भोजन इतिहास

history of the delicious dish 'Chicken Changezi' associated with Mongol ruler Genghis Khan

मंगोल शासक चंगेज खान से जुड़े लजीज व्यंजन ‘चिकन चंगेजी’ का रोचक इतिहास

मुगल रसोई से जन्मे एक नहीं, कई पकवान आज की तारीख में पूरे भारत में पॉपुलर हो चुके हैं। परन्तु एक लोक​प्रिय व्यंजन जिसका नाम है चिकन चंगेजी जो उत्तरी भारत के विभिन्न शहरों विशेषकर पुरानी दिल्ली में बड़े चाव से पकाया और खाया जाता है। बटर चिकन जैसे दिखने वाले इस व्यंजन में देशी घी, अदरक, दूध, क्रीम, प्याज के साथ टमाटर का इस्तेमाल किया जाता है। अब सवाल यह उठता है कि 13वीं शताब्दी के एक महान मंगोल योद्धा चंगेज खान का चिकन चंगेजी से क्या रिश्ता है जबकि चंगेज खान सिन्धु नदी तट तक आया और इल्तुमिश के हार मानने के बाद वापस लौट गया कभी उसने दिल्ली में प्रवेश नहीं किया। परन्तु केवल इस एक तथ्य स्वीकार नहीं किया जा सकता है, इससे इतर भी इतिहास से जुड़े ऐसे कई तथ्य हैं जो यह साबित करते हैं कि लजीज पकवान चिकन चंगेजी का मंगोल आक्रमणकारी चंगेज खान से सीधा सम्बन्ध है। इस स्टोरी में हम आपको बताएंगे कि मंगोल आक्रमणकारी चंगेज खान से जुड़ा यह खास पकवान चिकन चंगेजी आखिर भारत कैसे पहुंचा।

आखिर भारत कैसे पहुंचा चिकन चंगेजी

लजीज व्यंजन चिकन चंगेजी को लेकर कुछ भोजन इतिहासकारों का मानना है कि किसी अज्ञात खानसामे ने विशेष विधि से तैयार अपने चिकन व्यंजन का नाम 13वीं शताब्दी के शक्तिशाली मंगोल योद्धा चंगेज खान के नाम पर रखा दिया होगा जिसके परिणामस्वरूप सुल्तान अथवा बादशाह प्रभावित हुए, तब से इस अतिस्वादिष्ट पकवान का नाम चिकन चंगेजी पड़ गया। इसके पीछे वे यह तर्क देते हैं कि चंगेज खान कभी भारत के अन्दर घुसा ही नहीं, वह तो इल्तुतमिश के शासनकाल में सिन्धु नदी तट से ही वापस लौट गया था।

परन्तु इससे इतर एक तर्क यह भी है कि अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में मंगोलों ने दिल्ली पर आक्रमण किया था। यद्यपि मंगोल खिलजी के शाही शिविर सीरी में नहीं प्रवेश कर सके किन्तु वर्तमान दिल्ली के अन्य भागों में चले गए। इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी ने इन क्षेत्रों को चौतारा-ए सुभानी, मोरी, हुदहुदी और शाही तालाब नाम दिया है। हांलाकि इन क्षेत्रों की आधुनिक पहचान निश्चित नहीं है। मंगोल आक्रमणकारियों ने दिल्ली और उसके आस-पास दो महीने बिताए थे। हांलाकि 2 माह बाद मंगोल वापस लौट गए लेकिन उनकी पाक कला समय के साथ दिल्ली में बनी रही।

उपरोक्त तथ्यों के अतिरिक्त लजीज पकवान चिकन चंगेजी की मुगल रसोई से जुड़े होने के पीछे एक प्रत्यक्ष कारण यह भी हो सकता है कि मुग़ल बादशाह बाबर की मां कुतुलुग निगार खानम का पिता युनूस खान महान मंगोल योद्धा चंगेज खान का प्रत्यक्ष वंशज था। ऐसे में सम्भव है कि बाबर की मां कुतुलुग निगार खानम ने अपने मायके में बनाए जाने वाले विशेष व्यंजन चिकन चंगेजी को अपने पति के घर में भी बनवाया होगा। इस प्रकार चिकन चंगेजी नामक व्यंजन बादशाह बाबर की मुगल रसोई के जरिए भारत में पहुंच गया होगा। वैसे भी मंगोल जाति का फारसी रूपान्तरणमुगल है और मुगल साम्राज्य का संस्थापक बाबर स्वयं को पितृ पक्ष की ओर से तैमूर का वशंज और मातृ पक्ष की ओर से चंगेज खान का वंशज मानता था। 

सबसे दिलचस्प बात यह भी है कि पाकिस्तान में हजारा कबीले के लोग ख़ुद को मंगोल योद्धा चंगेज खान का वंशज कहते हैं और यह तथ्य वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी प्रमाणित हो चुका है। दरअसल कुछ वर्षों पूर्व आनुवांशिक शोध से पता चला कि पूर्व मंगोलियाई साम्राज्य की सीमा में रहने वाले आठ फीसदी पुरुषों के वाई क्रोमोज़ोम के अंदर एक ऐसा निशान मौजूद है जिससे पता चलता है कि वह मंगोलियाई शासक चंगेज खान के ख़ानदान से संबंध रखते हैं। ​इसी क्रम में पाकिस्तान के हजारा कबीले के पुरुषों के डीएनए में भी एक ऐसा ही खास निशान पाया जाता है, जो उन्हें मंगोलियाई शासक का वंशज साबित करता है। गौर करने वाली बात यह है कि भारत विभाजन से पहले पाकिस्तान हमारे देश का एक हिस्सा था। इस प्रकार मंगोल जाति का खास व्यंजन चिकन चंगेजी भारतीय पाक कला का हिस्सा बन गया।

चिकन चंगेजी  बनाने की सामग्री

चिकन, देशी घी अथवा सरसों का तेल, टमाटर प्यूरी, दही, लौंग, छोटी इलाइची, बड़ी इलाइची, दालचीनी, सूखी लाल मिर्च, कटे हुए प्याज, अदरक, लहसुन पेस्ट, जीरा पाउडर, हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर, गर्म मसाला, केवड़ा जल, स्वादानुसार नमक। ध्यान रहे चिकन चंगेजी कितने लोगों के लिए पकाना है, उसी अनुसार सामग्री भी होनी चाहिए।

चिकन चंगेजी पकाने की विधि

इसमें कोई दो राय नहीं कि उत्तरी भारत में चिकन चंगेजी का क्रेज है, लेकिन पुरानी दिल्ली के अल-जवाहर या दरियागंज की चिकन चंगेजी की बात ही कुछ और है। यहां चिकन को सबसे पहले भूना जाता है, फिर इसे अदरक लहसुन का पेस्ट, टमाटर का पेस्ट, धनिया पाउडर, मिर्च पाउडर और गरम मसाला आदि उपरो​क्त सामग्रियों के साथ चार या पांच मिनट तक धीमी आंच पर पकाया जाता है। इस प्रकार बेहतरीन स्वाद वाले चिकन चंगेजी को आप बारीक कटे हरे धनिये और मक्खन से गार्निश करें। चिकन चंगेजी को तंदूरी नान या फिर रुमाली रोटी के साथ खाना ज्यादा आनन्ददायक होता है। चाहें तो आप इस लजीज पकवान को रोटी के साथ भी खा सकते हैं। क्या कभी आपने बासमती चावल अथवा जीरा राइस के साथ चिकन चंगेजी की स्वादिष्ट करी का स्वाद चखा है,  सच में मजा आ जाएगा।

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