बादशाह शाहजहां का 30 वर्षीय शासनकाल मुगल साम्राज्य के वैभव और शक्ति की पराकाष्ठा था। परन्तु शाहजहां के आखिरी आठ वर्ष आगरा किले की एक शानदार इमारत में कैदी के रूप में बीते। शाहजहां की बड़ी बेटी जहांआरा बेगम ने अपनी इच्छा से आठ वर्ष तक एक कैदी की तरह अपने पिता की मृत्यु तक सेवा की।
ज्यादातर इतिहासकार लिखते हैं कि औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां को कैद के दौरान साधारण आराम की वस्तुओं से वंचित रखा। परन्तु यह सच नहीं है, क्योंकि शाहजहां जिस इमारत में कैद था, उस इमारत की खूबियों से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि शाहजहां को रहने के लिए कितनी आराम पसन्द इमारत दी गई थी।
हां, यह अलग बात है कि हिन्दुस्तान की बादशाहत छीन जानें, अपने सभी पुत्रों की नृशंस हत्या तथा एक कैदी के रूप में जीवन व्यतीत करने के कारण शाहजहां का मानसिक जीवन कष्टदायी रहा होगा। आगरा किले की जिस इमारत में औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां को कैद कर रखा उसके बारे में जानने के लिए इस स्टोरी को जरूर पढ़ें।
औरंगेजब का कैदी था शाहजहां
शाहजहां को मुगल इतिहास में न्यायप्रिय और वैभव-विलासिता वाले बादशाह के रूप में याद किया जाता है। यही नहीं, शाहजहां को एक ऐसे आशिक के रूप में भी जाना जाता है जिसने अपनी प्रिय बेग़म मुमताज़ बेगम के लिए विश्व प्रसिद्ध इमारत ताजमहल का निर्माण करवाया। शाहजहां के शासनकाल में मुग़ल साम्राज्य की समृद्धि, शान−शौक़त और ख्याति चरम सीमा पर थी परन्तु 1657 ई. में जब वह बीमार पड़ा और उसकी तबियत ज्यादा खराब हुई तो उसने झरोखा दर्शन देना बन्द कर दिया। ऐसे में शाहजहां की मृत्यु की आशंका मात्र से उसके सभी पुत्र गद्दी प्राप्त करने के लिए उत्सुक हो उठे।
यद्यपि शाहजहां ने दाराशिकोह को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर रखा था। बावजूद इसके मुगल सिंहासन के लिए उसके पुत्रों में उत्तराधिकार युद्ध शुरू हुआ। इस दौरान औरंगज़ेब ने सबसे पहले अपने पिता शाहजहां को आगरा के किले में बन्दी बनाया तत्पश्चात अपने भाईयों (दारा शिकोह, शाहशुजा और मुराबख्श) का नृशंसतापूर्वक वध कर दिया और स्वयं को शासक घोषित किया।
औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां को आगरा किले की जिस इमारत में कैद करके रखा उससे शाह बुर्ज अथवा मुसम्मन बुर्ज कहा जाता है। इसी छह मंजिला भवन से शाहजहां कभी आदेश जारी किया करता था। इसके अतिरिक्त शाही हरम की महिलाएं हाथियों का युद्ध देखा करती थीं।
शाहजहां के जीवन के आखिरी आठ वर्ष (जुलाई 1658 ई. से जनवरी 1666 ई. तक) मुसम्मन बुर्ज में ही बीते तथा जहां उसकी बड़ी बेटी जहांआरा बेगम ने अपनी स्वेच्छा से शाहजहां के साथ आठ साल के कारावास में हिस्सा लिया और अपने पिता की सेवा[-सुश्रुषा की। मुसम्मन बर्जु से ही ताजमहल को निहारते हुए जनवरी, 1666 ई. शाहजहां की मृत्यु हो गई। इसके बाद शाहजहां को ताजमहल में उसकी प्रिय बेगम मुमताज महल के बगल में दफनाया गया।
मुसम्मन बुर्ज अथवा शाह बुर्ज
आगरा के किले में शाहजहां के निजी कक्ष दीवान-ए-खास के पास बनी इमारत को शाह बुर्ज अथवा मुसम्मन बुर्ज कहा जाता है। मुसम्मन बुर्ज को सुरक्षा के दृष्टिकोण से बनवाया गया था, जहां से पूरे शहर का नजारा देखा जा सकता है। आगरा किले की सुरक्षा के लिए यहां सैनिक हमेशा मौजूद रहा करते थे।
यमुना नदी के किनारे पर स्थित मुसम्मन बुर्ज एक अष्टकोणीय मीनार है, जिसे शाहजहां ने साल 1631 से 1640 के मध्य अपनी प्रिय बेगम मुमताज महल के लिए बनवाया था। मुसम्मन बुर्ज में पच्चीकारी का काम दर्शकों को आश्चर्यचकित कर देता है। मुसम्मन बुर्ज जितना ऊपर नजर आता है, उससे कहीं अधिक यह नीचे की तरफ बना हुआ है।
मुसम्मन बुर्ज से ताजमहल का शानदार नजारा दिखाई देता है। मुसम्मन बुर्ज के शिखर पर तांबे की परत चढ़ाई गई है। आगरा किले में मौजूद मुसम्मन बुर्ज एक स्वतंत्र इमारत है जिसमें अलग से प्रांगण और स्नानघर बने हुए हैं। इस स्नानघर का इस्तेमाल मुगल शाही परिवार के सदस्य किया करते थे। मुसम्मन बुर्ज से ही दीवान-ए-ख़ास तक पहुँचने के लिए एक रास्ता भी है।
इस इमारत में संगमरमर से बना एक कमरा भी है जिसे गर्मी के दिनों में चैनल की मदद से ठंडा रखा जाता था। आसान शब्दों में कहिए तो यह एक वातानुकूलित कमरा था। मुसम्मन बुर्ज के स्तंभों, रेलिंग तथा दीवारों पर फैशनेबल फ्रिंज और कटे हुए पौधे, चीनी बादलों की आकृतियाँ और साधारण फूलों की डिज़ाइनें उकेरी गई हैं।
वर्तमान में मुसम्मन बुर्ज को पर्यटकों की सुरक्षा के लिए बंद कर दिया गया है। दरअसल आगरा किले का प्रत्येक पर्यटक इस बुर्ज पर जरूर जाता था क्योंकि यहां से ताजमहल का शानदार नजारा दिखता है। चूंकि इस बुर्ज के नीच गहरी खाईं है अत: किसी भी हादसे से बचने के लिए एएसआई ने इसे आम पर्यटकों के लिए बंद कर दिया है।
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