भारत का पहला फील्ड मार्शल जिसे नया मुल्क बांग्लादेश बनाने का पूरा श्रेय दिया जाता है। भारतीय सेना के इस सर्वोच्च अधिकारी का व्यक्तित्व ही ऐसा था, जो इंदिरा गांधी जैसी ताकतवर प्रधानमंत्री को ‘स्वीटी’ अथवा ‘स्वीटहार्ट’ कहने में तनिक भी संकोच नहीं करता था।
कई बार तो इस फील्ड मार्शल ने इंदिरा गांधी को दो टूक जवाब भी दे दिया था। जी हां, मैं फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की बात कर रहा हूं। भारतीय मीडिया में एक बार यह अफवाह फैली कि सैम मानेकशॉ तत्कालीन सरकार का तख्तापलट करने की तैयारी में हैं, इस बात से इंदिरा गांधी पूरी तरह डर गई थीं।
फिर क्या था, भारतीय राजनीति में ‘आयरन लेडी’ के नाम से मशहूर तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने तत्कालीन पीएम मानेकशॉ को चाय पर बुलाया और उनसे इस बारे में सवाल पूछे तब सामने से जो जवाब मिला उसे जानकर आप भी दंग रह जाएंगे। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर में सैम मानेकशॉ ने इंदिरा गांधी को क्या जवाब दिया? यह जानने के लिए इस रोचक स्टोरी को जरूर पढ़ें।
भारत का पहला फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ
भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ को ‘सैम बहादुर’ के नाम से भी जाना जाता है। सैम बहादुर का पूरा नाम ‘सैम होरमूज़जी फ़्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ’ था। सैम मानेकशॉ की गिनती आज भी देश के सबसे सफल सैन्य कमांडरों में की जाती है।

सैम बहादुर ऐसे शख्स थे जिन्होंने 9 गोलियां लगने के बाद भी कहा था— “कुछ नहीं हुआ सिर्फ गधे ने लात मारी है।” सैम मानेकशॉ के चलते ही साल 1971 के युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को महज 14 दिनों में घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। लिहाजा साल 1971 में नए मुल्क बांग्लादेश का निर्माण हुआ।
साल 1971 में पाकिस्तान विजय के पश्चात इंदिरा गांधी ने सैम मानेकशॉ को फील्ड मार्शल बनाने तथा सीडीएस के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया। राष्ट्र के प्रति सेवा भाव के चलते तत्कालीन राष्ट्रपति ने सैम मानेकशॉ को साल 1972 में ‘पद्म विभूषण’ तत्पश्चात ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया। इतना ही नहीं, साल 1972 में नेपाली सेना ने मानेकशॉ को ‘मानद जनरल’ की उपाधि से नवाजा तथा साल 1977 में नेपाल के राजा वीरेन्द्र द्वारा उन्हें नाइटहुड की उपाधि ‘त्रिशक्ति पट्ट’ से सम्मानित किया।
सैम मानेकशॉ और इंदिरा गांधी के रिश्ते
फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और इंदिरा गांधी ने सदा एक-दूसरे का सम्मान किया। हांलाकि अपने बेबाक अन्दाज के लिए मशहूर सैम मानेकशॉ अकेले ऐसे शख्स थे, जो भारत की ताकतवर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को ‘स्वीटी’ अथवा ‘स्वीट हार्ट’ कहकर बुलाते थे। मतलब साफ है, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को स्वीटी अथवा स्वीट हार्ट कहने का हुनर सिर्फ और सिर्फ सैम मानेकशॉ ही जानते थे।

सैम मानकेशॉ के एडीसी ब्रिगेडियर बहराम पंताखी की किताब ‘सैम मानेकशॉ- द मैन एंड हिज़ टाइम्स’ के अनुसार, “साल 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान सैम मानकेशॉ और तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू किसी मुद्दे पर मीटिंग कर रहे थे। तभी इंदिरा गांधी वहां पहुंची किन्तु सैम मानेकशॉ ने मिसेज गांधी को ऑपरेशन रूम में आने से रोक दिया और कहा कि, आपने गोपनीयता की शपथ नहीं ली है।”
वहीं, साल 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में जो हालात पैदा हुए थे, उसके चलते अधिकाधिक शरणार्थी भारत की तरफ रूख कर रहे थे। इस बात से इंदिरा गांधी काफी परेशान थीं। ऐसे में मिसेज गांधी ने एक आपात बैठक बुलाई, इस मीटिंग में सैम मानेकशॉ भी मौजूद थे। रोबिले अन्दाज और कड़क आवाज के धनी सैम मानेकशॉ अपनी हाजिर जवाबी के लिए भी जाने जाते थे।
बैठक के दौरान इंदिरा गांधी ने सैम मानेकशॉ से पूछा क्या भारतीय सेना मार्च महीने में पूर्वी पाकिस्तान पर हमले के लिए तैयार है? तब मानेकशॉ ने कहा – “मैं हमेशा तैयार हूं स्वीटी, किन्तु अभी मार्च का महीना चल रहा है। यदि आप युद्ध जीतना चाहती हैं तो छह महीने का समय दीजिए। मैं गारंटी देता हूं कि जीत सिर्फ और सिर्फ आपकी होगी।”
लिहाजा साल 1971 की जंग का परिणाम पूरी दुनिया का पता है। पाकिस्तान के 90 हजार सैनिकों का आत्मसमर्पण और फिर उन्हें बन्दी बनाया जाना, इतिहास में आज भी दर्ज है। ऐसे में यह कहना बिल्कुल लाजिमी होगा कि नया मुल्क बांग्लादेश बनाने का पूरा श्रेय भी सैम मानेकशॉ को ही जाता है।
भारत में तख्तापलट की अफवाह
इंडियन आर्मी के पूर्व जनरल वीके सिंह के अनुसार, विदेश यात्रा से लौटीं इंदिरा गांधी को रिसीव करने के लिए एक बार सैम मानेकशॉ पालम हवाई अड्डे पर पहुंचे। इंदिरा गांधी को देखते ही मानेकशॉ ने कहा कि आपका हेयर स्टाइल जबरदस्त लग रहा है। तब इंदिरा गांधी ने मुस्कुराते हुए कहा - किसी ने तो इसे नोटिस ही नहीं किया।
भारतीय मीडिया में एक बार यह अफवाह फैली कि सैम मानेकशॉ इंडियन आर्मी की मदद से तख्तापलट करने की तैयारी हैं। ऐसे में राजनीति तथा ब्यूरोक्रेसी पर मजबूत पकड़ रखने वाली इंदिरा गांधी इस अफवाह से पूरी तरह डर गई थीं।

इस वाक्ये के बारे में सैम मानेकशॉ ने अपने एक साक्षात्कार में बताया था कि एक दिन शाम को चार बजे मैं चाय पी रहा था तभी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का फोन आया। इंदिरा गांधी ने उनसे पूछा कि क्या आप व्यस्त तो नहीं है। फिर, सैम मानेकशा ने कहा कि मैडम! एक आर्मी चीफ हमेशा व्यस्त ही रहता है, किन्तु इतना भी नहीं कि देश के प्रधानमंत्री से बात नहीं कर सके। सैम मानेकशॉ ने अपने एडीसी से कहा कि गाड़ी निकालो, लड़की बुला रही है।
सैम मानेकशॉ ने अपने साक्षात्कार में बताया कि जब वह संसद भवन में इंदिरा गांधी के कार्यालय में पहुंचे तब इंदिरा गांधी सिर पर हाथ रखकर बैठी हुई थीं। सैम बहादुर ने जब उनसे हालचाल पूछा तो तब मिसेज गांधी ने कहा कि “मैं एक परेशानी में हूं और उस परेशानी की वजह भी तुम ही हो।”
सैम मानेकशॉ ने कहा कि मैंने क्या कर दिया? तब इंदिरा गांधी ने कहा कि मैंने सुना है तुम तख्तापलट करने वाले हो। लगे हाथ सैम मानेकशॉ ने कहा- क्या तुम्हे लगता है कि मैं तख्तापलट कर सकता हूं? इंदिरा गांधी ने कहा कि नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता है। इसके बाद आर्मी चीफ ने इंदिरा गांधी को कड़क अंदाज में जवाब दिया - “मेरी और आपकी दोनों की नाक बड़ी लंबी है। मगर मैं दूसरे के काम में अपनी नाक नहीं अड़ाता। इसलिए आप भी मेरे काम में नाक न डालें।” उन्होंने आगे कहा- जब तक मैं अपनी आर्मी को कमांड कर रहा हूं, तब तक मेरा राजनीति में आने का कोई इरादा नहीं है और ना ही आपके तख्तापलट का।
इसे भी पढ़ें : संन्यासी विद्रोह से जन्मा गीत है वन्दे मातरम
इसे भी पढ़ें : मुगल सेनापति बेडरूम में पहुंचा तब तक जहर खा चुकी थी यह खूबसूरत रानी
