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The court of ghosts was held in Jal Mahal of Jaipur, what is this mystery?

जयपुर के जलमहल में लगती थी भूतों की कचहरी, आखिर क्या है यह रहस्य?

जयपुर शहर की स्थापना करने वाले महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने जयपुर- आमेर मार्ग पर मानसागर झील के बिल्कुल बीच में जलमहल का निर्माण करवाया था। इस पांच मंजिले जलमहल के शेष चार मंजिल पानी के नीचे डूबे हुए हैं। इस खूबसूरत जलमहल का निर्माण महाराजा ने क्यों करवाया था और फिर जयपुर के लोग इस जलमहल को भूतिया क्यों मानते हैं? जलमहल से जुड़े इस रहस्य को जानने के लिए यह स्टोरी जरूर पढ़ें।

सवाई जयसिंह द्वितीय ने क्यों बनवाया ​था जलमहल

राजस्थान की राजधानी जयपुर का प्रसिद्ध जलमहल अजमेरी गेट से तकरीबन सात किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है। जयपुर-आमेर मार्ग पर मानसागर झील के मध्य में स्थित जलमहल का निर्माण 18वीं शताब्दी में महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने करवाया था। दरअसल जयपुर शहर को पर्याप्त जलापूर्ति हेतु सवाई जयसिंह द्वितीय ने गर्भावती नदी पर बांध बनवाकर मान​सागर झील का निर्माण करवाया था। परन्तु सवाल यह उठता है कि महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने मानसागर झील के मध्य में जलमहल का निर्माण किस उद्देश्य से करवाया था।

चांदनी रात में मानसागर झील के पानी में जलमहल की खूबसूरती देखते ही बनती है। ज्यादातर लोगों का मानना है कि अश्वमेध यज्ञ सम्पन्न कराने वाले विद्वान ब्राह्मणों-पुरोहितों के विश्राम के लिए महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने जलमहल का निर्माण करवाया था। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि जलमहल का निर्माण महाराजा ने अपनी रानियों के साथ स्न्नान करने के लिए करवाया था। दरअसल जलमहल का निर्माण एक मानसून महल के रूप में करवाया गया था जहां महाराजा अपनी रानियों के साथ कुछ खास पल बिताया करते थे। इतना ही नहीं राजसी उत्सवों पर भी जलमहल का इस्तेमाल किया जाता था।

जलमहल के निर्माण से जुड़ा एक सर्वप्रिय तथ्य यह भी है कि कई प्रकार के पक्षियों के शिकार के वक्त महाराजा का विश्रामगृह था यह जलमहल। आज की तारीख में जलमहल एक पक्षी अभयारण्य के रूप में भी विकसित हो रहा है, जहां आप विभिन्न प्रकार की खूबसूरत पक्षियों जैसे- किंगफिशर और फ्लेमिंगो आदि का नजारा ले सकते हैं।

राजपूती वास्तुकला का अद्भूत नमूना है जलमहल

मानसागर झील के मध्य निर्मित पांच मंजिला जलमहल राजपूती वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है। नाहरगढ़ फोर्ट तथा मानसागर बांध से जलमहल का अद्भुत नजारा देखते ही बनता है। लाल बलुआ पत्थर से बने जलमहल में विभिन्न जैविक सामग्रियों जैसे- चूना, रेत और सुरखी के साथ गुड़, गुग्गल और मेथी पाउडर का इस्तेमाल किया गया है। मानसागर झील की गहराई तकरीबन 15 फीट से ज्यादा है, ऐसे में जब यह झील लबालब भर जाती है तब जलमहल की चार मजिलें पानी के नीचे हमेशा डूबी ही रहती हैं और जलमहल का सबसे ऊपरी मंजिल ही दिखाई देता है।

जलमहल के चारों कोनों पर अष्टकोणीय छतरियां बनी हुई हैं। लाल पत्थर से बने जलमहल की दीवारें इतनी मजबूत हैं कि तकरीबन 250 वर्षों से लाखों लीटर पानी का दबाव झेलने में सक्षम हैं। जलमहल की छत पर मौजूद चमेली बाग एक खूबसूरत बगीचा है जहां से आसपास के अद्भुत दृश्य दिखाई देते हैं। परन्तु हैरानी की बात यह है कि चमेली बाग केवल चम्पा के फूलों से ही आच्छादित है। सम्भव है, पहले इस बगीचे में चमेली के ही पौधे ज्यादा रहे होंगे। कुछ समय पहले तक जलमहल में डूबने के बड़े मामले होते थे लेकिन अब यहां सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। इतना ही नहीं, जलमहल में आम जनता का प्रवेश प्रतिबंधित है, आप सड़क से जलमहल का नजारा ले सकते हैं। शाम के वक्त जलमहल की पाल पर पर्यटकों की अच्छी-खासी भीड़ जुटती है।

जलमहल को भूतिया मानते हैं जयपुर निवासी

अरावली पहाड़ियों की तलहटी में स्थित मानसागर झील के ठीक ​मध्य में स्थित जलमहल को पर्यटक 'आई बॉल' भी कहते हैं। इसके अतिरिक्त गुलाबी शहर का यह खूबसूरत पर्यटन स्थल 'रोमांटिक महल' के नाम से भी जाना जाता था परन्तु दुभार्ग्य से यह स्थान जयपुर के भूतिया जगहों में से एक गिना जाता है। स्थानीय लोगों और यात्रियों ने जलमहल के छायादार गलियारों में भटकते भूत-प्रेतों के देखे जाने की सूचना दी है। यही वजह है कि इसे राजस्थान के शीर्ष प्रेतबाधित स्थानों में से एक गिना जाता है।

आम जनता को जलमहल के अन्दर जाने की अनुमति नहीं है। लोगों का कहना है कि रात के वक्त जलमहल के अन्दर अजीबोगरीब घटनाएं देखने-सुनने को मिलती हैं, बतौर उदाहरण- कुछ लोग जलमहल में रात के वक्त चीख-पुकार सुनने का दावा करते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि जलमहल के अन्दर जादू-टोने का एक बड़ा गढ़ है, इसमें खजाना दबा हुआ है। जयपुर निवासियों के बीच एक विख्यात किवंदन्ती के अनुसार, बृहस्पति की रात में जलमहल में लगने वाली भूतों की कचहरी में भानगढ़ और अजबगढ़ के भूत और जिन्न आते थे। वे मिठाई की दुकानों से रात को बरफी के थाल जलमहल ले जाते और बदले में चांदी के सिक्के रख जाते थे।

कुछ लोग तो यह भी कहते हुए सुने जाते हैं कि जलमहल के फुटपाथ पर रात आठ बजे के बाद काला जादू करने वाले लोग सक्रिय हो जाते हैं। इस फुटपाथ पर रात को तकरीबन दस बजे बड़ी-बड़ी गुड़िया-गुड्डे सजाए जाते हैं और इनमें सुईयां चुभोई जाती हैं। इसके बाद इन गुड्डे-गुड़ियों को नाहरगढ़ जाने वाले रास्ते से आगे बाए हाथ की पहाड़ी पर फेंक दिया जाता है। इसका क्या रहस्य है, कोई कुछ भी नहीं बता सकता।

जलमहल से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

जयपुर में स्थित जलमहल पर्यटकों के बीच 'आई बॉल' और 'रोमांटिक महल' के नाम से भी विख्यात है।

जलमहल के निर्माण के लिए राजपूत शैली से तैयार की गई नौकाओं की मदद ली गई थी।

राजपूत व मुग़ल वास्तुकला में निर्मित जलमहल में लाल बलुए पत्थर का इस्तेमाल किया गया है।

जलमहल का निर्माण सूखे के समय हुआ था, इसलिए जब यह पहली बार बनकर तैयार हुआ था तब इस पूरी रचना को साफ़ देखा जा सकता था।

आज भी इस महल के नीचे लगभग 30 कमरे पानी में डूबे हुए हैं जिनमें लोग नहीं जा सकते।

जलमहल की नर्सरी में एक लाख से ज्यादा पौधे हैं, जिसके लिए करीब 40 माली लगे हुए हैं।

जलमहल की नर्सरी राजस्थान का सबसे उंचे पेड़ों वाला नर्सरी है। यहाँ पर अरावली, शर्ब, हेज, क्रीपर और ओर्नामेंटल की लाखों प्रजातियां मौजूद हैं।

जलमहल के मानसागर झील में बड़ी संख्या में किंगफिशर और फ्लेमिंगो पक्षी आते रहते हैं।

मानसिंह सागर झील में नौका विहार का आनंद लेकर जलमहल की सुंदरता को देख सकते हैं।

जलमहल की पाल पर एडवेंचर सफारी के लिए बड़ी संख्या में ऊंट भी उपलब्ध रहते हैं।

फोटोग्राफी के लिए जलमहल एक बेहतर डेस्टिनेशन बन चुका है।

जल महल घूमने के लिए अक्टूबर से फरवरी का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है। हांलाकि बरसात के मौसम में जलमहल के पाल पर लोगों का जमावड़ा जुटता है।

जयपुर के आमेर महल के बिल्कुल नज़दीक ही स्थापित है जलमहल।

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