भारत की अतिस्वादिष्ट मिठाईयों में रसमलाई, रसगुल्ला, कलाकन्द, पेंडा, बर्फी, इमरती, जलेबी को लोकप्रियता हासिल है लेकिन ये सभी मिठाईयां गुलाम जामुन के बिना अधूरी हैं। शादी, समारोह व जन्मदिन से लेकर हर छोटे-बड़े कार्यक्रमों में परोसे जाने वाली थाली में गुलाब जामुन की शोभा देखते ही बनती है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी की पसन्दीदा मिठाई का नाम गुलाम जामुन है।
सबसे बड़ी बात यह है कि भारत जैसे विशाल देश के प्रत्येक राज्य में गुलाब जामुन का क्रेज देखते ही बनता है। हांलाकि हिन्दुस्तान में प्रत्येक व्यंजन का अपना अलग इतिहास है, जाहिर है आपके मन में भी यह सवाल जरूर उठता होगा कि आखिर गुलाब जामुन का इतिहास क्या है, यह अतिस्वादिष्ट मिठाई कैसे बनी होगी? जी हां, आज हम इस स्टोरी में गुलाम जामुन से जुड़े रोचक इतिहास पर प्रकाश डालने की कोशिश करेंगे।
‘गुलाब जामुन’ शब्द की उत्पत्ति
फारसी भाषा में गुलाब शब्द गुल (फूल) और आब (पानी) से मिलकर बना है, जिसका तात्पर्य है गुलाब की सुगन्ध वाला मीठा पानी। इसे गुलाब जल भी कहा जा सकता है। दूसरा शब्द है-जामुन अर्थात यह एक लोकप्रिय भारतीय फल है, इस फल को हिन्दी और उर्दू में जामुन ही कहा जाता है। चूंकि स्वादिष्ट मिठाई का रंग और रूप जामुन से मिलता है, इसलिए लोगों ने इस मिठाई को गुलाब जामुन कहना शुरू कर दिया। आपको बता दें कि गलाब जामुन एक फल भी होता है, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है। शुद्ध खोये, घी, मैदे और चीनी से निर्मित गुलाब जामुन का इतिहास बड़ा ही रोचक है।
बामीह की नकल है गुलाब जामुन
मशहूर भोजन इतिहासकार माइकल क्रोनडल अपनी किताब ‘डोनट: ह़ास्ट्री, रेसिपीज़ एंड लोर फ्रॉम बोस्टन टू बर्लिन’ में लिखते हैं कि अतिस्वादिष्ट मिठाई गुलाब जामुन की उत्पत्ति सल्तनत काल के दौरान हुई थी क्योंकि ईरान का मीठा व्यंजन बमीह और तुर्की का तुलुम्बा बिल्कुल गुलाब जामुन की तरह ही बनाया जाता है।
ईरान की एक लोकप्रिय मिठाई का नाम बामीह है जिसे तुर्की में तुलुम्बा, अरबी में दतली /बलाह अलशाम या असाबे ज़ैनब और मैक्सिकन/स्पेनिश व्यंजनों में चुरोस कहा जाता है। बता दें कि ईरानी व्यंजन बामीह और तुर्की तुलुम्बा बिल्कुल गुलाब जामुन जैसे ही दिखते हैं। इन दोनों व्यंजनों के बनाने की प्रक्रिया भी बिल्कुल गुलाब जामुन की तरह ही है। ईरान में मैदे को घी में तलने के बाद के बाद केसर युक्त चीनी की चाशनी में भीगोकर बामीह तैयार किया जाता है। रमजान के महीने में यह मिठाई विशेष रूप से बनाई जाती है। वहीं तुर्की में चीनी की चाशनी की जगह नींबू की स्वादवाली चाशनी का इस्तेमाल किया जाता है। मोरक्कों में चीनी की चाशनी की जगह गर्म शहद का उपयोग किया जाता है। वहीं चुरोस को केवल चीनी और दालचीनी पाउडर के साथ लेपित करके तैयार किया जाता है।
मुगल बादशाह शाहजहां के खानसामे से जुड़ा किस्सा
एक स्टोरी यह है कि मुगल बादशाह शाहजहां के शाही रसोईये ने एक बार गलती से एक मिठाई तैयार की जिसे बादशाह के सामने पेश किया गया। दरअसल यह मिठाई ईरानी व्यंजन 'लुकमत-अल-कादी' से मिलती-जुलती थी जिसे गुलाब जामुन कहा गया। ईरानी व्यंजन 'लुकमत अल-कादी' को भी मैदे की गोलियों को घी में तलने के बाद शहद या चीनी की चाशनी में भिगोकर बनाया जाता है। ईरान के बाद यह मिठाई टर्की में आई, इसके बाद तुर्की लोग ही इसे भारत में लेकर आए।
मध्य पूर्व में ‘लुकमत अल-कादी’ सबसे लोकप्रिय व्यंजनों में से एक है। 13वीं सदी के व्यंजन ‘लुकमत अल-कादी’ का उल्लेख कई पाककला पुस्तकों में मिलता है। यह व्यंजन तुर्की में ‘लोकमा’ के नाम से लोकप्रिय है। यह व्यंजन इजिप्ट, लेबनान, सीरिया और जॉर्डन में भी इसी नाम से पॉपुलर है हांलाकि खाड़ी देशों में इसके बनाने की प्रक्रिया थोड़ी अलग है। लोकमा को तैयार करते समय आटा को तला जाता है फिर इसे शहद या सिरप में डुबोया जाता है और ऊपर से दालचीनी डाली जाती है। वहीं गुलाब जामुन बनाते समय मैदे और खोये को मिश्रित कर घी में तला जाता है, इसके बाद चीनी की चाशनी में डूबोया जाता है। यह स्पष्ट है कि लकुमत अल-कादी और गुलाब जामुन के बनाने की प्रक्रिया बिल्कुल एक जैसी है।
वायसराय लॉर्ड केनिंग से जुड़ा एक दूसरा किस्सा
स्टोरी के मुताबिक, ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड केनिंग की पत्नी के लिए कोलकाता के एक हलवाई भीमचन्द्र नाग से एक विशेष मिठाई तैयार करने को कहा गया था। चूंकि लेडी केनिंग मिठाई खाना बहुत पसन्द करती थीं अत: लोग इस बात को अच्छी तरह जानते थे कि मशहूर हलवाई भीमचन्द्र नाग कुछ नया और बेहतरीन मिठाई जरूर पेश करेगा।
भीमचन्द्र नाग द्वारा तैयार की गई मिठाई जब लेडी केनिंग को परोसी गई तो वह इसे खाकर बहुत खुश हुईं। दरअसल भीमचन्द्र नाग की यह मिठाई गोल होने की बजाय बेलनाकार थी। यह मिठाई धीरे-धीरे इतनी लोकप्रिय हुई कि लोग इसे लेदिकेनी (लेडीकेनी) कहने लगे। अब सभी समारोहों में इस मिठाई को विशेष तरजीह मिलने लगी।
गुलाब जामुन बनाने की आसान रेसिपी
भारत की लोकप्रिय मिठाई गुलाब जामुन को लोग अपने घरों में ही बड़ी आसानी से तैयार कर लेते हैं और परिवार के साथ बैठकर इसे बड़े चाव से खाते हैं। गुलाब जामुन बनाने से पहले सामग्री के रूप में आपको खोया, इलायची, मैदा और चीनी तैयार रखनी होती है।
सबसे पहले आप खोए तथा मैदे को बेकिंग सोडा के साथ अच्छे से मिक्स कर लें। यह ध्यान रहे कि यह मिश्रण बिल्कुल लचीला होना चाहिए। इसके बाद मैदे और खोए के इस मिश्रण को हाथों में लेकर गोल आकार दें। फिर धीमी आंच पर इसे घी में गोल्डन ब्राउन होने तक फ्राई करें। गोल जामुन की तरह दिखने वाले इस गोली को आप अलग रखते जाएं। अंत में चीनी की गाढ़ी चाशनी तैयार करें। जब यह चाशनी थोड़ी ठंडी हो जाए तो इसे छलनी या फिर मलमल के कपड़े से छान लें। फिर इसमें गुलाम जामुन को डाल दें। अपने प्रियजनों को परोसने से पहले गुलाब जामुन को तकरीबन आधे घंटे तक चीनी की चाशनी में डूबोकर रखें।
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