यदि हम पौराणिक इतिहास की बात करें तो ऐरावत को हाथियों का जन्मदाता माना गया है। श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, हाथियों में मैं ऐरावत हूं अर्थात भारतीय धर्मशास्त्रों में हाथियों में ऐरावत को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। वहीं गजेन्द्र नामक हाथी का नाम भी लोगों को जुबानी याद है जिसकी रक्षा एक शक्तिशाली मगरमच्छ से स्वयं भगवान विष्णु ने की थी। हाथी की शक्ल वाले भगवान गणपति को भी प्रथम पूज्य माना गया है।
अत: हमारे देश में हाथियों को एक पवित्र प्राणी माना गया है, इसीलिए मंदिरों के साथ-साथ घरों के बाहर भी लोग हाथी की प्रतिमा लगाते हैं। भारत में प्राचीनकाल से ही प्रत्येक शक्तिशाली राजा हाथियों की विशाल सेनाएं अवश्य रखता था जो युद्ध के दौरान शत्रुपक्ष में भयंकर तबाही मचाती थीं।
वैसे तो राजाओं के पास असंख्य हाथियां होती थीं परन्तु उनमें एक विशेष हाथी ऐसा होता था जो सभी हाथियों के मुकाबले ज्यादा शक्तिशाली, समझदार, आज्ञाकारी और युद्धकौशल में निपुण होता था जो युद्ध में विजय दिलाकर ही लौटता था। इस स्टोरी में हम आपको उन पांच शक्तिशाली राजाओं की पांच विशेष हाथियों के बारे में बताने जा रहें हैं जो भारतीय इतिहास में अमर हैं।
1- पोरस का हाथी ‘गजेन्द्र’
महान युद्ध विजेता सिकन्दर इरान, सीरिया, मिस्र, मसोपोटेमिया, फिनीशिया, जुदेआ, गाझा, बॅक्ट्रिया को रौंदता हुआ जब भारत की धरती पर पहुंचा तब उसका सामना एक ऐसे शक्तिशाली राजा से हुआ जिसका नाम पोरस था।
इतिहास की पुस्तकों में सिकन्दर को विजेता बताया जाता है जबकि सच्चाई यह है कि झेलम के युद्ध में सिकन्दर को पोरस से हार का सामना करना पड़ा था। स्थिति यह हो गई थी कि युद्ध के बाद सिकन्दर के सैनिकों ने विद्रोह कर दिया और आगे बढ़ने से इनकार कर दिया, आखिरकार सिकन्दर को स्वदेश लौटना पड़ा।
झेलम युद्ध से पूर्व सिकन्दर के गुप्तचरों ने उसे खबर दी थी कि पोरस की सेना में असंख्य भीमकाय हाथी भी हैं। युद्ध के दौरान पोरस की हाथियों ने जिस तरह से यूनानी सैनिकों का संहार किया था, उससे सिकन्दर के सैनिक आतंकित हो उठे थे।
इतिहासकार दियादोरस लिखता है कि “हाथियों में अपार बल था, जो पोरस के लिए लाभकारी सिद्ध हुए। इन हाथियों ने सिकन्दर के असंख्य सैनिकों को अपने पैरों तले कुचल दिया।”
पोरस के हाथी का नाम गजेन्द्र (हाथियों का राजा) था। राजा पोरस अपने प्रिय हाथी गजेन्द्र से बहुत प्रेम करता था और गजेन्द्र नामक हाथी भी पोरस से उतना ही प्रेम करता था। राजा पोरस सात फीट दो इंच का था, जो विशालकाय गजेन्द्र पर बैठा हुआ जानवर जैसा दिखता था। गजेन्द्र नामक हाथी पर सवार राजा पोरस को देखकर सिकन्दर अचंभित रह गया था।
2-महाराणा प्रताप का हाथी ‘रामप्रसाद’
हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के प्रिय घोड़े चेतक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी परन्तु क्या आप जानते हैं कि इस युद्ध में महाराणा प्रताप के एक विशेष हाथी ने भी अद्भुत रणकौशल का परिचय दिया था।
जी हां, महाराणा प्रताप के इस हाथी का नाम ‘रामप्रसाद’ था। हल्दीघाटी युद्ध के दौरान महाराणा प्रताप के हाथी रामप्रसाद ने न केवल 13 मुगल हाथियों को मार गिराया था बल्कि मुगल सेना में भयंकर तबाही मचाई थी।
महाराणा प्रताप के हाथी रामप्रसाद को पकड़ने के लिए मुगल सेना ने सात हाथियों का एक चक्रव्यूह तैयार किया जिन पर 14 महावत बैठे थे। इस प्रकार हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप का हाथी रामप्रसाद मुगलों के हाथ लगा।
कहते हैं, महाराणा प्रताप के हाथी रामप्रसाद को देखकर मुगल बादशाह अकबर बहुत प्रभावित हुआ था, उसने रामप्रसाद का नाम बदलकर ‘पीरप्रसाद’ रख दिया। परन्तु महाराणा प्रताप का हाथी रामप्रसाद इतना स्वामीभक्त निकला कि मुगलों के पास जाते ही उसने अन्न-जल त्याग दिया और आखिरकार 18वें दिन उसकी मृत्यु हो गई। रामप्रसाद की मौत के बाद अकबर ने कहा था कि “जिसके हाथी को मैं अपने सामने नहीं झुका पाया उस महाराणा प्रताप को क्या झुका पाऊंगा।”
3-अकबर का हाथी ‘हवाई’
मुगल बादशाह अकबर के शक्तिशाली हाथी का नाम ‘हवाई’ था। अबुलफजल कृत अकबरनामा में 1561 ई. में बसावन द्वारा बनाए गए एक चित्र में अकबर को ‘हवाई’ नामक हाथी पर बैठे हुए दिखाया गया है। ऐसा कहते हैं कि कुछ शक्तिशाली मुगल योद्धा ही शक्तिशाली हाथी ‘हवाई’ की सवारी कर सकते थे।
दरअसल अकबर को यह हाथी साल 1556 में पानीपत के द्वितीय युद्ध में विजयोपरान्त मिला था। पानीपत के द्वितीय युद्ध के दौरान हेमू की सेना में 1500 शक्तिशाली हाथी थे, जिनमें एक शक्तिशाली हाथी हवाई भी था।
युद्ध में हेमू की मौत के बाद मुगल अधिकारी शाह कुली खान ने बेहद शक्तिशाली हाथी हवाई को अकबर को सौंप दिया, उस समय अकबर की आयु महज 13 वर्ष थी। अकबर अक्सर अपने मनोरंजन के लिए हाथियों का आपस में युद्ध भी करवाया करता था। इतना ही अकबर एक से बढ़कर शक्तिशाली हाथियों को काबू में करने में भी माहिर था।
4- राजा मान सिंह का हाथी ‘मर्दाना’
मुगल बादशाह अकबर के मुख्य सेनापति का नाम राजा मानसिंह था। कछवाहा राजपूत मान सिंह आमेर के राजा थे। इनके पिता का नाम राजा भगवन्त दास था। राजा मान सिंह के हाथी का नाम ‘मर्दाना’ था। 21 जून 1576 को हुए हल्दीघाटी के भयंकर युद्ध के दौरान मुगल सेनापति मान सिंह अपने भीमकाय हाथी मर्दाना पर सवार होकर मुगल सेना का नेतृत्व कर रहे थे।
इस युद्ध में महाराणा प्रताप ने अपने भाले से मानसिंह पर एक भीषण प्रहार किया था, परन्तु राजा मानसिंह ने मर्दाना हाथी के मजबूत हौदे में दुबककर अपनी जान बचाई थी। हांलाकि मर्दाना हाथी के सूंड में लगे खंजर से चेतक की अगली टांगे बुरी तरह से घायल हो गईं।
5- टीपू सुल्तान का हाथी ‘कालू’
हैदर अली की मृत्यु के बाद उसका पुत्र टीपू सुल्तान मैसूर का शासक बना। टीपू सुल्तान जनता के बीच ‘शेर-ए-मैसूर’ के नाम से विख्यात था। मैसूर के शासक टीपू सुल्तान के वीर हाथी का नाम कालू था।
टीपू सुल्तान के प्रिय हाथी कालू को अक्सर युद्ध के मैदान में उतारा जाता था। बेहद शक्तिशाली और समझदार हाथी कालू ने टीपू सुल्तान के साथ कई युद्धों में भयंकर तबाही मचाई थी। चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध के दौरान श्रीरंगपट्टनम की रक्षा करते हुए 4 मई 1799 को टीपू सुल्तान वीरगति को प्राप्त हो गए।
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