नवरात्रि का पर्व चल रहा है, इन दिनों मां नवदुर्गा के भक्त नौ दिनों तक व्रत रहते हैं। व्रत रहने के दौरान सबसे बड़ी तपस्या यह है कि इसमें अन्न का सेवन बिल्कुल नहीं करना होता है अन्यता व्रती का व्रत टूट सकता है। ऐसे में उपवास रहने वाले श्रद्धालु मखाने का सेवन जरूर करते हैं। क्योंकि मखाना एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसके सेवन से व्रतियों का व्रत नहीं टूटता है।
मखाना एक ऐसा भोज्य पदार्थ है जिसे हेल्दी स्नैक्स के रूप में भारत के घरों में सर्वाधिक इस्तेमाल किया जाता है। व्रत के दौरान खाया जाने वाला मखाना चूंकि कम कैलोरी वाला स्नैक्स है अत: देशी घी में भूनकर इसे बड़ी आसानी से खाया जा सकता है। मखाने का सेवन व्रती को भूख से दूर रखता है और शरीर में एनर्जी को बरकरार रखता है। इसीलिए उपवास करने वाले श्रद्दालु थकान और कमजोरी से कोसों दूर रहते हैं। यही वजह है कि नवरात्रि के दिनों में व्रतीगण मखाना खाना नहीं भूलते हैं।
व्रत से इतर मखाने का सेवन मर्दों के यौन सेहत लिए अमृत समान है। अब आप सोच रहे होंगे कि मखाने का सेवन मर्दों के लिए इतना कारगर क्यों माना जाता है। आखिर में मखाना किससे और कैसे बनता है। मखाना का उत्पादन भारत में सबसे ज्यादा कहां होता है। इन सब प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए यह स्टोरी जरूर पढ़ें।
बिहार का मिथिला क्षेत्र हैं मखाने का गढ़
मखाना शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के ‘मखान्न’ से हुई है जो कालान्तर मखाना के रूप में लोकप्रिय हो गया। मखाना को कुछ लोग ‘लावा’ भी कहते हैं। पोषक तत्वों से भरपूर मखाना एक जलीय उत्पाद है जिसे तालाब, झील, दलदली क्षेत्र के शांत पानी में उगाया जाता है। वैसे तो मखाने की खेती भारत के असम, मेघालय तथा उड़ीसा में भी की जाती है। परन्तु मखाना का सर्वाधिक उत्पादन बिहार राज्य में होता है।
बता दें कि मखाना के कुल उत्पादन का 90 फीसदी केवल बिहार में होता है। तालाब और मछली के लिए मशहूर बिहार का मिथिला क्षेत्र मखाना उत्पादित करने का गढ़ हैं। मिथिला क्षेत्र की पहचान मखाना यहां के लोगों में इतना रचा-बसा हुआ है कि विवाह समारोहों में भी इसका उपयोग किया जाता है। मिथिला के लोग मखाना की माला बनाकर देवी-देवताओं को चढ़ाते हैं।
दरअसल भारत में मखाने के खेती की शुरूआत मिथिला क्षेत्र के मधुबनी से ही मानी जाती है। मधुबनी से मखाना के बीज भारत के अन्य राज्यों में फैल गए। कहते हैं कि मिथिला में मखाना का उत्पादन राजा जनक के काल से ही होता आ रहा है परन्तु प्रामाणिक रूप से 18वीं शताब्दी में राजा दरभंगा के शासनकाल में दरभंगा और मधुबनी जिलों में मखाना की खेती ने जोर पकड़ा। उन दिनों मखाने की खेती से प्रत्येक किसान को प्रति एकड़ 3 रुपए की कमाई होती थी।
मिथिला के दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल, सीतामढ़ी, पूर्णिया, कटिहार आदि जिलों में मखाना का सार्वाधिक उत्पादन होता है। मिथिला क्षेत्र में भी मधुबनी और दरभंगा ऐसे दो जिले हैं जहां मखाने का 70 फीसदी उत्पादन होता है। यही वजह है कि मिथिला क्षेत्र के मखाने को जीआई टैग भी मिल चुका है।
स्वास्थ्य के लिए अमृत समान है मखाना
औषधीय गुणों से युक्त मखाना सेहत के लिए रामबाण हैं। प्रोटीन, मिनरल, आयरन, मैग्नीशियम, सोडियम, फास्फोरस आदि पोषक तत्वों से भरपूर मखाने का सेवन इंसान को कई बीमारियों से दूर रखता है।
ब्लड प्रेशर और हृदय सम्बन्धी बीमारियों के लिए रामबाण है मखाना। यह बात सभी जानतें हैं कि मानसिक तनाव ही इन दोनों बीमारियों की जड़ है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, रात में सोने से पहले एक गिलास दूध के साथ मुट्ठीभर मखाने का सेवन करने से मानसिक तनाव से निजात मिलती है।
यदि आप हाई कोलेस्ट्रोल से परेशान हैं तो मखाने का सेवन करना नहीं भूलें। सेहत विशेषज्ञों की मानें तो फाइबर युक्त उत्पादों का सेवन आपको इस समस्या से निजात दिलाता है। इसके लिए मखाना सबसे बेस्ट भोज्य उत्पाद है क्योंकि इसमें सोडियम और फैट की मात्रा बिल्कुल कम और फाइबर उच्चतम मात्रा में मौजूद होता है।
मखाने में पोटैशियम और मैग्नेशियम की प्रचुर मात्रा पाई जाती है, जिससे रक्तचाप नियंत्रित रहता है। मखाने में सोडियम की मात्रा बिल्कुल कम होती है जिससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है।
मखाने में मौजूद ट्रिप्टोफैन नामक तत्व सेरोटोनिन के उत्पादन में मदद करता है। बता दें कि सेरोटोनिन एक ऐसा न्यूरोट्रांसमीटर है जो आपको गहरी नींद प्रदान करता है।
जिम करने वाले युवाओं के लिए मखाना रामबाण है। दरअसल प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स भरपूर मखाना मसल्स को मजबूती प्रदान करता है। इसलिए यदि आप भी अपने मसल्स को ताकतवर बनाना चाहते हैं तो वर्कआउट के बाद प्रतिदिन एक मुट्ठी भूना हुआ मखाना जरूर खाएं।
मर्दों को रोजाना मखाने का सेवन अवश्य करना चाहिए। ऐसा इसलिए कि जिंक जैसे पोषक तत्वों से भरपूर मखाना मर्दों के यौन सेहत को दोगुनी कर देता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, प्रतिदिन मखाना का सेवन करने से स्पर्म काउंट बढ़ता है। इसके साथ ही टेस्टोस्टेरोन लेवल भी साकारात्मक रहता है। इस प्रकार मखाना एक ऐसा जलीय उत्पाद है जिसका सेवन मर्दों के यौन सेहत के लिए अमृत समान है।
किन परिस्थितियों में नुकसानदेय है मखाने का सेवन?
यदि आप मखाने का सेवन अधिक मात्रा में करते हैं तो कब्ज और सूजन के शिकार हो सकते हैं। विशेषकर मखाना के बीज इंसुलिन, एलर्जी और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल जैसी समस्यों को बढ़ा सकते हैं।
आयुर्वेद कहता है कि एक व्यक्ति को प्रतिदिन 15 ग्राम से ज्यादा मखाना नहीं खाना चाहिए अन्यथा पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। मखाने में मौजूद फाइबर को पचाने के लिए अत्यधिक पानी की जरूरत पड़ती है।
यदि आप पथरी की बामारी से ग्रसित है तो मखाने का सेवन भूलकर भी न करें अन्यथा मखाने में मौजूद कैल्शियम से किडनी स्टोन का साइज बढ़ सकता है।
गर्भवती और डायबिटिज रोगियों को डॉक्टर से सलाह लिए बिना मखाने का सेवन करने से बचना चाहिए। यदि आप किसी दवा का सेवन करते हैं तो अपने चिकित्सक से परामर्श लेकर ही मखाने का सेवन करें अन्यथा आप असहज महसूस कर सकते हैं।
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