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Harem was just a sample, know how debauchee the Mughal rulers were?

हरम तो महज नमूना था, जानिए कितने अय्याश थे मुगल शासक?

यह सर्वविदित है कि हरम मुगलों की अय्याशी का अड्डा हुआ करता था जहां बादशाह अपनी बेगमों, रखैलों, कनीजों तथा देश-विदेश की बेहद खूबसूरत औरतों के साथ भोग-विलास में मस्त रहते थे। मुगल हरम से जुड़ी रंगीन करतूतों के बारे में हम इतिहासनामा में विस्तार से लिख चुके हैं।

यदि बाबर से लेकर औरंगजेब तक तथा उत्तर मुगलकाल के बादशाहों तथा उमरा वर्ग के व्यक्तिगत जीवन की अय्याशियों की तुलना करें तो यह बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है कि काम-वासना की पूर्ति के लिए हरम की खूबसूरत औरतें, अफीम, शराब और दूसरी नशे वाली चीजें सदा से प्रचलित थीं।

ऐसे में केवल यह तर्क देना बिल्कुल गलत है कि औरंगजेब के बाद जवानी और शराब के नशे में अन्धे शासक अपने कर्तव्य भूल गए और मुगल सत्ता डांवाडोल हो गई। इस स्टोरी में हम आपको मुगल शासक वर्ग की उन अय्याशियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें जानने के बाद मुगल हरम की कहानियां फीकी नजर जाएंगी।

काम-वासना से जुड़ी अय्याशियां

मुगलिया शासन में हरम की शुरूआत करने वाले बाबर की आत्मकथा बाबरनामा’ (तुजुक--बाबरी) के मुताबिक, “बाबर अपनी पहली पत्नी आयशा जो उसकी चचेरी बहन थी, उससे तनिक भी प्यार नहीं करता था। बाबर को उर्दू बाजार के एक लड़के बाबरी से इतना लगाव हो गया था कि वह उसके लिए पागल हो चुका था।

अनपढ़ मुगल बादशाह अकबर की हिन्दुस्तान में तूती बोलती थी। अकबर के हरम में 5000 महिलाएं थीं, इससे ज्यादा यह बात ध्यान देने योग्य है कि वह दुनियाभर की अलग-अगल नस्ल की महिलाओं का शौकीन था।

प्रख्यात इतिहासकार हरिश्चन्द्र वर्मा लिखते हैं कि अकबर के एक पंचहजारी मनसबदार जैनखां कोका ने बादशाह की दावत की। इस अवसर पर अपने घर को सजाने के लिए दूसरी चीजों के अतिरिक्त अपने घर के तीन तालाबों को गुलाब, जाफरान और अरगजे से भरवाया और 1000 से ज्यादा वेश्याएं उनमें उतार दीं। पानी के बजाय चौक में गुलाबजल छिड़का गया

वहीं बादशाह जहांगीर के हरम में तकरीबन 1000 महिलाएं थीं, बावजूद इसके बेहद खूबसूरत नूरजहां से निकाह करने के लिए उसने उसके पति अली कुली उर्फ शेर अफगान खान की हत्या करवा दी। तनुश्री पोद्दार की किताब 'एस्केप फ्रॉम हरम' के अनुसार, “विधवा नूरजहां को जहांगीर चार साल तक मनाता रहा और नूरजहां की नामंजूरी का गुस्सा वह मासूम लड़कियों पर उतारता था। हर रात उसके लिए शहर से नई लड़की लाई जाती थी, जिसके साथ वह नूरजहां समझकर प्यार करता था।

निकोलाओ मनूची अपनी यात्रा संस्मरण में लिखता है कि शाहजहां अपनी काम-वासना की पूर्ति सलाहकारों और सेनापतियों की बीवियों से पूरा करता था। अपनी उत्तेजना बढ़ाने के लिए वह कामोत्तेजक दवाईयां खाता था, जिसके चलते वह यूरिनरी डिसऑर्डर का शिकार हो गया था।

फ्रांसीसी इतिहासकार फ्रेंकोई बर्नियर के मुताबिक, मुमताज महल की मौत के बाद शाहजहां अपनी खूबसूरत बेटी जहांआरा को पागलों की तरह प्यार करता था। बर्नियर लिखता है कि शाहजहां का जहांआरा के साथ शारीरिक संबंध था। जिस मुगल बादशाह औरंगजेब को मुगल इतिहास में शाही दरवेश की उपा​धि दी गई है, वह भी बुरहानपुर की एक तवायफ हीराबाई के प्यार में पागल था। संयोगवश किसी बीमारी से हीराबाई की मौत हो गई और औरंगजेब का यह इश्क अधूरा रह गया।

यदि हम मुगल बादशाह जहांदरशाह की बात करें तो वह दिन-रात हरम में ही पड़ा रहता था। उसका ज्यादातर समय भोग-विलास में ही बीतता था। जहांदरशाह बेहद खूबसूरत तवायफ लाल कुंवर पर इस कदर फिदा था कि उसने उसे बेगम का दर्जा दिया तथा बेगम लाल कुंवर के कहने पर उसने अपने ही बेटे की आंखें फुड़वा दी और उसे जेल में डलवा दिया।

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शराब- अफीम आदि से जुड़ी अय्याशियां

मुगल बादशाह औरंगजेब को छोड़कर तकरीबन हर सम्राट शराबी था। यदि हम मुगल बादशाह बाबर से शुरूआत करें तो वह शराब पीने का इस कदर शौकीन था कि उसने काबुल से ऊंटों पर शराब के मटके भरवाकर मंगवाया था। इसी शराब की लत के कारण जब उसे लगा कि वह महायोद्धा राणा सांगा पर विजय नहीं प्राप्त कर पाएगा तो उसने अपनी सेना के सामने कभी भी शराब नहीं पीने की कसम खाई। शराब को गड्ढे में फेंकवा दिया तथा सोने-चांदी के जिन बर्तनों में वह शराब पीता था उन्हें तुड़वा दिया। 

यदि हम बाबर के बेटे हुमायूं की बात करें तो वह शराबी होने के साथ-साथ अव्वल दर्जे का अफीमची था। हूमायूं दिन में कम से कम तीन बार अफीम का सेवन जरूर करता था। दीनपनाह पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिरकर जिस दिन उसकी मौत हुई, उसदिन भी उसने गुलाबजल मंगवाकर अफीम की खुराक ली थी।

य​द्यपि बादशाह अकबर शराब और अफीम का शौकीन नहीं था लेकिन वह तम्बाकू पीने का शौकीन था। हां, यह सच है कि अकबर के सभी बेटे अव्वल दर्जे के शराबी थे। शराब की लत के चलते अकबर के बेटे मुराद मिर्जा को कई बीमारियां हो चुकी थीं जिसके चलते उसकी मौत महज 29 वर्ष की उम्र में हो गई। अकबर का सबसे छोटा बेटा दानियाल भी जमकर शराब पीता था। दानियाल ने अकबर के डर से अपनी बन्दूक याकू-यू-जनाजा की नली में शराब डालकर पी लिया था। चूंकि बन्दूक की नली में जंग लगा था, जिससे शराब पीते ही उसने बिस्तर पकड़ लिया और 35 वर्ष की उम्र में उसकी मौत हो गई।

अकबर का सबसे प्रिय बेटा सलीम यानि जहांगीर रंगीन मिजाज होने के साथ-साथ अव्वल दर्जे का शराबी था। शराब और अफीम की लत ने उसके शरीर को बर्बाद कर दिया। जहांगीर की आत्मकथा तुजुक--जहांगीरी के मुताबिक, “वह प्रतिदिन 20 प्याला शराब पीता था जिसमें 14 प्याला शराब दिन में पीता था बाकी 6 प्याल शराब रात में पीता था। जहांगीर आगे लिखता है कि यदि वह एक घड़ी भी शराब नहीं पीता था तो उसके हाथ कांपने लगते थे तथा बैठने की शक्ति नहीं रह जाती थी।

पार्वती शर्मा की किताब जहांगीर एन इंटिमेट प्रोर्ट्रेट आफ ग्रेट मुगल के अनुसार, “जब शाही हकीम ने जहांगीर को चेतावनी दी कि शराब की लत छोड़नी होगी अन्यथा अगले छह माह में हालात बदतर हो जाएंगे तब उसने शराब तो छोड़ दी लेकिन फिलोनियम का नशा करने लगा। दरअसल फिलोनियम जटामांसी, शहद और अफीम का मिश्रण होता था। जहांगीर अपना स्वास्थ्य ठीक करने के लिए पहले काबुल गया, फिर वहां से कश्मीर चला गया। कश्मीर में भीषण ठंड थी जिससे उसने लाहौर लौटने का फैसला किया। कश्मीर से लाहौर यात्रा के दौरान जहांगीर की मौत हो गई।

ठीक इसी तरह से जहांगीर का एक पंचहजारी मनसबदार शाहबेग खां हर समय नशे में धुत रहता था। वह कहा करता था-“सुराही नजर के सामने रहे, चाहे दुनिया न रहे। शाहबेग खां अफीम, भांग और कोकनार शराब में मिलाकर पीता था। इस कदर शराबी होने के बावजूद शाहबेग को इतना बड़ा पद मिला था।

यद्यपि शाहजहां को शराब पीना पसन्द नहीं था। इतिहासकार हरिश्चन्द्र वर्मा लिखते हैं कि जहांगीर ने शाहजहां को अपने सामने अपने आदेश से शराब पिलवाई थी और आगे के लिए भी कहा था कि वह जश्न के मौके पर शराब पिया करे क्योंकि यह पादशाहत की निशानी है

चर्चित किताब प्राइवेट लाइफ ऑफ द मुगल्स ऑफ इंडिया के अनुसार बादशाह शाहजहां को अफीम की लत थी एक अन्य उदाहरण यह भी है कि शाहजहां के एक बड़े अमीर शाहनवाज खां सफवी के पास जितने गवैये थे, उससे अधिक गवैये किसी अमीर के पास नहीं थे।

मशहूर इतिहासकार जदुनाथ सरकार लिखते हैं कि बादशाह शाहआलम द्वितीय ने एक पत्र (नवम्बर, 1778 ई.) में ब्रिटिश गवर्नर जनरल से विनती की ​थी कि उसके लिए 2 मन पटना की बढ़िया अफीम भेज दी जाए एकमात्र मुगल बादशाह औरंगजेब को शराब और अफीम से नफरत थी, फिर भी वह यह कहकर मरा कि सारे फसाद की जड़ मैं हूं” (अज् मा हमां फसाद बाकी) उपरोक्त थोड़े से उदाहरणों से आपको अन्दाजा लग गया होगा कि मुगल शासक व उमरा वर्ग कितने अय्याश थे।

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