सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान जेल में बंद होने के कारण कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शामिल सुभाष चन्द्र बोस की तबियत खराब हो चुकी थी। ऐसे में ब्रिटीश सरकार सुभाष चन्द्र बोस को इलाज के लिए यूरोप भेजने पर राजी हो गई हांलाकि इलाज का पूरा खर्च उनके परिवार को ही वहन करना था। लिहाजा साल 1934 में सुभाष चन्द्र बोस आस्ट्रिया की राजधानी वियना गए।
‘द इंडियन स्ट्रगल’ नामक फेमस किताब लिखने के दौरान उनकी जिन्दगी में बतौर टाइपिंग असिस्टेंट एक खूबसूरत आस्ट्रियाई युवती एमिली शेंकल का दाखिला हुआ। उस वक्त सुभाष चन्द्र बोस 37 वर्ष के थे जबकि एमिली शेंकल महज 23 साल की थी। सिर्फ भारत की आजादी के लिए जीने वाले सुभाष चन्द्र बोस को पता भी नहीं चला और वह खूबसूरत युवती एमिली के प्यार में गिरफ्तार हो गए। सुभाष चन्द्र बोस और एमिली ने 26 दिसंबर, 1937 को आस्ट्रिया के बादगास्तीन में शादी कर ली, जो उन दोनों का पसंदीदा रिजॉर्ट हुआ करता था।
सबसे बड़ी बात कि आस्ट्रियाई युवती होते हुए भी एमिली ने शादी के दौरान एक हिन्दू दुल्हन की तरह सिन्दूर धारण किया था। सुभाष चन्द्र बोस ने इस शादी को इतना गोपनीय रखा था कि उनके भतीजे अमिय बोस जब उनसे मिलने पहुंचे तब एमिली शेंकल उनके चाचा की महज असिस्टेंट ही लगीं।
सुभाष चन्द्र बोस ने इस शादी को गोपनीय क्यों रखा?
अब सवाल यह उठता है कि सुभाष चन्द्र बोस और एमिली शेंकल ने अपने विवाह को इतना गोपनीय क्यों रखा? इस बारे में प्रसिद्ध इतिहासकार रुद्रांशु मुखर्जी का कहना है कि, “किसी विदेशी महिला से शादी की बात उजागर होने पर सम्भवतः उनके छवि पर असर पड़ सकता था, इतना ही नहीं, शायद वह इसका असर अपने राजनीतिक करियर पर भी नहीं पड़ने देना चाहते थे।”
यह ध्यान देने योग्य बात भी है कि जब सुभाष चन्द्र बोस ने आस्ट्रियाई युवती एमिली शेंकल से शादी की तब भारत के राजनीतिक और बौद्धिक वर्ग में उनकी लोकप्रियता चरम पर थी। बतौर उदाहरण- साल 1938 में हरिपुरा अधिवेशन में सुभाष चंद्र बोस को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। इतना ही नहीं इसके अगले वर्ष भी यानि 1939 में त्रिपुरी अधिवेशन में गांधी जी के उम्मीदवार पट्टाभाई सीतारमैया को हराकर सुभाष चंद्र बोस एक बार फिर से कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि देशवासियों के बीच नेताजी के नाम से मशहूर सुभाष चन्द्र बोस ने जब जापान और जर्मनी से सहायता लेने का प्रयास किया तो ब्रिटिश सरकार ने अपने गुप्तचरों को 1941 में उन्हें खत्म करने का आदेश दिया था।
इसी घटना क्रम के बीच सुभाष चन्द्र बोस और एमिली शेंकल के प्यार निशानी के तौर पर 29 नवम्बर 1942 को एक बेटी का जन्म हुआ। सुभाष चन्द्र बोस अपनी बेटी को देखने के लिए वियना पहुंचे और इटली के क्रांतिकारी नेता गैरीबाल्डी की पत्नी अनीता गैरीबाल्डी के नाम पर अपनी बेटी का नाम अनीता रखा।
इसके बाद सुभाष चन्द्र बोस अपनी एक माह की बेटी और अपनी पत्नी को छोड़कर आजादी के उस महान मिशन पर निकल गए जहां से वह कभी वापस नहीं लौटे। सुभाष चन्द्र बोस की यादों के सहारे उनकी पत्नी एमिली शेंकल 1996 तक जीवित रहीं और अपनी बेटी अनीता बोस को पढ़ा-लिखाकर जर्मनी का मशहूर अर्थशास्त्री बनाया।
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क्या पं. नेहरू जानते थे कि सुभाष बाबू ने शादी कर ली है?
ऐसा माना जाता है कि सुभाष चन्द्र बोस और एमिली शेंकल की लव स्टोरी और शादी की जानकारी पं. नेहरू को पहले से ही थी। यह वह दौर था जब सुभाष और नेहरू न केवल एक दूसरे पर भरोसा करते थे बल्कि एक दूसरे के बेहद करीब भी थे। सुभाष चन्द्र बोस और पं. नेहरू के बीच नजदीकियां तब और ज्यादा बढ़ गईं जब उनकी पत्नी कमला नेहरू टीबी की बीमारी से ग्रसित हो गईं और इलाज कराने यूरोप गईं। उन दिनों पं जवाहरलाल जेल में बंद थे। सुभाष चन्द्र बोस विशेष रूप से कमला नेहरू को देखने के लिए बाडेनवाइलर गए।
जेल से रिहा होने के बाद पं. नेहरू जब यूरोप पहुंचे तो बोस उनसे मिलने के लिए ब्लैक फ़ॉरेस्ट रिसॉर्ट गए। इसके बाद ये दोनों एक ही बोर्डिंग हाउस में रूके। जब कमला नेहरू की हालत थोड़ी बेहतर हुई तो सुभाष चन्द्र बोस आस्ट्रिया चले गए। इतना ही नहीं, स्विटज़रलैंड के लुजान शहर में 28 फ़रवरी 1936 को जब कमला नेहरू का निधन हुआ उस वक्त पं. नेहरू और इंदिरा गांधी के साथ सुभाष चन्द्र बोस भी मौजूद थे। सुभाष बाबू ने ही कमला नेहरू के अंतिम संस्कार की व्यवस्था करवाई। इस घटना ने पं. नेहरू और सुभाष चन्द्र बोस के संबंधों को और भी घनिष्ट बना दिया था।
कहा जाता है कि जब सुभाष चन्द्र बोस के शादी की बात उनके परिवारवालों को भी नहीं पता थी तब पं. नेहरू इस बारे में जानते थे। यह बात इसलिए पुख्ता हो जाती है क्योंकि भारत के आजाद होते ही पं. नेहरू ने सुभाष चन्द्र बोस की पत्नी ऐमिली शेंकल के लिए भारत सरकार की तरफ से नियमित रूप से एक रकम भेजने का प्रावधान किया, उन दिनों यह रकम 6000 रुपए के आस-पास बताई जाती है। इतना ही नहीं सुभाष चन्द्र बोस की बेटी अनीता बोस जब 19 वर्ष की थी तब पं. नेहरू ने उन्हें भारत बुलवाया। दिल्ली में अनीता बोस की अगुवानी पं. नेहरू की भतीजी नयनतारा सहगल ने किया था। तत्पश्चात अनीता बोस को प्रधानमंत्री आवास में ठहराया गया।
गौरतलब है कि जब सुभाष चन्द्र बोस जर्मनी से जापान के लिए रवाना हुए उस वक्त उनकी बेटी अनीता बोस महज एक माह की थी। अनीता बोस का मानना है कि उनके पिता सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में एक विमान दुर्घटना में हुई थी। अनीता बोस का यह भी मानना है कि जापान के रेंकोजी मंन्दिर में रखी अस्थियां उनके पिता की हैं। इसलिए अनीता बोस ने रेंकोजी मंदिर में संरक्षित अस्थियों के डीएनए परीक्षण के लिए भारत सरकार से याचिका भी दायर की थी।
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