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For what purpose Maharaja Sawai Pratap Singh build the Hawa Mahal jaipur?

महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने किस मकसद से बनवाया था हवामहल?

पृथ्वीसिंह कछवाहा ​की मृत्यु के बाद उसका छोटा भाई सवाई प्रताप ​सिंह महज 14 वर्ष की उम्र में 1778 ई. में जयपुर का महाराजा बना। माधोसिंह प्रथम के छोटे पुत्र महाराजा सवाई प्रताप सिंह के शासनकाल में फरवरी 1798 ई. में अंग्रेज सेनापति जार्ज थामस ने जयपुर पर आक्रमण किया था। इतना ही नहीं,  सवाई प्रताप सिंह के समय मराठों ने भी सर्वाधिक आक्रमण किए।

सवाई प्रताप सिंह एक ताकतवर योद्धा होने के साथ-साथ बेहतरीन कवि भी था। सवाई प्रताप सिंह की कविताएं ब्रजनिधि ग्रन्थावली में संकलित हैं। सवाई प्रताप सिंह के दरबार में 22 प्रसिद्ध संगीतज्ञों तथा विद्वानों की मंडली नियुक्त थी जो गन्धर्व बाईसी के नाम से विख्यात थी।

इन सबके अतिरिक्त महाराजा सवाई प्रताप सिंह एक अच्छा निर्माता भी था। उसने 1799 ई. में गुलाबी शहर जयपुर के प्रख्यात हवामहल का निर्माण करवाया जिसे राजस्थान का एयर दुर्ग भी कहते हैं। ऐसे में आपका यह सोचना बिल्कुल लाजिमी है कि सवाई प्रताप सिंह ने आखिर में हवामहल का निर्माण किस मकसद करवाया था? इस प्रश्न के अतिरिक्त हवामहल से जुड़े अन्य रोचक तथ्यों की जानकारी के लिए यह ऐतिहासिक स्टोरी जरूर पढ़ें।  

हवामहल से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त सवाई प्रताप सिंह ने साल 1799 में श्रीकृष्ण मुकुट के स्वरूप में हवामहल का निर्माण करवाया। शिल्पकार लालचंद कुमावत/लालचंद उस्ताद की देखरेख में हवामहल का निर्माण कार्य पूरा हुआ। मुगल और राजपूत शैली में निर्मित हवामहल को राजस्थान का एयर दुर्ग भी कहते हैं।

हवामहल की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि इसकी पूरी इमारत बिना नींव के ही समतल जमीन पर खड़ी है। कहते हैं, यह दुनिया की एकमात्र ऐसी इमारत है जो बिना किसी नींव के वर्षों से यथावत खड़ी है। बता दें कि हवामहल नामक यह पांच मंजिला इमारत ठोस नींव के आभाव में 87 डिग्री के कोण पर झुकी हुई है। जयपुर सिटी पैलेस से जुड़ा यह हिस्सा एक विस्तृत मुखौटा है, जो दूर से महल की तरह दिखता है।

पांच मंजिले हवामहल में कुल 953 खिड़कियां हैं। हवामहल के अन्दर हवा मंदिर नाम से एक छोटा सा मंदिर मौजूद है, इसी कारण हवामहल की प्रत्येक मंजिल को मंदिर का नाम दिया गया। हवामहल की पांच मंजिलों के नाम इस प्रकार हैं- 1. शरद मंदिर, 2. रतन मंदिर, 3. विचित्र मंदिर, 4. प्रकाश मंदिर, 5. हवा मंदिर।

हवामहल से जुड़ा एक रोचक तथ्य यह भी है कि इस इमारत में एन्ट्री करने के लिए आगे से कोई दरवाजा नहीं है। हवामहल के पीछे एक भव्य दरवाजा बना हुआ जहां से पयर्टक एन्ट्री करते हैं। सीढ़ियों के रास्ते पर्यटक हवामहल के सबसे ऊपरी मंजिल तक पहुंच सकते हैं, जहां से जंतर-मंतर, सिटी पैलेस तथा नाहरगढ़ का मनोरम दृश्य नजर आता है।

हवामहल के पिछले हिस्सें में 1983 ई. से ही राज्य सरकार द्वारा हवामहल म्यूजियम का संचालन किया जा रहा है। इस म्यूजियम में संरक्षित प्राचीन कलाकृतियों के अ​तिरिक्त जयपुर के कछवाहा राजवंश के वैभवशाली जीवन की स्पष्ट झलक देखने को मिलती है। हवामहल देखने के बाद आप वहां से बिल्कुल नजदीकी जौहरी बाजार तथा बापू बाजार घूमना नहीं भूलें क्योंकि ये बाजार पारंपरिक राजस्थानी आभूषणों, कपड़ों, हस्तशिल्प और स्मृति चिन्हों के लिए काफी फेमस हैं।

हवामहल बनवाने का मकसद

जयपुर शहर के बड़ी चौपड़ पर स्थित हवामहल को बनवाने का मुख्य मकसद यह था कि जयपुर की महारानियां इस इमारत की खिड़कियों के पीछे बैठकर विजयोत्सव के अतिरिक्त गणगौर व तीज का जुलूस तथा जन्माष्टमी आदि की सवारियां, सुन्दर झांकियां तथा बाजार की हलचल देख सकें।

जयपुर की महारानियों तथा राजमहल की अन्य महिलाओं को इन विशेष मौकों पर बाहर का दृश्य देखने के लिए गुलाबी और लाल रंग के हवामहल की खिड़कियों को कुछ इस तरह ​से डिजाइन किया गया था जो उनकी गोपनीयता और प्रतिष्ठा को बनाए रखती थी। मतलब साफ है, हवामहल की खिड़कियों से बाहर का नजारा स्पष्ट दिखता है, परन्तु बाहर से अंदर कुछ भी नजर नहीं आता है।

सबसे बड़ी बात की, हवामहल की कुल 953 खिड़कियों से हर पल ठंडी हवा आती रहती है। इसी वजह से इस सुन्दर इमारत को हवामहल का नाम दिया गया।  हवामहल की 953 खिड़कियों में रंगीन शीशे लगे हुए हैं, जिन पर सूर्य की रोशनी पड़ते ही हवामहल के कक्ष इन्द्रधनुषी रंग से लबरेज हो जाते हैं। हवामहल की खिड़कियों को कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह एक मधुमक्खी के छत्ते जैसा दिखता है, वहीं दूर से देखने पर हवामहल भगवान कृष्ण के मुकुट की आकृति के समान दिखता है। 

लाल और गुलाबी बलुआ पत्थरों से निर्मित हवामहल के प्रत्येक मंजिल पर राजमहल की महारानियां गर्मी के दिनों में आराम करती थीं। क्योंकि हवामहल की खिड़कियां जयपुर की चिलचिलाती गर्मी में भी शीतलता का अहसास कराती हैं।

वहीं, कुछ विद्वान यह भी कहते हैं कि झुंझुनू में महाराजा भोपाल सिंह द्वारा निर्मित खेतड़ी महल की सुन्दरता से प्रभावित होकर सवाई प्रताप सिंह ने उसी के अनुरूप एक आलीशान महल बनवाने का निर्णय लिया और उसी की परिणिती है हवामहल। अब आप समझ गए होंगे कि गुलाबी शहर के नाम से विख्यात जयपुर के ​विभिन्न पर्यटन स्थलों जैसे- अल्बर्ट हॉल म्यूजियम, आमेर फोर्ट, सिटी पैलेसे, जंतरमंतर, नाहरगढ़ किला, आमेर फोर्ट आदि के अलावा हवामहल अपने आप में क्यों खास है। 

कैसे पहुंचे हवामहल

देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से राजस्थान की राजधानी जयपुर के लिए ट्रेनें सुगमता से उपलब्ध हैं। जयपुर रेलवे स्टेशन से आप कैब, टेम्पो ​अथवा कार बुक करके हवामहल जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त जयपुर रेलवे स्टेशन स्थित बस स्टैण्ड से विभिन्न वाहनों के जरिए भी आप हवामहल पहुंच सकते हैं।

जयपुर के सांगानेर में स्थित अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से 13 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद हवामहल पहुंचने के लिए आप निजी वाहन बुक कर सकते हैं। हवामहल का दर्शनीय शुल्क प्रति व्यक्ति 10 रुपए है। याद रहे, हवामहल घूमने का समय सुबह 9 बजे से लेकर सायंकाल साढ़े छह बजे तक का है। अक्टूबर से लेकर मार्च तक के महीने में जयपुर शहर का मौसम बेहद सुहावना रहता है, इन महीनों में आप गुलाबी शहर स्थित हवामहल घूमने का भरपूर आनन्द ले सकते हैं।

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