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Bhupen Hazarika: The journey from magician of music to Bharat Ratna

भूपेन हजारिका : संगीत के जादूगर से भारत रत्न तक का सफर

भारतीय जनमानस में भूपेन हजारिका सुधाकंठ के नाम से लोकप्रिय हैं। आपको याद दिला दें कि साल 1993 में सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार पाने वाली हिन्दी मूवी रुदाली के गाने दिल हूम हूम करे...से भूपेन हजारिका की आवाज और उनका संगीत प्रत्येक भारतीय के दिल में बैठ गया।

भूपेन हजारिका संगीत की दुनिया के एक ऐसे अनूठे कलाकार थे जो खुद ही गीत लिखते, उसका संगीत देते और फिर स्वयं ही उसे गाते भी थे। यही नहीं, असम के तिनसुकिया जिले के सदिया गांव में जन्मे भूपेन हजारिक असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति के पुरोधा भी थे। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के छात्र भूपेन हजारिका के दिल में पूरा हिन्दुस्तान बसता था।

भूपेन हजारिका को दादा साहब फाल्के से लेकर भारत रत्न जैसे महान पुरस्कारों से नवाजा गया। ऐसे में भारत के लाल भूपेन हजारिका की गौरव गाथा जानने के लिए यह स्टोरी जरूर पढ़ें।

भूपेन हजारिका का जन्म

असम के तिनसुकिया जिले के सदिया गांव में 8 सितंबर 1926 को भूपेन हजारिका का जन्म हुआ था। हांलाकि भूपेन हजारिका के पिता शिवसागर जिले में स्थित एक शहर नाज़िरा से थे। भूपेन हजारिका के पिता-माता का नाम नीलकंठ और शांतिप्रिया हजारिका था। नीलकंठ और शांतिप्रिया हजारिका के दस बच्चों में से भूपेन हजारिका सबसे बड़े थे।

भूपेन हजारिका के पिता नीलकंठ हजारिका अपने परिवार को लेकर साल 1929 में गुवाहाटी के भारलुमुख क्षेत्र में चले गए जहां से भूपेन हजारिका ने अपने बचपन की शुरूआत की। भूपेन हजारिका अपनी मां शांतिप्रिया हजारिका के बेहद करीब थे ऐसे में उनकी मां ने उन्हें बचपन में ही असमिया भाषा के पारंपरिक गीतों की शिक्षा दी थी।

भूपेन हजारिका की शिक्षा

भूपेन हजारिका के पिता साल 1932 में धुबरी चले गए। अत: धुबरी गवर्नमेंट हाई स्कूल से भूपने हजारिका ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद साल 1935 में उनके पिता तेजपुर चले गए, ऐसे में भूपेन हजारिका ने 1940 ई. में तेजपुर हाई स्कूल से दसवीं की परीक्षा पास की। साल 1942 में कॉटन कॉलेज से इंटरमीडिएट करने के बाद आपने उच्च शिक्षा के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में प्रवेश ले लिया।

भूपेन हजारिका ने बनारस ​हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में बीए और एमए (1944-1946) करने के बाद कुछ समय के लिए ऑल इंडिया रेडियो में काम किया। भूपेन हजारिका ने गुवाहाटी विश्वविद्यालय में बतौर शिक्षक नौकरी की परन्तु कुछ वर्षों के बाद यह नौकरी भी छोड़ दी। इसके बाद भूपेन हजारिका न्यूयार्क चले गए जहां साल 1952 में उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल की।

गीत-संगीतज्ञ भूपेन हजारिका

भूपेन हजारिका न केवल पूर्वोत्तर राज्य असम बल्कि भारतवर्ष के एक श्रेष्ठ गीतकार, संगीतकार, गायक और फिल्म निर्माता थे। भूपेन हजारिका पर संगीत का इस कदर असर पड़ा कि भूपेन हजारिका ने महज 10 वर्ष की उम्र में कोलकाता के ऑरोरा स्टूडियो में सेलोना कम्पनी के लिए अपना पहला गीत लिखा और रिकॉर्ड किया। फिर 12 वर्ष की उम्र में भूपेन हजारिका ने असमिया सिनेमा की दूसरी फिल्म इन्द्रमालती (1939) के​ लिए दो गीत गाए। इसके बाद भूपेन हजारिका ने गीत-संगीत की तरफ जो कदम बढ़ाया फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

न्यूयार्क जाने से पूर्व ही भूपेन हजारिका ने कोलकाता जाकर स्वयं को एक सफल संगीत निर्देशक और गायक के रूप में स्थापित कर लिया था। असमिया, बांग्ला, हिंदी समेत कई अन्य भाषाओं में गाने वाले भूपेन हजारिका ने ऑल इंडिया रेडियो से अपने गाने की शुरूआत की थी। इसके बाद असमिया, बांग्ला और हिन्दी सिनेमा की सुपरहिट फिल्मों के लिए गाने लिखे और खुद आवाज भी दी।

न्यूयार्क के कोलम्बिया विश्वविद्यालय में पीएचडी करने के दौरान भूपेन हजारिका की मुलाकात मशहूर गायक पॉल रॉब्सन से हुई। भूपेन हजारिका की यह मुलाकात उनके लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। रॉब्सन के विचारों और संगीत से प्रभावित होकर भूपेन हजारिका ने अपने गीतों में समानता और मानवाधिकारों के मुद्दों को प्रमुखता से स्थान दिया। कोलंबिया विश्वविद्यालय में उनकी दोस्ती प्रियवंदा पटेल से हुई जिनसे उन्होंने 1950 में शादी कर ली। भूपेन हजारिका और प्रियवंदा पटेल की इकलौती संतान तेज हजारिका का जन्म 1952 में हुआ। इसके बाद साल 1953 में भूपेन हजारिका भारत लौट आए।

भूपेन हजारिका के यादगार गाने

संगीत के जादूगर भूपेन हजारिका ने अपने जीवनकाल में एक से बढ़कर गीत लिखे और उसे अपनी आवाज दी परन्तु साल 1993 की हिन्दी फिल्म रूदाली के गाने दिल हूम हूम करे...से भूपेन हजारिका भारत के घर-घर में प्रसिद्ध हो गए। 

भूपेन हजारिका का भजन ओ गंगा तू बहती है क्योंजिसने भी सुना उसके दिल पर उनका जादू सा चल गया। यहां तक कि फिल्म गांधी टू हिटलरमें एक प्रसिद्ध भजन वैष्णव जन गाया था जिसके लिए उन्हें पद्मभूषण सम्मान से भी नवाजा गया।

रूदाली फिल्म का और एक गाना समय ओ धीरे चलो…” जिसे उन्होंने भारत रत्न लता मंगेशकर के साथ गाया था, आज भी लोगों की जुबां पर है। हिन्दी फिल्म मैं और मेरा साया का एक गीत एक कली दो पत्तियां…” बेहद रूहानी है जिसे भूपेन हज़ारिका ने अपनी सशक्त आवाज़ से अमर बना दिया।

उपरोक्त यादगार गीतों के अलावा भूपेन हजारिका ने 'गाजगामिनी' 'मिल गई मंजिल मुझे', 'साज', 'दरमियां', जैसी सुपरहिट फिल्मों में भी गीत दिए।

यूं कहिए इस देश का शायद ही कोई संगीत प्रेमी हो जो भूपेन हजारिका के संगीत से वंचित हो अन्यथा उनकी आवाज का हर कोई कायल है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी भूपेन हजारिका वैसे तो ज्यादातर असमिया भाषा में ही गाते थे लेकिन उन्होंने हिन्दी तथा बांग्ला भाषा के कई गीतों को गाकर उन्हें यादगार बना दिया।

भूपेन हजारिका का निधन 

प्रख्यात गीतकार, संगीतकार, कवि, फिल्म निर्माता, प्रोफेसर और राजनीतिज्ञ भूपेन हजारिका 85 वर्ष की उम्र में जब बीमार पड़े तब उन्हें 30 जून 2011 को मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया। परन्तु मल्टी आर्गन फेल्योर की समस्या के कारण 5 नवम्बर 2011 को उनका निधन हो गया। इसके बाद 9 नवंबर 2011 को ब्रह्मपुत्र नदी के पास गुवाहाटी विश्वविद्यालय द्वारा दान की गई जमीन पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। भूपेन हजारिका के अंतिम संस्कार में तकरीबन पांच लाख लोग शामिल हुए थे।

प्रतिष्ठित पुरस्कारों के धनी भूपेन हजारिका

भूपेन हजारिका को सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन के लिए 1975 ई. में राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद 1977 में पद्म श्री तथा 1987 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिला। हजारिका साल 1992 में सिनेमा जगत के सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार दादा साहब फाल्के से भी सम्मनित किए गए। साल 2008 में संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप अवॉर्ड तथा साल 2009 में असम रत्न से अलंकृत किए गए।

इसके बाद साल 2011 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया। दिसंबर 1998 से दिसंबर 2003 तक भूपेन हजारिका संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष पद पर भी नियुक्त रहे। भूपेन हजारिका के मरणोपरान्त साल 2019 में भारत सरकार ने उन्हें देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जिसके वे असली हकदार थे।

भूपेन हजारिका से जुड़ी कुछ रोचक बातें

भारत रत्न भूपेन हजारिका 1967-72 के दौरान विधायक भी रहे।

संगीत के जादूगर भूपेन हजारिका ने अपने करियर में एक हजार से अधिक गीतों को अपनी आवाज दी, इसके अतिरिक्त भूपेन दा ने 15 किताबें भी लिखीं। 

साल 2004 में बतौर भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार भूपेन हजारिका गुवाहाटी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव भी लड़े परन्तु कांग्रेस उम्मीदवार किरिप चालिहा से हार गए।

भूपेन हजारिका ने कई हिंदी फिल्मों में काम किया जिनमें से अधिकांश का निर्देशन कल्पना लाजमी ने किया था।

भूपेन हजारिका द्वारा निर्देशित असमिया फिल्म शकुंतला को 1961 में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार मिला।

फिल्म चमेली मेमसाब (1975) में संगीत निर्देशन के लिए भूपेन हजारिका को संगीत निर्देशक राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।

भूपेन हजारिका 1993 में असम साहित्य सभा के अध्यक्ष भी रहे।

2001 में भूपेन हजारिका को असम के तेजपुर विश्वविद्यालय से मानद उपाधि भी मिली।

साल 2010 में असम के बारशापारा क्रिकेट स्टेडियम का नाम बदलकर डॉ. भूपेन हजारिका क्रिकेट स्टेडियम कर दिया गया।

साल 2011 में बांग्लादेश सरकार ने भूपेन हजारिका को मुक्तियुद्ध मैत्री सम्मान से नवाजा।

साल 2013 तथा 2016 में भूपेन हजारिका के नाम से भारतीय डाक टिकट जारी किए गए।

दुनिया की सबसे बड़ी वेबसाइट गूगल ने भूपेन हजा​रिका की 96वीं जयंती के अवसर पर 8 सितंबर 2022 को गूगल डूडल से सम्मानित किया।

असम साहित्य सभा ने भूपेन दा को विश्व रत्न की उपाधि से सम्मानित किया।

असम के तिनसुकिया जिले में ब्रह्मपुत्र की एक सहायक लोहित नदी पर बने पुल का नाम भूपेन हजारिका के नाम पर रखा गया है।

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