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Mughal soldiers were scared of Rana Sanga's warriors, then what did Babar do?

राणा सांगा के योद्धाओं से डर गए थे मुगल सैनिक, फिर बाबर ने क्या किया?

यह स्टोरी उस दौर की है जब बाबर ने पानीपत के प्रथम युद्ध में दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को करारी शिकस्त देने के बाद अपनी स्थिति मजबूत करने हेतु बयाना, धौलपुर और ग्वालियर आदि पर अधिकार कर लिया था। मुगल बादशाह बाबर अब इस बात को अच्छी तरह समझ चुका था कि उत्तर भारत में उसके एकमात्र प्रतिद्वंदी राणा सांगा को पराजित किए बगैर मुगल साम्राज्य की स्थापना करना मुमकिन नहीं नामुमकिन है।

वहीं दूसरी तरफ हिन्दूपथ के नाम से विख्यात एकमात्र शक्तिशाली हिन्दू राजा राणा सांगा भी अपनी तैयारियों में जुट चुका था। उसने बाबर के विरूद्ध संगठित होकर युद्ध करने के लिए सभी राजपूत शासकों और सरदारों को निमंत्रण भेजा। राणा सांगा के निमंत्रण पर सात उच्च श्रेणी के राजा, 9 राव तथा 104 सरदार अपनी-अपनी सेनाएं लेकर उसकी मदद को आ पहुंचे।

राणा सांगा के सहयोगी प्रमुख राजाओं और राजपूत सरदारों के नाम कुछ इस प्रकार हैं- आमेर का शासक पृथ्वीराज कछवाहा, मारवाड़ के शासक राव गांगा का पुत्र मालदेव, चन्देरी का शासक मेदिनी राय, इब्राहिम लोदी का चचेरा भाई महमूद लोदी, मेड़ता का रायमल राठौड़, सिरोही का अखयराज दूदा, डूंगरपुर का रावल उदयसिंह, गोगुन्दा का झाला सज्जा, सलूम्बर का रावत रतन सिंह, सादड़ी का झाला सज्जा, ईडर का भारमल, जगनेर का शासक अशोक परमार आदि। वहीं उत्तर प्रदेश के चन्दावर क्षेत्र से चन्द्रभान और मणिकचन्द्र चौहान भी ससैन्य राणा सांगा से आ मिले।

राणा सांगा के योद्धाओं से भयभीत हो गए थे मुगल सैनिक

राजपूत महायोद्धा राणा सांगा ने अपने सैन्य बल के साथ रण​थम्भौर से बयान की ओर प्रस्थान किया, जिस पर बाबर ने पहले से ही अधिकार कर रखा था। बाबर ने अपने सेनानायक मेंहदी ख्वाजा को बयाना का दुर्गरक्षक नियुक्त किया था। मेंहदी ख्वाजा ने राणा सांगा का मार्ग रोकने के लिए अपने सैनिक दस्ते भेजे लेकिन सांगा के सैनिकों ने उन्हें खदेड़ दिया।

इसके बाद राणा सांगा ने बयाना पहुंचकर दुर्ग को चारों तरफ से घेर लिया जिससे दुर्ग में तैनात मुगल सेना की स्थिति सोचनीय हो गई। इसके बाद बाबर ने मेंहदी ख्वाजा की सहायता के लिए मुहम्मद सुल्तान मिर्जा के नेतृत्व में एक सेना भेजी लेकिन राजपूत योद्धाओं ने उसे भी हराकर खदेड़ दिया। जब बयाना दुर्ग में तैनात कई मुगल सेनानायक और सैनिक मारे गए तब मुगलों ने आत्मसमर्पण कर दिया।

बाबर के सैनिकों ने युद्ध करने से मना कर दिया

अब बयाना से डरकर भागे मुगल सैनिक जब बाबर के पास पहुंचे तब उसने राणा सांगा को इस कार्य की सजा देने के लिए अपने सेना को एकत्र किया। किन्तु भयभीत मुगल सैनिकों ने राणा सांगा की सेना के साथ युद्ध करने से इनकार कर दिया। बयाना के युद्ध से डरे हुए मुगल सैनिकों ने बाबर से कहा कि- राजपूत युद्ध जीतने के लिए नहीं लड़ते हैं ब​ल्कि सिर्फ मरने-मारने के लिए युद्ध करते हैं। ऐसे में हम लोग तुम्हारे साथ युद्ध करने नहीं जाएंगे क्योंकि अभी हमें जीना है।

संयोगवश उसी समय काबुल के एक मशहूर ज्योतिषी मोहम्मद शरीफ ने यह भविष्यवाणी कर दी कि मंगल का तारा पश्चिम में है, इसलिए पूर्व की ओर लड़ने वाले (मुगल) पराजित होंगे।”  ऐसे में मुगल सैनिक और अधिक भयाक्रान्त हो गए।

फिर बाबर ने क्या किया?

बाबर ने अपने भयाक्रान्त सैनिकों से कहा कि तुम सभी मेरे शराब पीने के कारण परेशान रहते हो, यदि तुम मेरा युद्ध में साथ दोगे तो मैं कभी शराब नहीं पीऊंगा। यह कहते हुए उसने शराब के सभी पात्र सैनिकों के समक्ष ही तोड़ दिए। बावजूद इसके मुगल सैनिकों ने कहा कि बादशाह! तुम शराब पीओ अथवा नहीं पीओ, लेकिन हम सभी तुम्हारे साथ मरने के लिए वहां नहीं जाएंगे।

इसके बाद मुगल बादशाह बाबर ने अपने सैनिकों से कहा कि मुगल व्यापारियों पर लगने वाला तगमा कर’ (tax) हटा दूंगा और युद्ध जीतने के बाद सभी सैनिकों को चांदी का सिक्का प्रदान करूंगा। इस पर मुगल सैनिकों ने कहा कि मरने के बाद चांदी का सिक्का हमारे किस काम का।

अंत में अपने डरे हुए मुगल सैनिकों का मनोबल ऊंचा करने के लिए बाबर ने बेहद युक्ति से काम लिया। उसने अपने सैनिकों, अमीरों तथा मददगारों को एकत्र कर एक ओजपूर्ण भाषण दिया। राणा सांगा के विरूद्ध युद्ध को जिहाद’ (धर्म युद्ध) घोषित करते हुए बाबर ने कहा कि तुम सभी कुरान को छूकर खुदा का नाम लेकर कसम खाओ कि या तो हम युद्ध फतह करेंगे या फिर इस जंग में अपनी जान दे देंगे।

बाबर के इन शब्दों का मुगल सैनिकों पर अनुकूल प्रभाव पड़ा। मुगल सैनिक एक बार फिर से जोश एवं साहस से भर गए और युद्ध में अंतिम समय तक लड़ने की कसम खाई। इसके बाद 17 मार्च 1527 ई. को सुब​ह साढ़े नौ बजे राणा सांगा और बाबर की सेनाओं के मध्य खानवा का ऐतिहासिक युद्ध शुरू हुआ। बाबर ने अपनी तुलुगमा युद्ध पद्धति और आग उगलती तोपों और बन्दूकों की बदौलत दोपहर होते-होते ही यह निर्णायक युद्ध जीत लिया।

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