आज की तारीख में हिन्दुस्तान के हर घर की थाली में पापड़ जरूर नजर आता है। भोजन की थाली में चावल-दाल, चावल-सांभर, चावल-कढ़ी व सब्जी के साथ पापड़ ‘सोने पर सुहागा’ का काम करता है। उत्तर भारत में कुछ लोग खिचड़ी के साथ पापड़ खाना बहुत ज्यादा पसंद करते हैं। इससे जुड़ी एक कहावत बेहद लोकप्रिय है- ‘खिचड़ी के चार यार- घी, पापड़, दही और अचार।’ आज भी गांव हो या शहर तकरीबन प्रत्येक घर की महिलाएं अपने हाथों से ही तरह-तरह के पापड़ तैयार कर लेती हैं लेकिन पापड़ बनाने के काम में अब कई बड़ी कंपनियां भी अपने पांव पसार चुकी हैं। ऐसे में बाजार में कई तरह के बेहद लजीज और कुरकुरे पापड़ मौजूद हैं।
सामान्यतौर पर मूंग, चना, चावल और आलू से बनने वाले पापड़ की उत्पत्ति को लेकर सटीक प्रमाण मौजूद नहीं हैं लेकिन इतना अवश्य है कि इसका जन्म स्थान भारतीय उपमहाद्वीप ही है। केवल भारत ही नहीं बल्कि नेपाल, बंगला देश, पाकिस्तान और श्रीलंका सहित अन्य देशों में भी पापड़ बेहद लोकप्रिय है। भारत में तो पापड़ के कई नाम हैं और कई वेराइटीज हैं। फिर देर किस बात की आइए शुरू करते हैं अतिस्वादिष्ट पापड़ की रोचक कहानी।
पापड़ का सर्वप्रथम उल्लेख
पापड़ कितना पुराना व्यंजन है, इसे लेकर भोजन इतिहासकारों में मतभेद है। कुछ भोजन इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग दाल के आटे से ‘पयूर्षण’ नामक रोटी बनाते थे फिर इस रोटी को तलकर नाश्ते के रूप में खाते थे। इस प्रकार पापड़ का यह प्रतिरूप तकरीबन 8000 साल पुराना है। वहीं 11वीं सदी में रचे गए जैन साहित्य में पापड़ का सर्वप्रथम उल्लेख मिलता है। मारवाड़ में जैन समुदाय के लोग बेहद पुराने समय से अपनी यात्राओं में पापड़ लेकर चलते थे क्योंकि यह खाने में बेहद स्वादिष्ट और वजन में भी अत्यंत हल्का होता है।
भोजन इतिहासकार के.टी. आचार्य अपनी किताब 'ए हिस्टोरिकल डिक्शनरी ऑफ इंडियन फूड' में लिखते हैं कि उड़द, मूंग और चने की दाल से तैयार किए जाने वाले पापड़ का इतिहास 1500 साल पुराना है। कुछ अन्य स्रोतों के मुताबिक मध्य एशिया में मुगल अपने साथ ‘पापड़म’ नामक व्यंजन लाए थे, जो पिसी हुई दाल या चने से बनाया जाता था।
भारत विभाजन से जुड़ी है पापड़ के लोकप्रियता की कहानी
वैसे तो पापड़ का इतिहास बेहद पुराना है लेकिन साल 1947 में जब भारत का विभाजन हुआ तो सिन्ध प्रान्त तथा बलूचिस्तान (अब पाकिस्तान में) के रहने वाले सिन्धी हिन्दू भारत आए तो पापड़ भी अपने साथ लाए। बता दें कि सिन्ध तथा बलूचिस्तान की हवा और उच्च तापमान पापड़ बनाने के लिए उपयुक्त था, इसलिए सिन्धी लोग पानी की भरपाई और शरीर को तरोताजा रखने के लिए पापड़ का सेवन करते थे। चूंकि सिन्ध और बलूचिस्तान में पापड़ की ज्यादा खपत होती थी, ऐसे में यहां के लोग पापड़ का व्यवसाय करने लगे थे।
देश के बंटवारे के बाद जब सिन्धियों को अपना गांव-घर छोड़कर शरणार्थी बनना पड़ा तो उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। भोजन तो दूर पापड़ ही उनके पेट भरने का सहारा था। इसलिए भारत के स्थानीय लोग सिन्धी लोगों को ‘पापड़ खाऊ’ कहकर बुलाते थे। शरणार्थी कैम्पों में रहने वाली सिन्धी महिलाएं अपना पेट भरने तथा जीविका चलाने के लिए पापड़ का झोला लेकर चिलचिलाती धूंप में अपने बच्चों के साथ पापड़ बेचा करती थीं। विभाजन का वह दौर तो चला गया लेकिन सिन्धी लोगों द्वारा पापड़ बेचकर जीविका चलाने का परिश्रम बेहद काम आया। आज सिन्धी लोगों की ही बदौलत स्वादिष्ट पापड़ भारत के हर घर की थाली में दिखने लगा है।
कई तरह से तैयार किए जाते हैं पापड़
लोग अलग-अलग तरह की सामग्रियों तथा मसालों से तैयार पापड़ खाना पसन्द करते हैं। किसी को मूंग पापड़, चना दाल पापड़, रागी पापड़, खिचिया पापड़ तो किसी को आलू पापड़ खाना बेहद पसन्द होता है। इन पापड़ों में स्वादानुसार जीरा, मिर्च पाउडर, हींग तथा हल्दी जैसे मसालों का प्रयोग किया जाता है। हांलाकि आजकल पापड़ की वैराइटी का अंदाजा लगाना मुश्किल काम है लेकिन उत्तर तथा दक्षिण भारतीय घरों में जो पापड़ महिलाएं तैयार करती हैं उसके बारे में बताना बेहद जरूरी है।
आलू पापड़- उत्तरी भारत विशेषकर यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब तथा दिल्ली जैसे राज्यों में आलू पापड़ की खासी डिमांड है। उबले हुए आलू को मैश कर उसमें नमक, जीरा का उपयोग करके आलू पापड़ तैयार किया जाता है। भोजन की थाली में आलू पापड़ का नजर आना यहां आम बात है।
खिचिया पापड़- गुजराती थाली में खिचिया पापड़ नजर न आए ऐसा हो ही नहीं सकता। गुजरात में चावल के आटे से खिचू तैयार किया जाता है जिसे लोग बड़े चाव से खाते हैं। खिचू के आटे में ही नमक, जीरा मिलाकर जो पापड़ तैयार किया जाता है, उसे खिचिया पापड़ कहते हैं। खिचिया पापड़ का स्वाद आप केवल गुजरात दर्शन करके ही ले सकते हैं वरना देश के अन्य हिस्सों में यह देखने को भी नहीं मिलता है।
रागी पापड़- महाराष्ट्र में रागी पापड़ की खूब डिमांड है। गहरे भूरे रंग का यह मोटा पापड़ रागी के आटे से तैयार किया जाता है। कुछ लोग मूंग दाल पीसकर उसके आटे से मूंग दाल पापड़ बनाते हैं, जो कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।
साबूदाना पापड़- साबूदाना पापड़ की डिमांड पूरे देश में त्यौहारों के सीजन में देखने को मिलती है। अक्सर नवरात्रि के दिनों में साबूदाना से तैयार पापड़ को लोग स्नैक के रूप में खाना खूब पसन्द करते हैं। घी, नमक और जीरा को मिक्स कर साबूदाना पापड़ तैयार किया जाता है, जो खाने में बेहद कुरकुरा और स्वादिष्ट होता है।
उड़द पापड़- उड़द दाल का आटा बनाकर उसमें जीरा और नमक मिलाकर उड़द पापड़ तैयार किया जाता है। उड़द पापड़ खाने में बेहद लजीज और हल्का होता है।
चावल पापड़- चावल के आटे और नमक से तैयार चावल पापड़ दक्षिण भारतीय थाली में चावल-सांभर के साथ जरूर नजर आता है। कुछ लोग इसमें अतिरिक्त स्वाद के लिए घर का मसाला भी मिलाते हैं। लेकिन इन दिनों गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र के बड़े शहरों में भी चावल पापड़ खूब बिक रहा है।
चना दाल पापड़- भोजन की थाली में कढ़ी, सांभर तथा चावल के साथ चना दाल पापड़ भी बड़े शौक से परोसा जाता है। इस मसालेदार पापड़ को मैदा, चना दाल, जीरा और नमक मिक्स कर तैयार किया जाता है।
अलग-अलग राज्यों में है अलग-अलग नाम
भोजन की थाली का स्वाद दोगुना करने वाले व्यंजन का नाम पापड़ है। भारत में इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता सकता है कि अलग-अलग राज्यों में इसके अलग-अलग नाम हैं। समस्त हिन्दी भाषी राज्यों में इसे पापड़ ही कहा जाता है। जबकि केरल में इसे पापड़म, उड़ीसा में पम्पाड़ा, कर्नाटक में हप्पला, आंध्र प्रदेश में अप्पदम, तमिलनाडु में अप्पलम के नाम से जाना जाता है।
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