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History of Colorful activities related to Mughal harem

मुगल हरम से जुड़ी रंगीन करतूतें, जिनसे अभी तक बेखबर होंगे आप

मध्यकालीन भारतीय इतिहास में मुगल बादशाहों के साथ-साथ उनके हरम की भी चर्चा जरूर होती है क्योंकि मुगल बादशाहों के भोग विलास का प्रमुख केन्द्र हरम ही था। बता दें कि हरम एक अरबी शब्द है जिसका तात्पर्य है-‘निषिद्ध स्थानअथवापवित्र। वहीं फारसी में हरम का मतलब जंगल होता है। जबकि वास्तव में हरम एक ऐसा केन्द्र था जहां बेगमों, रानियों के अतिरिक्त हजारों की संख्या में सुन्दर दासियां मौजूद होती थीं। अनीशा शेखर मुखर्जी की किताब  द रेड फोर्ट ऑफ शाहजहानाबाद: एन आर्किटेक्चरल हिस्ट्रीके मुताबिक, मुगल हरम में बादशाह के अतिरिक्त किसी भी बाहरी मर्द को प्रवेश करने की इजाजत नहीं थी। इस नियम के पीछे दो प्रमुख कारण थे- सबसे पहले बादशाह की सुरक्षा तत्पश्चात हरम की महिलाओं को किसी गैर मर्द से सम्बन्ध बनाने से रोकना।

मुगल हरम में महिलाओं की संख्या

अबुल फजल अपनी प्रसिद्ध कृति अकबरनामा में लिखता है कि मुगल बादशाह अकबर के हरम में दुनिया के कई देशों से लाई गईं खूबसूरत महिलाएं और दासियां थीं जिनकी संख्या तकरीबन पांच हजार थी।वहीं इतिहासकार बेनी प्रसाद लिखते हैं कि शहजादे सलीम के हरम में भी तकरीबन 300 महिलाएं रहती थीं। इसके बाद सलीम जब जहांगीर के नाम से मुगल गद्दी पर बैठा तब उसका हरम काफी मशहूर था, ब्रिटिश यात्री सर टामस रो अपने यात्रा वृत्तांत में लिखता है कि जहांगीर के हरम में एक हजार महिलाएं मौजूद थीं।

यूरोपीय यात्री फ्रांकोइस बर्नियर के अनुसार, मुगल बादशाह शाहजहां ने 7 शादियां की थी। मुमताज महल उसकी चौथी बेगम थी। शाहजहां की बेटी जहांआरा ने उसके हरम में दस हजार महिलाओं के होने की बात लिखी है। शाहजहां के हरम में कमसिन लड़कियों के अलावा कुछ खूबसूरत लड़के भी होते थे। शाहजहां हरम की सबसे खूबसूरत तथा खास कनीजों के श्रृंगार के लिए दासियां भी नियुक्त करता था। चूंकि औरंगजेब का झुकाव धर्म की तरफ ज्यादा था, मुगल इतिहास में उसे जिन्दा पीर भी कहा गया है। ऐसे में उसके हरम में महिलाओं की संख्या काफी कम थी।

इतिहासकार बी.एल. ग्रोवर और यशपाल लिखते हैं कि मुगल बादशाह अहमद शाह ने तो इन विषय-वासनाओं में अपने सभी पूर्वजों को मात कर दिया। उसका हरम तो एक वर्ग कोस (लगभग 4 मील) में फैला हुआ था जहां पुरुषों को आने की अनुमति नहीं थी। कई बार तो वह एक-एक सप्ताह अथवा एक-एक मास त​क हरम में स्त्रियों के पास पड़ा रहता था।

हरम में गैर मर्दों का प्रवेश प्रतिबन्धित था

मुगल हरम में बादशाह के अतिरिक्त किसी भी अन्य मर्द को जाने की अनुमति नहीं थी। बादशाह के अलावा हरम में केवल चिकित्सक ही जा सकते थे। बादशाह अपनी इच्छानुसार हरम की किसी भी महिला के साथ सम्बन्ध बना सकता था। हरम में कड़ी निगरानी के बीच चिकित्सकों को प्रवेश दिया जाता था। चिकित्सक जब तक बीमार महिला का इलाज करता था तबतक उसके पास निगरानी के लिए किन्नर बैठे रहते थे। इतालवी चिकित्सक निकोलाओ मानुची अपनी किताब मुगल इंडिया में लिखता है कि दाराशिकोह के साथ उसके अच्छे सम्बन्ध थे। बतौर चिकित्सक उसे दाराशिकोह के हरम में खुले रूप से जाने की अनुमति मिली थी। दरअसल इसके पीछे दारा शिकोह की सोच यह थी कि मुस्लिमों के मुकाबले ईसाईयों की सोच में अश्लीलता कम होती है।

मुगल हरम में कहां से लाई जाती थी सुन्दरियां

मुगल हरम में हर जाति, धर्म की खूबसूरत महिलाएं होती थीं। हरम में बादशाह की रखैलें, दासियां, किसी अन्य राजा से उपहार में मिली अति सुन्दर महिलाएं भी शामिल होती थीं। अक्सर युद्ध में पराजित राजा की महिलाओं को भी मुगल अपने हरम में रख लेते थे। कुछ अति सुन्दर महिलाओं को तो मुगल जबरदस्ती अपने हरम में शामिल कर लेते थे। इस प्रकार मुगल हरम में ईरानी, अफगानी, तुरानी, उज्बेक से लेकर भारतीय महिलाएं भी रहती थीं। यही वजह है कि हरम में शामिल महिलाओं की संख्या हजारों में पहुंच जाती थी। हरम की प्रमुख महिला पादशाह बेगम होती थी। बादशाह को आकर्षित तथा प्रभावित करने के लिए मुगल हरम की महिलाओं में सुन्दरता, बुद्धि तथा वफादारी को लेकर बड़ी प्रतिद्वंदिता थी। मुगल हरम की महिलाएं खुद के लिए गुल अफसाना, कचनार और गुलबदन जैसे छद्म नामों का इस्तेमाल करती थीं। ऐसा मुगल हरम से बाहर जाने वाले राज को गुप्त रखने के लिए किया जाता था।

मर्दाना ताकत के लिए क्या खाते थे मुगल बादशाह

मुगल बादशाह अपनी शारीरिक ताकत बढ़ाने के लिए सामान्यतया बादाम, काजू, किशमिश और पिस्ता आदि का सेवन करते थे। लेकिन उनका मुख्य भोजन जंगली खरगोश का मांस हुआ करता था, इससे उन्हें काफी ताकत मिलती थी। बादशाह विशेष प्रकार के पान का भी सेवन करते थे जिसमें खास जड़ी-बूटियां शामिल हुआ करती थीं।

गर्भपात के लिए खिलाए जाते थे ऐसे फल

इसमें कोई दो राय नहीं कि मुगलों की अय्याशी का अड्डा थे हरम। ऐसे में हरम की खूबसूरत दासियों तथा अन्य महिलाओं के गर्भवती होने पर उनका गर्भपात करवाया जाता था। इसके लिए कुछ फलों का इस्तेमाल किया जाता था जैसे- जंगली पौधों के बीजस, फल, नींबू आदि। ऐसा भी कहा जाता है पपीता, क्रोकस या हार्सटेल जैसी चीजें हरम में जरूर पाई जाती थीं। गर्भ रोकने के लिए पपीता और अन्नानास का इस्तेमाल सदियों से जारी है। इसके अतिरिक्त अजवाइन और पुदीने के पानी से भी गर्भ रोकने की कोशिश की जाती थी।

गैर मर्दों के प्रति बेहद आकर्षित थीं हरम की महिलाएं

मुगल हरम में बादशाह के सिवाय कोई भी बाहरी मर्द हरम में प्रवेश नहीं कर सकता था। हरम में महिलाओं की तादाद इतनी ज्यादा होती थी कि महज पांच फीसदी महिलाओं को ही बादशाह के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाने का मौका मिल पाता था। ऐसे में बाहरी मर्दों के प्रति हरम की महिलाओं का आकर्षित होना लाजिमी था।

इतालवी चिकित्सक मनूची अपने यात्रा संस्करण में लिखता है कि चूंकि हरम में चिकित्सकों को जाने की अनुमति थी ऐसे में हरम की महिलाएं झूठी बीमारी का बहाना करती थीं। चिकित्सक जब उनका नब्ज टटोलने के लिए पर्दे के भीतर हाथ बढ़ाते थे तो कई बार महिलाएं उनका हाथ चूम लेती थी, वहीं कुछ महिलाएं प्यार से हाथ काट लेती थीं। कुछ महिलाएं तो हाथ पकड़कर अपने शरीर को सहलाती थीं।

हरम में कड़ी सुरक्षा के बावजूद कभी-कभी बाहरी मर्द चोरी-छुपे हरम में प्रवेश कर जाते थे। बतौर उदाहरण- औरंगजेब की छोटी बहन रोशनआरा ने एक बाहरी युवक को कई दिनों तक हरम में छुपा कर रखा था। इसके बाद उसे रात के अंधेरे में सुरक्षित बाहर निकालने की कोशिश की गई लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उसे सुबह पकड़ लिया। जब उस युवक को औरंगजेब के सामने पेश किया  गया तो उसने झूठ बोला कि वह नदी किनारे किले की दीवार से शाही महल तक पहुंचना चाहता था। दरअसल वह युवक इस बात को भलीभांति जानता था कि यदि वह हरम में घुसने की बात स्वीकार करेगा तो तुरन्त मारा जाएगा। बावजूद इसके हरम के हिजड़ों ने बादशाह के आदेश पर उस युवक को किले की 60 फीट ऊंची दीवार से नदी में फेंक दिया।

मुगल इतिहासकार प्रोफेसर आर. नाथ के अनुसार, मुगल हरम के तहखाने में एक फांसीघर बना होता था। हरम की कोई भी महिला यदि बादशाह के अतिरिक्त किसी अन्य मर्द से सम्बन्ध बनाते हुए पकड़ी जाती थी तो उसे तुरन्त फांसी पर लटका दिया जाता था और फिर उसकी लाश को सुरंग के रास्ते बाहर फेंक दिया जाता था।

सुरक्षा के लिए नियुक्त थे हिजड़े और भारीभरकम शरीर वाली  महिलाएं

मुगल हरम के औरतों की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया गया था। हरम की सुरक्षा के लिए तीन घेरे बनाए गए थे। सबसे बाहरी घेरे में आम सैनिकों की तैनाती की गई थी। दूसरे घेरे में तुर्की तथा कश्मीरी महिलाओं की नियुक्ति की जाती थी जोकि भारी भरकम शरीर वाली होती थीं। ये महिलाएं सैन्य प्रशिक्षण में माहिर होती थीं जो अपने दुश्मन को पलभर में मात दे सकती थीं। जबकि तीसरे और आखिरी सुरक्षा घेरे में हिजड़ों की तैनाती की जाती थी जिन्हें ख्वाजा सारकहा जाता था। ज्यादातर हिजड़े अफ्रीकी और एशियाई नस्ल के होते थे। ये हिजड़े हमेशा सावधान रहते थे कि कोई भी बाहरी पुरूष किसी भी तरह से हरम में प्रवेश नहीं कर पाए। मुगल बादशाह के हरम में प्रवेश करते ही हिजड़े उसके आसपास पुरी मुस्तैदी से सुरक्षा घेरा बनाकर डटे रहते थे। हरम में नियुक्त हिजड़ों को मुगल बादशाहों से काफी अधिकार मिले होते थे। अकबर के शासनकाल में नियामत खान तथा इत्तिमाद खान काफी ताकतवर हिजड़े थे। अकबर का चहेता इत्तिमाद खान तो सुरक्षा से लेकर वित्त जैसी जिम्मेदारियां भी संभालता था।

मुगल हरम में महिलाओं की जिन्दगी

मुगल हरम में शामिल उन महिलाओं का जीवन सुख-सुविधा से भरपूर था जो बादशाह की खास कनीज होती थीं। हरम में बड़ी संख्या में हर आयु वर्ग की औरते रहती थीं। मनूची लिखता है कि शासन की तरफ से उन्हें शाही कपड़े, भोग विलास के सारे सामान, दासियां तथा किन्नर उनकी सेवा में लगे रहते थे। हरम में बगीचे, फव्वारे तथा पानी के चैनल लगे होते थे। हरम की महिलाओं को शाही रसोई से भोजन मिलता था। इसके अतिरिक्त इन्हें पीने का पानी, शराब तथा फल भी उपलब्ध कराया जाता था। जबकि शाहजहां की बेटी जहांआरा अपनी डायरी में लिखती है कि हरम में औरतों का शोषण होता था। कुछ औरतें तो पीढ़ियों से मुगल हरम का हिस्सा थीं, उन्हें बाहर की दुनिया देखने की इजाजत नहीं थी। मुगल हरम में शामिल महिलाएं कभी भी बाहर की दुनिया नहीं देख पाती थीं। हरम में पैदा हुए बच्चों का वहीं पालन-पोषण होता था। हरम में शाही खजाना,गुप्त दस्तावेज और शाही मुहर भी रखी जाती थी।

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