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Maharaja Bhupinder Singh had given 100 gold coins to Lala Amarnath for scoring a century

महाराजा भूपिन्दर सिंह ने इस क्रिकेटर के प्रत्येक रन पर दिए थे स्वर्ण सिक्के

ब्रिटिश भारत में पंजाब की प्रमुख रियासत पटियाला के एक प्रभावशाली शासक को उसकी अय्याशी, शान-शौकत तथा शाही भोजन के लिए आज भी या​द किया जाता है। जी हां, मैं पटियाला रियासत के सातवें महाराजा भूपिन्दर सिंह की बात कर रहा हूं। छह फीट चार इंच लम्बे भूपिन्दर सिंह का वजन तकरीबन 136 किलो था।

फुलकियां राजवंश के महाराजा भूपिन्दर सिंह के हरम में अलग-अलग कलाओं में माहिर 350 सुन्दर महिलाए रहती थीं, हैरानी की बात यह है कि इन खूबसूरत महिलाओं को भूपिन्द सिंह चुन-चुनकर स्वयं ही लाते थे। शारीरिक रूप से हृष्टपुष्ट होने के बावजूद महाराजा भूपिन्दर सिंह तरह-तरह की कामोत्तेजक दवाईयां लिया करते थे। 88 बच्चों के पिता के रूप में विख्यात महाराजा भूपिन्दर सिंह की दस पत्नियों में से राजमाता विमला कौर उनकी पसन्दीदा पत्नी थीं।

महाराजा भूपिन्दर सिंह खाने के भी काफी शौकीन थे। उनके राजमहल में 11 रसोइयाँ थीं, जिनमें सैकड़ों लोगों के लिए हर रोज खाना बनता था। महाराजा भूपिन्दर सिंह को रत्नों जड़ित सोने की थाली में खाना परोसा जाता था। उनकी थाली में परोसे गए पकवानों की संख्या तकरीबन 150 से अधिक होती थी। ब्रिटिश इतिहासकार डोमनिक लापियर और लैरी कॉलिन्स अपनी किताब फ्रीडम एट मिडनाइट में लिखते हैं कि भूपिन्दर सिंह दिनभर में 10 किलो खाना खा जाया करते थे। चाय पीते हुए दो मुर्गे खा जाना उनके लिए आम बात थी।

महाराजा भूपिन्दर सिंह के पास 27 रोल्स रॉयस कारें थीं। भूपिंदर सिंह पहले भारतीय थे जिनके पास खुद का एयरक्राफ्ट था। यहीं नहीं, हीरे-जवाहररात के बेहद शौकीन भूपिन्दर सिंह करीब 248 करोड़ का हार पहनते थे। इन सब बातों से परे अब आप सोच रहे होंगे कि आजादी से पूर्व इंडियन क्रिकेट टीम के कप्तान रहे महाराजा भूपिन्दर सिंह को भारतीय क्रिकेट का पितामह क्यों कहा जाता है?  इसके अलावा वह कौन सा क्रिकेटर था जिसके प्रत्येक रन पर महाराजा भूपिन्दर सिंह ने एक सोने का सिक्का दिया था? इस रोचक तथ्य से रूबरू होने के लिए यह ऐतिहासिक स्टोरी जरूर पढें।

भारतीय क्रिकेट के पितामह महाराजा भूपिन्दर सिंह

पूर्ववर्ती पंजाब की प्रमुख रियासत पटियाला के प्रभावशाली शासक महाराजा भूपिन्दर सिंह को विलासितापूर्ण जीवन के अतिरिक्त ब्रिटिश शासकों के साथ मजबूत संबंधों के लिए भी जाना जाता है। पटियाला के ताकतवर महाराजा भूपिन्दर सिंह ने साल 1900 से 1938 ई. तक शासन किया। भूपिंदर सिंह को ​ब्रिटिश सरकार की तरफ से 17 तोपों की सलामी दी जाती थी।

आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि आजादी से पूर्व इंडियन क्रिकेट टीम के कप्तान रहे महाराजा भूपिन्दर सिंह को भारतीय ​क्रिकेट का पितामह भी कहा जाता है। ब्रिटिश अखबार डेली मेल 3 अगस्त, 1925 को लिखता है कि महाराजा भूपिन्दर सिंह दुनिया के सबसे ऊँचाई पर बने क्रिकेट ग्राउंड के मालिक हैं।दरअसल हिमाचल प्रदेश स्थित चैल क्रिकेट ग्राउंड दुनिया का सबसे ऊँचा क्रिकेट ग्राउंड है, जिसका निर्माण पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह ने साल 1893 में करवाया था।

इतना ही नहीं, महाराजा भूपिन्दर सिंह साल 1911 में इंग्लैण्ड का दौरा करने वाली भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान थे।  भूपिन्दर सिंह ने साल 1915 और 1937 ई. के बीच 27 प्रथम श्रेणी के क्रिकेट मैच खेले। महाराजा ने साल 1926-27 के दौरान मेलबोर्न क्रिकेट क्लब के सदस्य के रूप में क्रिकेट खेला।

साल 1932 में इंग्लैण्ड दौरे पर पहला टेस्ट सीरीज खेलने के लिए जाने वाली इंडियन क्रिकेट टीम के कप्तान के रूप में भूपिन्दर सिंह को ही सलेक्ट किया गया था किन्तु स्वास्थ्य कारणों की वजह से वह नहीं जा सके। भारत के दिग्गज क्रिकेटर लाला अमरनाथ के सबसे छोटे बेटे राजिन्दर अमरनाथ लिखते हैं कि साल 1932 में जब राष्ट्रीय क्रिकेट प्रतियोगिता के नाम रखने की बात आई तो कुछ लोग इसका नाम वेलिंग्टन ट्रॉफ़ी रखना चाहते थे। किन्तु महाराजा भूपिन्दर सिंह ने नवानगर के जाम साहिब श्री रणजीत सिंह जी के सम्मान में नेशनल प्रतियोगिता का नाम रणजी ट्राफी रखा और इस ट्रॉफ़ी को बनाने के लिए एक बड़ी रकम भी दी।

बंबई के मशहूर ब्रेबोर्न स्टेडियम के निर्माण में महाराजा भूपिन्दर सिंह के योगदान को आज भी याद किया जाता है। इसके अ​तिरिक्त केन्द्रीय क्रिकेट बोर्ड (अब बीसीसीआई) की स्थापना में भी महाराजा भूपिन्दर सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऐसे में भूपिन्दर सिंह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के सह-संस्थापक थे।

भूपिंदर सिंह की क्रिकेट टीम पटियाला इलेवन और पोलो टीम पटियाला टाइगर्स देश की सर्वश्रेष्ठ टीमों में से एक मानी जाती थीं। भारत में खेलों को बढ़ावा देने के लिए महाराजा के सम्मान में विश्वविद्यालय का नाम महाराजा भूपिन्दर सिंह पंजाब स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी’, पटियाला रखा गया है।

भूपिन्दर सिंह ने लाला अमरनाथ को इनाम में दिए थे 100 स्वर्ण सिक्के

पंजाब के कपूरथला के जन्में लाला अमरनाथ ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 24 टेस्ट मैच खेले जिसमें उन्होंने 878 रन बनाए। साल 1933 में इंग्लैंड के खिलाफ अपने पहले ही मैच में लाला अमरनाथ ने 118 रनों की शानदार पारी खेली थी। इंडियन क्रिकेट टीम ने लाला अमरनाथ की कप्तानी में साल 1952-53 में पाकिस्तान ​के खिलाफ खेली गई टेस्ट सीरीज में जीत हासिल की थी। इसके अलावा लाला अमरनाथ के नाम टेस्ट मैच में 45 विकेट भी दर्ज हैं।

भारत के दिग्गज क्रिकेटर रहे लाला अमरनाथ के सबसे छोटे बेटे राजिन्दर अमरनाथ ने अपनी पिता की जीवनी लिखी है, जिसका शीर्षक है - 'लाला अमरनाथ लाइफ़ एंड टाइम्स' राजिन्दर अमरनाथ अपनी किताब 'लाला अमरनाथ लाइफ़ एंड टाइम्स' में लिखते हैं कि महाराजा भूपिन्दर सिंह हमेशा लाला अमरनाथ को छोकड़ा कहकर ही बुलाते थे। एक बार महाराजा भूपिन्दर सिंह ने लाला अमरनाथ से कहा- छोकड़े, तुम्हारे प्रत्येक रन पर मैं तुम्हे एक सोने का सिक्का दूंगा। इस प्रकार लाला अमरनाथ ने शतक लगाया और अपना इनाम हासिल किया।

महाराजा भूपिंदर सिंह का निधन

जीवन के आखिरी दिनों में महाराजा भूपिन्दर सिंह की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई। प्रख्यात डाक्टर बीसी रॉय (आजादी के बाद पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री) उनका इलाज कर रहे थे। महाराजा भूपिन्दर सिंह ने 47 वर्ष की आयु में 23 मार्च, 1938 ई. को रात आठ बजे इस दुनिया से अंतिम विदाई ली।

के.एम.पनिक्कर लिखते हैं कि मृत्यु वाले दिन भी उन्होंने दस अंडों का ऑमलेट खाया था, उनकी ताकत और ऊर्जा देखने लायक थी।महाराजा भूपिन्दर सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए तकरीबन दस लाख लोग एकत्र हुए थे।

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