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President of Vietnam who defeated America considered Maharana Pratap as his Guru

महाराणा प्रताप को गुरु मानता था अमेरिका को खदेड़ने वाला यह राष्ट्राध्यक्ष

दोस्तों, यह ऐतिहासिक घटना साल 1975 की है जब वियतनाम ने अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को करारी ​शिकस्त दी थी। तकरीबन आठ साल तक चले इस जोरदार संघर्ष के दौरान अमेरिका द्वारा अकूत धन और सैनिक संसाधन झोंकने बावजूद उसके सैनिकों को उत्तरी वियतनाम के सैनिकों से हार का सामना करना पड़ा।

आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि वियतनाम के राष्ट्रपति ने महाराणा प्रताप के जीवन-चरित्र और उनकी युद्ध नीति से सीख लेकर सुपर पॉवर अमेरिका को करारी शिकस्त दी थी। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर यह कैसे पता चला कि वियतनाम का वह राष्ट्रपति महाराणा प्रताप को अपना गुरु मानता था। इस रोचक प्रश्न का उत्तर जानने के लिए यह स्टोरी जरूर पढ़ें।

वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने पढ़ा था महाराणा प्रताप का जीवन-चरित्र

इसमें कोई दो राय नहीं है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका ने सुपर पॉवर के रूप में अपनी पहचान स्थापित की। ऐसे में लाजिमी है कि अमेरिकी सेना को भी उतना ही ताकतवर माना जाने लगा। इन सबके बावजूद हैरानी बात यह है कि तकरीबन 8 साल तक चले युद्ध के बाद 1975 ई. में एक छोटे से देश उत्तरी वियतनाम ने सर्वोच्च शक्ति अमेरिका को करारी शिकस्त दी।

जाहिर सी बात है,  जब एक छोटे से देश वियतनाम ने अमेरिका जैसे सर्वोच्च शक्तिशाली देश को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया, तब एक पत्रकार ने वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष से यह सवाल पूछा कि- “आपने अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को युद्ध में कैसे हरा दिया”?

वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने उस पत्रकार को जो उत्तर दिया उसे पढ़कर आप का भी सीना चौड़ा हो जाएगा। वियतनाम के राष्ट्रपति ने कहा कि, “अमेरिका जैसे देश को हराने के लिए मैंने एक महान भारतीय राजा का श्रेष्ठ जीवन-चरित्र पढ़ा था और उसकी युद्ध नीति का प्रयोग कर हमने बड़ी सरलता से विजय प्राप्त कर ली।

पत्रकार ने दोबारा सवाल पूछा- कौन था वह राजा? इसके बाद वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने खड़े होकर बड़ी विनम्रता से कहा- ‘महाराणा प्रताप वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने अपनी आंखों में चमक लिए हुए आगे कहा कि यदि ऐसे राजा ने हमारे देश में जन्म लिया होता तो हमने सारे विश्व पर राज किया होता।

कुछ वर्षों बाद जब वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष की मौत हुई तो उसकी समाधि पर यह लिखवाया गया- “यह महाराणा प्रताप के एक शिष्य की समाधि है।अब आप समझ गए होंगे कि अमेरिका को खदेड़ने वाला वियतनाम का वह राष्ट्रपति खुद को महाराणा प्रताप का शिष्य क्यों मानता था।

महाराणा प्रताप की समाधि से मिट्टी ले गया था वियतनाम का विदेश मंत्री

वर्षोपरान्त वियतनाम का विदेश मंत्री भारत दौरे पर आया। नियोजित कार्यक्रमानुसार वियतनाम के विदेश मंत्री को लाल किला तथा गांधीजी की समाधि स्थल पर ले जाया गया। इस दौरान वियतनाम के विदेश मंत्री ने पूछा कि महाराणा प्रताप की समाधि कहां है?

यह प्रश्न सुनकर भारत सरकार के अधिकारी चकित रह गए और उन्होंने उदयपुर का नाम लिया। इसके बाद वियतनाम के विदेश मंत्री ने उदयपुर जाकर महाराणा प्रताप की समाधि के दर्शन किए तत्पश्चात उसने समाधि के पास से मिट्टी उठाकर अपने बैग में रख लिया।

भारतीय पत्रकारों ने जब वियतनाम के विदेश मंत्री से इसका कारण पूछा तो उत्तर मिला- “यह मिट्टी शूरवीरों की है, इस मिट्टी में एक महान राजा ने जन्म लिया। इस मिट्टी को मैं अपने देश की मिट्टी में मिला दूंगा ताकि मेरे भी देश में ऐसे ही शूरवीर पैदा हों।

वियतनाम की धरती पर महाराणा प्रताप को मिलने वाला सम्मान यह दर्शाता है कि स्वतंत्रता की अमर ज्योति प्रज्ज्वलित रखने वाले महान लोगों में राणा प्रताप का नाम चिरस्मरणीय रहेगा। भारत के शक्तिशाली बादशाह के समक्ष देश की स्वतंत्रता तथा अपने वंश के गौरव को बनाए रखने के लिए महाराणा प्रताप ने अपने क्षत्रियोचित धर्म और कर्तव्य का पालन किया। इस बात को भारत का हर बच्चा सर्वदा याद रखेगा।

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का वक्तव्य

पूर्व केन्द्रीय गृहमंत्री व वर्तमान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने राजस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम में यह बयान दिया कि, महाराणा प्रताप केवल देश में ही नहीं अपितु विदेश में भी प्रेरणा के स्रोत रहें है। उ​न्होंने परम शक्तिशाली देश अमेरिका की हार का जिक्र करते यह कहा कि किस प्रकार से वियतनाम के राष्ट्रपति को महाराणा प्रताप के जीवन से प्रेरणा मिली थी और यह बात वियतनाम के राष्ट्रपति ने स्वयं उजागर किया था। यहां तक कि वियतनाम के तत्कालीन विदेश मंत्री ने भी भारत यात्रा के दौरान उदयपुर आकर महाराणा प्रताप को श्रद्धांजलि दी थी।

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