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Presidency University, Kolkata was founded by watchmaker David Hare

एक घड़ीसाज़ ने की थी प्रेसिडेन्सी यूनिवर्सिटी, कोलकाता की स्थापना

स्कॉटलैण्ड का एक घड़ीसाज जो 1800 ई. में ब्रिटिश भारत की राजधानी कोलकाता में आकर रहने लगा। जी हां, उस घड़ीसाज का नाम डेविड हेयर था। कोलकाता में उसकी घड़ी की दुकान थी जहां वह अपने ग्राहकों से अक्सर उदारवादी विचारों और अंग्रेजी शिक्षा को लेकर चर्चा किया करता था। इसी क्रम में उसकी दोस्ती राजा राममोहन राय और राधाकांत देव जैसे शहर के कई बड़े बुद्धिजीवियों से हुई।

डेविड हेयर ने बंगाल पुनर्जागरण में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और कोलकाता के कई नामी गिरामी शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में महती भूमिका निभाई। डेविड हेयर को कोलकाता मेडिकल कॉलेज के साथ ही प्रेसिडेन्सी कॉलेज का संस्थापक माना जाता है। यह वही प्रेसिडेन्सी कॉलेज है जिसे आज हम सभी प्रेसिडेन्सी यूनिवर्सिटी के नाम से जानते हैं। घड़ी की दुकान चलाने वाले डेविड हेयर ने किस प्रकार से कोलकाता में प्रेसिडेन्सी यूनिवर्सिटी सहित मेडिकल कॉलेज व अन्य स्कूलों की आधारशिला रखी, यह जानने के लिए इस रोचक स्टोरी को जरूर पढ़ें।

शिक्षाविद्  डेविड हेयर

स्कॉटलैंड निवासी डेविड हेयर का जन्म 1775 ई. में हुआ। बतौर घड़ीसाज डेविड हेयर जीविकोपार्जन के लिए साल 1800 में ब्रिटिश भारत की राजधानी कोलकाता आए और एक घड़ी की दुकान खोली। डेविड हेयर की दुकान अच्छी चल रही थी, वह चाहते तो धनोपार्जन करके अन्य अंग्रेजों की तरह स्वदेश लौट सकते थे परन्तु उन्होंने जनोत्थान के लिए खुद को समर्पित करने का फैसला किया।

वह जानते थे कि शिक्षा के द्वारा ही किसी के जीवन में परिवर्तन लाया जा सकता है। डेविड हेयर यह महसूस करने लगे थे कि इस देश को अंग्रेजी शिक्षा की जरूरत है। ऐसे में वह दुकान पर आने वाले अपने ग्राहकों से इस सम्बन्ध में चर्चा किया करते थे। साल 1814 में डेविड हेयर की दोस्ती राजा राम मोहन राय से हुई और डेविड हेयर ने साल 1816 में आत्मीय सभा के एक स़त्र में शिरकत की। इसके बाद डेविड हेयर ने राजा राम मोहन राय से कोलकाता में एक अंग्रेजी स्कूल स्थापित करने के लिए चर्चा की। आत्मीय सभा के सदस्य बाबू बुद्धिनाथ मुखर्जी और कोलकाता सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश सर हाइड ईस्ट से इस मामले पर बातचीत करने के बाद 20 जनवरी 1817 ई. को हिंदू कॉलेज की स्थापना हुई, जिसका नाम बाद में बदलकर प्रेसीडेंसी कॉलेज, कोलकाता कर दिया गया।

डेविड हेयर ने 6 मई 1817 ई. को स्कूल बुक सोसाइटी की स्थापना की, इस संस्था के माध्यम से उन्होंने अंग्रेजी और बंगाली भाषाओं में पाठ्य पुस्तकें छापने और प्रकाशित करने की शुरूआत की। इस सोसाइटी ने बंगाल पुनर्जागरण के उत्कर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डेविर हेयर अपने मित्र राजा राम मोहन राय के समाज-सुधार कार्यक्रमों में सहभागिता देने के साथ ही हेनरी विलियन डिराजियो के यंग बंगाल आन्दोलन से भी संबद्ध रहे। इसके अतिरिक्त, डेविड हेयर ने 1824 ई. में लेडीज़ सोसाइटी फॉर नेटिव फीमेल एजुकेशन की भी स्थापना की।

 इतना ही नहीं, डेविड हेयर ने 1 सितंबर 1818 ई. को कलकत्ता स्कूल सोसाइटी की स्थापना की। राधाकांत देब और डेविड हेयर इस सोसाइटी के सचिव थे। डेविड हेयर ने कलकत्ता स्कूल सोसाइटी के जरिए थानथानिया, कालीताला और अर्पुली जैसे स्थानों पर नई शिक्षण पद्धति के अनुसार कुछ स्कूल स्थापित करने के अथक प्रयास किए। डेविड हेयर प्रति​दिन इन स्कूलों का निरीक्षण किया करते थे।

प्रेसिडेन्सी कॉलेज (प्रेसिडेन्सी यूनिवर्सिटी) की स्थापना

प्रेसिडेन्सी यूनिवर्सिटी, कोलकाता को भारत के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से एक माना जाता है। इस विश्वविद्यालय ने बंगाल पुनर्जागरण के कई अग्रदूत, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दिग्गज नेता, राष्ट्राध्यक्ष, नोबेल पुरस्कार विजेता और अकादमी पुरस्कार विजेता पैदा किए हैं।

प्रेसिडेन्सी यूनिवर्सिटी के जन्म की कहानी भी डेविड हेयर से जुड़ी है। शिक्षाविद् और परोपकारी डेविड हेयर ने राजा राम मोहन राय, राधाकांत देव, बाबू बुद्धिनाथ मुखर्जी और सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश सर एडवर्ड हाइड ईस्ट के सहयोग से कोलकाता में एक अंग्रेजी स्कूल की स्थापना के लिए मई 1816 में अपने घर एक बैठक बुलाई।

इस बैठक के बाद हिन्दु समुदाय के बच्चों को उदार शिक्षा प्रदान के लिए 20 जनवरी 1817 ई. को हिन्दू कालेज की स्थापना हुई। हिन्दू कॉलेज की स्थापना में सर्वाधिक योगदान देने वाले सदस्यों में राजा गोपीमोहन देब, महाराजा तेज चंद्र, राजा गोपी मोहन टैगोर, बाबू जॉयकृष्ण सिन्हा, बाबू गंगा नारायण दास, बैद्यनाथ मुखोपाध्याय, रानी रासमनि तथा राजा राम मोहन राय का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।

हिन्दू कॉलेज की शुरूआती कक्षाएं चितपोर रोड स्थित गोराचंद बायसेक के घर पर चलती थी, जिसे कॉलेज ने किराए पर लिया था। जनवरी 1818 ई. में हिन्दू कॉलेज कमल बोस के घर में चला गया। चितपोर से हिन्दू कॉलेज बउबाजार तत्पश्चात उस इमारत में स्थानान्तरित हो गया जहां आज कॉलेज स्ट्रीट पर संस्कृत कॉलेज है।

साल 1817 से 1855 तक यह शिक्षण संस्थान हिन्दू कॉलेज के नाम से चलता रहा, इसके बाद 1855 ई. में इसका नाम बदलकर प्रेसिडेन्सी कॉलेज कर दिया गया। तकरीबन 155 वर्षों तक प्रेसिडेन्सी कॉलेज के रूप में विख्यात यह शिक्षण संस्थान 7 जुलाई 2010 ई. को प्रेसिडेन्सी यूनिवर्सिटी में तब्दील हो गया जो आज की तारीख में देश के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से एक है।

डेविड हेयर का निधन

समाज कल्याण और शिक्षा के प्र​ति समर्पित ​डेविड हेयर को अपने घड़ी के कारोबार के लिए समय ही नहीं मिलता था, ऐसे में उन्होंने इसे अपने एक मित्र ग्रे को बेच दिया। इन पैसों से डेविड हेयर ने अपने लिए एक छोटा सा घर खरीद लिया और बाकी बचे पैसे स्कूलों के विकास में खर्च कर दिए।

काफी लम्बे समय सक्रिय जीवन जीने के पश्चात डेविड हेयर हैजा (Cholera) नामक बीमारी से ग्रसित ​हो गए। उनके एक छात्र डॉ. प्रसन्न कुमार मित्रा ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन सभी प्रयास विफल साबित हुए। लिहाजा एक जून 1842 ई. को डेविड हेयर का निधन हो गया। डेविड हेयर को नास्तिक मानकर ईसाई मिशनरियों ने उन्हें अपने क​ब्रिस्तान में जगह देने मना कर दिया। इसके बाद उन्हें प्रेसिडेन्सी कॉलेज के परिसर में दफनाया गया। हेयर स्कूल के खेल मैदान परिसर में डेविड हेयर की संगमरमर की एक आदमकद मूर्ति है।

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