यह बात हम सभी जानते हैं कि अंग्रेजों ने स्वयं के आवागमन को सुलभ बनाने तथा भारत से कच्चे माल जैसे- कपास, नील, अनाज और नमक की आपूर्ति तेजी से प्राप्त करने के लिए रेल सेवा की शुरूआत की। इतना ही नहीं, ईस्ट इंडिया कम्पनी ने ब्रिटेन के अमीर लोगों को रेलवे में निवेश करने के लिए भी प्ररित किया। प्रकार भारत में रेल सेवा शुरू करने मुख्य उद्देश्य व्यापारिक गतिविधियों में तेजी लाकर मुनाफा कमाना था न कि भारतीयों को लाभ पहुंचाना।
यह सच है कि भारत में रेल सेवा की शुरूआत अंग्रेजों की ही देन है, परन्तु यह कहना कि भारतीयों की सुविधा के लिए अंग्रेजों ने रेल चलाई यह बिल्कुल भी लाजिमी नहीं है। इस स्टोरी में हम आपको यह बताने की कोशिश करेंगे कि ब्रिटिश भारत के किस गवर्नर जनरल ने आखिर किस उद्देश्य से हमारे देश में रेल सेवा की शुरूआत की? इतना ही नहीं, अंग्रेजों ने भारत के किन-किन इलाकों में सर्वप्रथम रेल सेवा शुरू की थी।
कौन है भारतीय रेलवे का जनक
आधुनिक भारतीय इतिहास में गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी को ‘भारतीय रेलवे का जनक’ माना जाता है। कदापि यह बात हम भूल जाते हैं कि सैन्य कार्रवाई, कुशासन का आरोप तथा व्यपगत सिद्धान्त यानि हड़प नीति के तहत गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी ने महज 8 सालों (1848 से 1856 ई. तक) में भारत के 9 देशी राज्यों को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया था।
ऐसे में यह कहना कि एक साम्राज्यवादी गवर्नर ने महज भारतीयों की सुविधा के लिए रेलवे की शुरूआत की, यह कहीं से भी तर्कसंगत नहीं है। गवर्नर-जनरल लॉर्ड डलहौजी ने साल 1853 में प्रख्यात ‘रेलवे मिनट्स’ के जरिए बहुत ही सुनियोजित तरीके से अंग्रेजों को भारत में रेल सेवा शुरू करने के लिए राजी किया था ताकि भारत के प्रमुख शहरों को बंदरगाहों से जोड़ने के साथ ही रणनीतिक मांगों और व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सके। कुल मिलाकर लार्ड डलहौजी द्वारा भारत में रेल सेवा शुरू करने करने का असली मकसद अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करना तथा उसे शक्तिशाली बनाना था।
ब्रिटिश भारत की पहली पैसेन्जर ट्रेन
जानकारी के लिए बता दें कि यात्रियों के लिए पहला रेलवे स्टेशन मुम्बई के बोरीबंदर इलाके में बनाया गया था। इसके बाद 16 अप्रैल, 1853 को भारत की पहली पैसेन्जर ट्रेन मुम्बई (बोरीबंदर) से ठाणे (Thane) के बीच चलाई गई।
14 डिब्बों वाली यह पैसेन्जर ट्रेन एक बार में 400 यात्रियों को ले जाती थी। देश की इस पहली ट्रेन मे प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के डिब्बे लगे हुए थे। ट्रेन के सभी डिब्बे लकड़ी के बने हुए थे। पैसेन्जर ट्रेन के इंजन को कोयले से भांप बनाकर चलाया जाता था। इस ट्रेन के यात्रियों से आज की ही तरह दूरी के हिसाब से ही पैसे लिए जाते थे।
इस प्रकार मुम्बई से ठाणे के बीच 34 किमी. की रेलवे लाइन को पहली बार यात्री ट्रेनों के लिए खोला गया। मुम्बई से ठाणे के बीच पहली पैसेन्जर ट्रेन को ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे द्वारा संचालित किया जाता था। मुम्बई से ठाणे के बीच की दूरी तय करने के लिए ब्रॉड गेज ट्रैक पर पैसेन्जर ट्रेन के लिए साहेब, सिंध और सुल्तान नामक तीन भाप इंजन कार्यरत थे।
ब्रिटिश भारत के अन्य हिस्सों में ट्रेनों की शुरूआत
पूर्वी भारत में 15 अगस्त, 1854 को पहली पैसेन्जर ट्रेन हावड़ा से हुगली के बीच शुरू की गई। हावड़ा से पहला इंजन समय से 90 मिनट पहले निकला और सुबह 10 बजकर 01 मिनट पर हुगली पहुंचा।
दक्षिण भारत में पहली यात्रा रेलगाड़ी एक जुलाई 1856 को रॉयपुरम (मद्रास) रेलवे स्टेशन से वलजाह रोड (आरकोट) तक के लिए शुरू हुई।
1862 ई. में जब हावड़ा से दिल्ली के बीच रेलवे लाइन शुरू हुई तब ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुगलसराय (अब पंडित दीनदयाल उपाध्याय) रेलवे स्टेशन बनवाया।
दिल्ली जंक्शन उत्तर भारत का पहला रेलवे स्टेशन बना जिसका निर्माण साल 1864 में हुआ था। दिल्ली का यह सबसे पुराना रेलवे स्टेशन और जंक्शन है जो वर्तमान में भी कार्यरत है। तत्पश्चात हावड़ा से ट्रेनों का संचालन दिल्ली तक के लिए शुरू हुआ।
दिल्ली जंक्शन के बाद उत्तर में अगला महत्वपूर्ण स्टेशन लखनऊ था। अप्रैल 1864 में अवध और रोहिलखंड रेलवे की स्थापना हुई थी, जिसमें लखनऊ और कानपुर को जोड़ने वाली पहली रेलवे लाइन थी।
ब्रिटिश भारत में रेलवे से जुड़े कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
— भारत में सबसे पहले चलने वाली ट्रेन एक मालगाड़ी थी जो साल 1837 में रेड हिल्स से मद्रास के चिंताद्रिपेट पुल तक (तकरीबन 25 किमी.) चलती थी।
— 1837 में रेड हिल्स से मद्रास के चिंताद्रिपेट पुल तक चलने वाली ट्रेन की शुरूआत आर्थर कॉटन ने ग्रेनाइट और सड़क निर्माण सामग्री के परिवहन हेतु की थी।
— गवर्नर जनरल लॉर्ड हार्डिंग ने साल 1844 में ब्रिटिश भारत में रेलवे प्रणाली के निजीकरण का नेतृत्व किया था।
— 8 मई 1845 को मद्रास रेलवे की स्थापना की गई, उसके बाद उसी वर्ष ईस्ट इंडियन रेलवे की स्थापना की गई।
— ईस्ट इंडियन रेलवे (ईआईआर) कंपनी की स्थापना एक करोड़ की शुरूआती निवेश के साथ जून 1845 में लंदन में हुई थी।
— 1847 ई. में जेम्स जॉन बर्कले और ईस्ट इंडियन रेलवे द्वारा पहला रेलवे ट्रैक बनाया गया।
— ईस्ट इंडियन रेलवे के संस्थापक और पहले प्रबंध निदेशक रॉलैंड मैकडोनाल्ड स्टीफेंसन थे जो भाप से चलने वाले रेल इंजन के आविष्कारक जॉर्ज स्टीफेंसन के भतीजे थे।
— ईस्ट इंडिया कंपनी का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश भारतीय क्षेत्रों की राजधानी कलकत्ता और मुगल भारत की राजधानी दिल्ली के बीच रेलवे संपर्क स्थापित करना था।
— साल 1850 में ग्रेट इंडियन प्रायद्वीपीय रेलवे कम्पनी ने बम्बई से थाणे के बीच रेल लाइन बिछाने का कार्य शुरू किया था।
— साल 1850 में ही हावड़ा से रानीगंज तक रेल लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ।
— भारत में सबसे पहली मालगाड़ी 22 दिसंबर, 1851 को रुड़की से पिरान कलियर के बीच चलाई गई थी। यह क्षेत्र वर्तमान में उत्तरखंड राज्य में है।
— 1851 ई. में रुड़की में सोलानी एक्वाडक्ट रेलवे बनाया गया था।
— 1852 ई.में मद्रास गारंटी रेलवे कंपनी की स्थापना की गई।
— 1862 ई. में बिहार के जमालपुर में मुंगेर के पास पहली रेलवे कार्यशाला बनाई गई थी।
— देश की पहली लम्बी दूरी की ट्रेन साल 1863 में मुंबई से पुणे तक चलाई गई थी।
— भारत का पहला ट्रामवे (घोड़े से खींचा गया ट्रामवे) 24 फरवरी 1873 को सियालदह और अर्मेनियाई घाट स्ट्रीट के बीच कलकत्ता में खोला गया था।
— 9 मई 1874 को बॉम्बे (मुम्बई) में कोलाबा और परेल के बीच ट्रामवे का संचालन शुरू हुआ।
— भारत के पहले रेलवे स्टेशन बोरीबंदर का पुनर्निर्माण 1888 ई. में किया गया और इसका नाम बदलकर विक्टोरिया टर्मिनस रखा गया। 1996 में इस स्टेशन का नाम बदलकर ‘छत्रपति शिवाजी टर्मिनस’ कर दिया गया।
— साल 1909 में भारतीय रेलवे में पहली बार शौचालय स्थापित किए गए।
— लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन का निर्माण 1914 ई. में हुआ था। ब्रिटिश आर्किटेक्ट जे.एच. ने चारबाग रेलवे स्टेशन, को डिजाइन किया था।
— बंगलोर के यलुवहल्ली स्थित नंदी हॉल्ट रेलवे स्टेशन को ब्रिटिश शासन के दौरान ही निर्मित किया गया था।
— ब्रिटिश भारत में पहला रेल बजट 1924 ई. में पेश किया गया।
— भारत में पहली इलेक्ट्रिक यात्री रेलगाड़ी विक्टोरिया टर्मिनस और कुर्ला हार्बर के बीच 3 फरवरी 1925 को शुरू हुई।
— भारत की सबसे प्रतिष्ठित रेलगाड़ियों में से एक डेक्कन क्वीन का शुभारम्भ 1930 ई. में हुआ।
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