र के 35 शक्तिशाली दुर्गों के स्वामी छत्रपति शिवाजी महाराज ही एक मात्र ऐसे शासक थे जिन्होंने दक्कन में मुगल बादशाह औरंगजेब की नींद हराम कर दी।
भारतीय मुक्ति संग्राम के दौरान आमजन में राष्ट्रीयता की भावना जगाने के लिए बाल गंगाधर तिलक ने छत्रपति शिवाजी जन्मोत्सव की शुरूआत की। अब आप समझ सकते हैं कि मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज को हिन्दुस्तान और हिन्दू संस्कृति से कितना प्रेम था।
कभी-कभी आपके मन भी यह सवाल उठता होगा कि अनवरत युद्धों में व्यस्त रहने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज का पसन्दीदा भोजन क्या था? भोजन इतिहास की इस कड़ी में आज हम आपको छत्रपति शिवाजी महाराज के पसन्दीदा भोजन के अलावा युद्ध अभियानों के दौरान मराठा सैनिकों को परोसे जाने वाले भोजन से भी रूबरू कराएंगे।
विशुद्ध शाकाहारी थे छत्रपति शिवाजी महाराज
आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि छत्रपति शिवाजी महाराज विशुद्ध शाकाहारी थे। वह दिन में केवल एक बार दोपहर के समय पूर्ण भोजन करते थे। इसके बाद वह केवल फल और दूध आदि का ही सेवन करते थे।
शिवाजी महाराज एक योगी की तरह जीवन जीते थे, इसलिए मराठा इतिहास में उन्हें ‘श्रीमत योगी’ भी कहा गया है। मराठी इतिहास से जुड़े निम्नलिखित तथ्य यह साबित करने के लिए पर्याप्त हैं कि छत्रपति शिवाजी महाराज विशुद्ध शाकाहारी थे।
तथ्य —1. छत्रपति शिवाजी महाराज के आदेश पर कवीन्द्र परमानन्द ने ‘श्रीशिवभारत’ नामक ग्रन्थ की रचना की थी। कवीन्द्र परमानन्द कृत श्रीशिवभारत के अनुसार, “छत्रपति शिवाजी महाराज मिताहारी थे। मिताहारी से तात्पर्य है-मध्यम भोजन से संबंधित योग की एक संकल्पना। इसका मलब है कि शिवाजी महाराज शाकाहारी थे।
तथ्य —2. दूसरा तथ्य यह है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक में कुछ अंग्रेज भी आए थे। अंग्रेजों को मांसाहारी भोजन पूरे रायगढ़ किले में नहीं मिला। अत: उनके लिए रायगढ़ किले के बाहर से मांसाहारी भोजन की व्यवस्था की गई। इससे यह साबित होता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज स्वयं शाकाहारी थे और उन्होंने रायगढ़ किले में मांसाहारी भोजन के लिए जीव हत्या पर रोक लगा रखी थी।
तथ्य —3. साल 1677 में दक्कन विजय के दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज गोलकुण्डा में अबुल हसन कुतुब शाह के यहां रूके थे। गोलकुण्डा में कुतुबशाह ने शिवाजी महाराज के भोजन की व्यवस्था जाति से ब्राह्मण अपने दो मंत्रियों मदन्ना और अकन्ना के यहां की थी। यह तथ्य इस बात का द्योतक है कि छत्रपति शिवाजी महाराज विशुद्ध शाकाहारी थे।
तथ्य —4. छत्रपति शिवाजी महाराज के शाकाहारी होने का सबसे महत्वपूर्ण प्रमाण छत्रपति शम्भाजी महाराज की कृति ‘ब्रजभूषण’ में देखने को मिलता है। शम्भाजी महाराज अपनी कृति ब्रजभूषण में लिखते हैं कि “चोरी करने वाला, मांस खाने वाला, परस्त्री गमन करने वाला नर्क में जाता है। छत्रपति शम्भाजी महाराज द्वारा लिखित इन पंक्तियों से यह साबित होता है कि पिता-पुत्र दोनों ही शाकहारी थे।
छत्रपति शिवाजी महाराज का पसन्दीदा भोजन
इसमें कोई सन्देह नहीं है कि भारतीय इतिहास के सबसे महान राजाओं में से एक होने के बावजूद शिवाजी महाराज को छप्पन भोग की जगह मराठी भोजन बेहद पसन्द थे। बता दें कि छत्रपति शिवाजी महाराज को प्याज, हरी मिर्च, लहसुन, हल्दी और बेसन के साथ बनाया गया पिठला तथा चावल के आटे में नमक व पानी डालकर बनाई गई भाकरी खाना सबसे ज्यादा पसन्द था। ऐसे में हम यह कह सकते हैं कि छत्रपति शिवाजी महाराज का पसन्दीदा भोजन पिठला और भाकरी थी। ध्यान रहे, महाराष्ट्र में चावल के अतिरिक्त ज्वार, बाजरा और रागी से भी भाकरी तैयार की जाती है।
जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि शिवाजी महाराज दिन में केवल एक बार भोजन करते थे, इसलिए वह बेहद पौष्टिक भोजन पर ध्यान देते थे। शिवाजी से जुड़े कुछ स्रोतों में शिवाजी के आहार में ‘कचौरी’ का भी उल्लेख मिलता है, जिसे मक्खन में पकाई गई दाल और चावल के साथ तैयार किया जाता था। कुछ विद्वानों के मुताबिक, विभिन्न प्रकार की सब्जियां और रोटी उनका मुख्य आहार था।
मराठा सैनिकों को दिए जाने वाले आहार
छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके मराठा सैनिक अपने शत्रुओं के खिलाफ अक्सर गुरिल्ला युद्ध करते थे। शिवाजी महाराज अपने सैनिकों को ऊर्जावान बनाने के लिए सूखे फल, भूने हुए अनाज, दालें, फलियां, दूध, दही और घी उपलब्ध करवाते थे।
अचानक हमले के बाद तत्काल ऊर्जा पाने के लिए मराठा योद्धा अक्सर पानी के साथ सत्तू (चने का चूर्ण) का सेवन करते थे। इसके साथ ही मराठा सैनिक अपने साथ भूने हुए चने के साथ गुड़ भी साथ लेकर चलते थे,जिसे लम्बी यात्रा के बाद पानी पीने से पहले खाते थे।
यद्यपि मराठा योद्धा काफी हद तक शाकाहारी थे अत: रोटी के साथ मौसमी सब्जियां उनके आहार का हिस्सा थीं। जो मराठी सैनिक पूर्णतया शाकाहारी नहीं थे, वे अपने आहार में बकरी, मुर्गी और कभी-कभी जंगली जानवर से बने व्यंजन भी शामिल कर लेते थे।
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