
मुगलई पकवान अपने विशिष्ट सुगन्ध और मसालेदार स्वाद के लिए मशहूर हैं। यदि हम मांसाहारी मुगल पकवानों की बात करें तो प्रमुख रूप से मुर्ग मखाना, मुगलई मुर्ग, कीमा मटर, कबाब मुगलई, सीक कबाब, मुर्ग नूरजहां, बिरयानी बादशाही, नवरत्न कोरमा, शाही मटन कोरमा, मीट दरबारी, मुर्ग काली मिर्च, मलाई कोफ़्ता, बोटी कबाब, शहजनानी मुर्ग मसाला, शामी कबाब, शाही मुर्ग मसाला, शाही काजू आलु, रोगन जोश, रोगन कबाब का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है।
इसके अतिरिक्त यदि हम पुलाव की बात करें तो मुगल किचन में एक दो नहीं बल्कि 26 किस्म के पुलाव तैयार किए जाते थे, जैसे- यख़्नी पुलाव, नूर महली पुलाव, मोती पुलाव, किशमिश पुलाव, नरगिस पुलाव, नुक्ती पुलाव, लाल पुलाव, मुज़अफ़र पुलाव, ज़मुर्रदी पुलाव, आबी पुलाव, सुनहरी पुलाव, फ़ालसाई पुलाव, मुर्ग़ पुलाव, रूपहली पुलाव, बैज़ा पुलाव, कोफ़्ता पुलाव, अनानास पुलाव, बिरयानी पुलाव, चुलाव, बकरे का पुलाव, बूंट पुलाव, खिचड़ी, शोला, क़बूली, ताहिरी (तहड़ी) और मुतंजन। इसके अतिरिक्त मीठे व्यंजनों में सिवई, सलवा, फिरनी, खीर, बादाम की खीर, गाजर की खीर, याकूती, नमिश, दूध का दलमा, बादाम का दलमा, कतलमे, जर्दा मुजअफर, खजले आदि का नाम शामिल है।
मुगलों की शाही रसोई तैयार किए जाने वाले कई किस्म के मांसाहारी पकवानों, पुलाव और मीठे व्यंजनों के बारे में हमने संक्षिप्त रूप से उल्लेख कर दिया है। परन्तु यदि हम रोटी की बात करें तो यह बात जानकर आप दंग रह जाएंगे कि मुगल किचन में एक या दो नहीं अपितु 25 किस्म की रोटियां तैयार की जाती थी। मुगल रसोई में तैयार की जाने वाली उन रोटियों के बारे में जानने के लिए यह स्टोरी अवश्य पढ़ें।
1-चपाती
चपाती हिन्दी शब्द ‘चपत’ से निकला है, जिसका अर्थ थप्पड़ या सपाट होता है। दरअसल गीली हथेलियों के बीच पतले आटे को थपकी देकर गोल बनाने की विधि ही चपाती का असली स्वरूप है। मुगलकाल में सबसे पहले अबुल फजल ने अपनी कृति ‘आइन-ए-अकबरी’ में चपाती शब्द का उल्लेख किया है। चपाती बनाने के लिए गेहूं के आटे को पानी, तेल और नमक के मिश्रण से गूंथकर तैयार किया जाता है फिर तवे पर पकाया जाता है।
2- फुल्का
फुल्का रोटी भारत के प्रत्येक घर में बनाई जाती है, जिसे हर किस्म की सब्जी के साथ परोसा जाता है। फुल्का को सीधे खुली आंच पर पकाकर बनाया जाता है। रोटी की तुलना में फुल्का में बहुत कम तेल/घी का उपयोग किया जाता है। इतना ही नहीं, रोटी के मुकाबले फुल्का काफी नरम होता है।
3-पराठे
रोटी का ही एक विशिष्ट स्वरूप है परांठा जो हमारे देश में पराठा, परौठा, परावठा, परांठा और परांवठा आदि नामों से जाना जाता है। रोटी और पराठे में केवल एक ही अंतर है, जहां रोटी को तवे पर सेंकने के पश्चात सीधे आंच पर फुलाया जाता है वहीं परांठे को तवे पर तेल, घी आदि से सेंका जाता है।
4- रोगनी रोटी
रोगनी रोटी में रोगनी फारसी के ‘रोगन’ शब्द से लिया गया है, जिसका हिन्दी अर्थ-मक्खन होता है। रोटी की तुलना में रोगनी रोटी बेहद नरम होती है जिसे केवल दूध और घी के मिश्रण से तैयार किया जाता है। यह रोटी एक सप्ताह तक खराब नहीं होती है।
5-बिरी रोटी
बिरी रोटी एक मौसमी रोटी है, जो खासतौर पर बरसात के दिनों में बनाई जाती है। पुरानी दिल्ली के घरों में आज भी बीरी रोटी बहुत शौक से तैयार की जाती है। बीरी रोटी को गेहूं के मुलायम आटे, भीगीं हुई चने की दाल, हरी मिर्च, हल्दी, स्वादानुसार नमक, बारीक कटी हुई प्याज, अदरक का पेस्ट, जीरा, लौंग, बड़ी इलायची, काली मिर्च, ताजा हरा धनिया, ताजा पुदीना और नींबू के मिश्रण से तैयार किया जाता है। बीरी रोटी को गरम तवे पर देशी घी से सेंका जाता है।
6-बेसनी रोटी
मैदा, बेसन और गेहूं के आटे को एक साथ गूंथकर 15 मिनट के लिए ढंक कर रख देते हैं। इसके बाद रोटी को बेलते हैं फिर तवे को गरम करके इसे दोनों तरफ से हल्का पकाते हैं, जब रोटी दोनों तरफ पक जाए फिर धीमी आंच पर इसे सेंकते हैं। बेसन रोटी सेंकने के बाद इस पर घी या मक्खन लगाकर परोसते हैं।
7-ख़मीरी रोटी
मुगल रसोई में खमीरी रोटी विशेष रूप से बनाई जाती थी। आज भी पार्टी और त्यौहार के मौके पर खमीरी रोटी जरूर तैयार की जाती है। खमीरी रोटी को हर उम्र के लोग पसन्द करते हैं। खमीरी रोटी तैयार करते समय इसमें ड्राई यीस्ट, चीनी, आटा, दूध, तेल, खरबूजे के बीज, तिल, कलौंजी और हरा धनिया चाहिए होता है। आटे में यीस्ट डालकर उसे खमीरा बनाया जाता है। इसके बाद इसकी रोटी बनाकर इस पर तिल, कलौंजी और हरा धनिया लगाया जाता है।
8-नान
नान को पारंपरिक रूप से मैदे से तैयार किया जाता है। जबकि रोटी गेहूं के आटे से बनाई जाती है। नान खमीरयुक्त होता है जिसे ओवन के साथ ही तंदूर में भी पकाया जा सकता है। हल्के और फूले हुए टेक्सचर के साथ बेकिंग के दौरान सुनहरे-भूरे रंग के धब्बे नान की खासियत है।
9- शीरमाल
शीरमाल केसर के स्वाद वाली एक ईरानी मीठी रोटी है। यह मीठी रोटी पुरानी दिल्ली के घरों में आज भी बनाई जाती है। शीरमाल अन्य रोटियों से मोटी होती है। यह मैदा, दूध, चीनी तथा मेवों का प्रयोग करके बनाई जाती है। यही कारण है कि इसे शीरमाल कहते हैं।
सबसे पहले मैदा, यीस्ट, चीनी पाउडर, पिंच नमक व गरम दूध डालकर शीरमाल का आंटा गूंथे। फिर इस तैयार आंटे को एक मिनट तक ढककर रख दीजिए। इस आटें को हल्का मसलकर लोई तोड़ लीजिए। फिर लोई को थोड़ा मोटा बेलकर रोटी बना लें और इस पर चम्मच से निशान बनाकर उसे तंदूर में अच्छे से बेक करें। जब रोटियां हल्की गुलाबी नजर आएं तो उन्हें ओवन से निकाल लें फिर दोनों तरफ घी लगाकर सर्व करें।
10- ताफ़तान
ताफ़तान को शीरमाल का ही एक किस्म माना जाता है। यह तंदूर में नहीं पकती है।
10-गाव दीदा
यह एक प्रकार की मैदे की ख़मीरी रोटी है। इसकी विशेष जानकारी उपल्ब्ध नहीं है।
11- गाज़ेबान
इस मुगलई रोटी की भी जानकारी उपलब्ध नहीं है।
12- तुनकी
यह एक रोटी की किस्म है जो खाने में खस्ता और पापड़ से ज्यादा महीन होती है।
13- बाकराखानी
बाकराखानी नामक मुगलई रोटी हल्का मीठा स्वाद लिए होती है जिसे मैदा, सूजी, अंडा, चीनी, दूध, घी तथा नमक डालकर तैयार किया जाता है। इन सामग्रियों को मिलाकर इन्हें गूंथा जाता है और फिर एक घंटे तक खमीर करने के लिए छोड़ा जाता है। तब यह रोटी बनती है। इसे तंदूर में बनाया जाता है। यह खुशबूदार तथा शीरमाल से बहुत मुलायम होती है।
14- रूमाली
रूमाल की तरह पतली और मुलायम होने के कारण इसे रूमाली रोटी कहा गया है। इसे मैदा, गेहूं के आटे तथा दूध के साथ गूंथा जाता है, फिर इसकी बेहद पतली-पतली रोटियां बनाई जाती है।
15- गाव ज़बान
यह एक प्रकार का छोटा पराठा है जिसे तंदूर में शीरमाल की तरह पकाया जाता है। हांलाकि इसकी विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है।
16-कुल्चा
कुल्चा नामक मुगलई रोटी का जन्मस्थान ईरान को माना जाता है। मैदा को दही के साथ मल कर खमीर उठाया जाता है। फिर उसे तंदूर में पकाया जाता है। कुल्चे को प्राय: नाहरी, छोले आदि के साथ खाया जाता है।
17- ग़ौसी रोटी
मुगलई रोटी की एक खास क़िस्म जिसकी खास जानकारी उपलब्ध नहीं है।
18- बादाम की रोटी
जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि इस मुगलई रोटी को बादाम के आटे से तैयार किया जाता है। बादाम का आटा प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और फाइबर से भरपूर होता है जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पचने में भी आसान होता है।
19- पिस्ते की रोटी
पिस्ता में कैलोरी, कार्ब्स, प्रोटीन, वसा, पोटैशियम, फॉस्फोरस, विटामिन बी6, थायमिन, कॉपर, मैंगनीज प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। पिस्ते के आटे से तैयार यह रोटी न केवल ओवरईटिंग से बचाती है बल्कि आंखों की रोशनी बढ़ाने के साथ-साथ पाचनतंत्र को भी मजबूत बनाती है।
20-चावल की रोटी
चावल की रोटी पूरे भारत में पसन्द की जाती है। चावल की रोटी बैंगन के भरते के अलावा सीताफल की सब्जी के साथ बड़े चाव से खाई जाती है। गर्म पानी और तेल डालकर चावल के आंटे को आंटे गूंथा जाता है तत्पश्चात 15 मिनट तक ढंककर रख दिया जाता है। ताकि चावल के आंटे की लोई नरम हो जाए। इसके बाद चावल के आटे की लोई को हाथों से दबाते हुए बेल लेते हैं फिर तवे पर सेंककर यह रोटी तैयार की जाती है।
21- गाजर की रोटी
गाजर की रोटी बेहद मुलायम होती है। गाजरी की रोटी बिना नमक वाले मक्खन, दूध, अंडे, चीनी और कद्दूकस गाजर से तैयार की जाती है। गाजर की रोटी को ओवन में तैयार किया जाता है।
22- मिस्री की रोटी
मैदा, चीनी और घी से मिस्री की रोटी तैयार की जाती है। मिस्री की रोटी में पानी नहीं डाला जाता है। मैदा और चीनी में थोड़ा घी डालकर आटा गूंथे। आटा न ज्यादा मुलायम हो और ना ही ज्यादा सख्त हो। मिस्री के आटे को पिस्ते, इलाइची पाउडर और रंग बिरंगी मिश्री कटिंग से सजाएं। फिर उसे धीमी आंच पर ओवन में रखकर सुनहरा होने तक बेक करें।
23-नान पंबा
इस मुगलई रोटी के बारे में खास जानकारी उपलब्ध नहीं है।
24- बादाम की नान खटाई
बादाम, मैदा, बेसन (चने का आटा), रवा (सूजी) और चीनी पाउडर से तैयार की जाती है बादाम नानखटाई। ध्यान रहे, बादाम नानखटाई में असली घी का इस्तेमाल किया जाता है जो न तो पिघला हुआ हो और न ही ठोस। बादाम नानखटाई का स्वाद बढ़ाने के लिए इलायची, गुलाब या केसर का प्रयोग करें।
25-पिस्ते की नान खटाई
पिस्ते की नानखटाई मुंह में घुलने वाली होती है। यह खाने में बेहद स्वादिस्ट होती है। इसे तैयार करने के लिए गेहूं का आटा, दानेदार चीनी, मक्खन, पिस्ता, सफेद इलायची, दूध की जरूरत पड़ती है।
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