
दोस्तों, पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने एक बड़ी कार्रवाई की है, मंगलवार की रात तकरीबन डेढ़ बजे भारतीय सेनाओं ने अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हुए ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के तहत पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को एयर स्ट्राइक के जरिए ध्वस्त कर दिया। भारतीय सेना ने अपने इस एयर स्ट्राइक में पाकिस्तान के 4 तथा पीओके के 5 आतंकी ठिकानों को नेस्तोनाबूद कर दिया है। भारत की इस एयर स्ट्राइक में तकरीबन 100 आतंकियों के मारे जाने की खबरें आ रही हैं।
भारत की इस एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा है कि “पाकिस्तान को जवाबी कार्रवाई का पूरा हक है।” वहीं एक निजी चैनल पर चली रही न्यूज के मुताबिक, पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमले के बीच पुलवामा के पम्पोर में घुस रहे पाकिस्तानी फाइटर जेट को इंडियन आर्मी ने मार गिराया है। सम्भव है, यदि पाकिस्तान की तरफ से जवाबी हमला किया गया तो इस बार मामला काफी आगे बढ़ सकता है।
इसी माहौल में एक खबर बेहद चर्चा में है कि ईरान और अफगानिस्तान से सटा हुआ एक बड़ा प्रान्त बलूचिस्तान कभी भी पाकिस्तान से अलग हो सकता है। अभी हाल ही के दिनों में इस्लामाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में पाकिस्तान आर्मी चीफ असीम मुनीर ने अपने भाषण में बलोच अलगाववादियों को धमकी भरे अन्दाज कहा था कि “पाकिस्तान के माथे का झूमर है बलूचिस्तान, उनकी अगली 10 नस्लें भी इसे अलग नहीं कर पाएंगी।”
इसके बाद बलूचिस्तान के पूर्व मुख्यमंत्री व नेशनल पार्टी के नेता अख्तर मेंगल ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि- “पाकिस्तानी सेना को 1971 की शर्मनाक हार और 90 हजार सैनिकों के आत्मसमर्पण को कभी नहीं भूलना चाहिए। सिर्फ उनके हथियार नहीं, उनकी पतलूनें भी आज तक वहीं टंगी हैं। पाकिस्तान की सेना बलूचों की 10 पीढ़ियों तक सजा देने की बात कर रही है। लेकिन क्या पाकिस्तानी सेना की पीढ़ियां बंगालियों से मिली उस ऐतिहासिक हार को याद रखती हैं?”
यही नहीं, इन दिनों खैबर पख्तूनवा की मस्जिद से भी एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक मौलाना अपने हाथ में कुरान लेकर यह कहते हुए सुना जा रहा है कि यदि भारत आक्रमण करता है तो हम पश्तून भारतीय सेना का साथ देंगे। अब आप समझ गए होंगे कि इन दिनों पाकिस्तान किन खतरनाक हालातों से जूझ रहा है, बावजूद इसके उसने भारत से बड़ी दुश्मनी मोल ले ही।
रक्षा विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि यदि पाकिस्तान ने भारत से उलझने की कोशिश की तो पाकिस्तान को बलूच विद्रोहियों की तरफ से भी कड़ी बगावत का सामना करना पड़ेगा। सम्भव है, इन परिस्थितयों में बलूचिस्तान नामक एक नए मुल्क का जन्म भी हो सकता है। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसे कौन से कारण हैं जिनकी वजह से पाकिस्तान से अलग होना चाहता है बलूचिस्तान। इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए यह रोचक स्टोरी जरूर पढ़ें।
बलूचिस्तान का बगावती इतिहास
पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित बलूचिस्तान प्रान्त की राजधानी क्वेटा है। प्राकृतिक संसाधनों तथा रणनीतिक महत्व के लिए विख्यात बलूचिस्तान का क्षेत्रफल पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का 44 फीसदी है। बलूचिस्तान की सीमाएं ईरान तथा अफ़गानिस्तान से सटी हुई हैं।
बलूचिस्तान का नाम पहले ‘कलात’ था और ब्रिटिश हुकूमत ने 1876 ई. में एक सन्धि के तहत कलात को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा दे रखा था। साल 1947 में जब पाकिस्तान का जन्म हुआ तब बलूचिस्तान ने स्वतंत्र रहने की इच्छा जताई। बावजूद इसके मार्च 1948 में पाकिस्तान की सेना ने बलपूर्वक बलूचिस्तान का विलय कर लिया। तब से लेकर आज तक बलूचिस्तान में आजादी की मांग जारी है। जानकारी के लिए बता दें कि समय-समय पर बालूचिस्तान के लोगों द्वारा जबरदस्त विद्रोह देखने को मिलता है, जिसे पाकिस्तानी सेना के द्वारा कुचल दिया जाता है।
बलूचिस्तान के बिना कंगाल हो जाएगा पाकिस्तान
बलूच कौम शिक्षा की दृष्टि से काफी पिछड़ी हुई है। यह सच है कि बलूचियों के बगावती तेवर को देखते हुए पाकिस्तानी सरकार ने उनकी तरफ कभी भी विशेष ध्यान नहीं दिया। परन्तु यदि देखा जाए तो बलूचिस्तान के बिना पाकिस्तान कंगाल हो जाएगा।
बलूचिस्तान एक ऐसा प्रान्त है जहां ताँबा, सोना और यूरेनियम जैसे प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त बलूचिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में एक अरब टन कोयले का भंडार भी है जिसकी कीमत 100 अरब डॉलर तक है। वहीं बलूचिस्तान स्थित ओरमारा, पसनी और ग्वादर तीन नौसैनिक ठिकाने पाकिस्तान को मजबूती प्रदान करते हैं। ग्वादर पोर्ट तो पाकिस्तान के लिए इतना ज्यादा अहम है जितना कराची भी नहीं है।
चीन ने तो ग्वादर में भारी-भरकम निवेश कर रखा है, जहां वह एक गहरा बंदरगाह, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा और अन्य बुनियादी ढाँचे का निर्माण भी कर चुका है। पाकिस्तान का परमाणु परीक्षण स्थल चगाई भी बलूचिस्तान में ही है। आपको याद दिला दें कि अमेरिका ने जब अफगानिस्तान पर हमला किया था तब अमेरिकी सैनिकों के सभी अड्डे चगाई में ही थे। अब आप समझ गए होंगे कि पाकिस्तान के वर्तमान आर्मी चीफ असीम मुनीर ने अपने स्पीच में क्यों कहा था कि “बलूचिस्तान, पाकिस्तान के माथे का झूमर है।”
बलूच विद्रोहियों पर पाकिस्तानी सेना की क्रूरता
बलूच विद्रोहियों के दमन के लिए पाकिस्तानी सेना हमेशा क्रूर तरीके ही अपनाती है। बलूच विद्रोही न केवल पाकिस्तानी आर्मी के गोलियों का शिकार बनते हैं बल्कि उन पर युद्धक विमानों से बम भी बरसाए जाते हैं। कुछ ऐसे उदाहरण हैं, जो बलूच विद्रोहियों पर पाकिस्तानी आर्मी के क्रूरता को दर्शाता है, जैसे—1959 ई. में बलोच नेता नौरोज खां के सरेन्डर करने के बाद पाकिस्तानी सरकार ने उसके बेटों सहित कई समर्थकों को फांसी पर लटका दिया।
— 1974 ई. में पाकिस्तानी सेना ने अपने युद्धक विमानों मिराज तथा एफ़-86 के जरिए बलूचिस्तान के इलाकों पर बम गिराए थे।
— साल 2006 में आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ की सैन्य सरकार में पाकिस्तानी सेना ने बलोच नेता नवाब अकबर बुग्ती को चारों तरफ से घेरकर मार डाला। गवर्नर और केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके अकबर बुग़ती बलोच की इस मौत ने उन्हें बलूचों का ‘हीरो’ बना दिया।
— बलूच आन्दोलन में शामिल लोगों का अचानक गायब होना और फिर उनकी लाशें मिलना बलूचिस्तान में एक बड़ा मसला है। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने मार्च 2007 में वहां के सुप्रीम कोर्ट में 148 ऐसे लोगों की सूची पेश की थी, जो अचानक गायब हो गए थे और उनके बारे में उनके परिजनों को कुछ भी नहीं पता था।
— ग्वादर के अतिरिक्त बलूचिस्तान में कई अन्य जगहों पर चीन ने भारी-भरकम निवेश कर रखा है। बता दें कि तकरीबन 150 मिलियन डॉलर की लागत से चीन ग्वादर में अपने नागरिकों के लिए एक पूरा टाउनशिप तैयार कर रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि ग्वादर के इस टाउनशिप में सिर्फ और सिर्फ चीनी लोग ही रहेंगे। ऐसे में चीन की इस दखलन्दाजी से बलूच विद्रोही काफी नाराज है, लिहाजा बलूचियों द्वारा चीनी प्रोजेक्ट्स, चीनी नागरिकों, इंजीनियर्स और पाकिस्तानी सेना पर हमला अब आम बात हो चुकी है।
आखिर कैसे आजाद होगा बलूचिस्तान
बलोच आन्दोलन की सबसे बड़ी कमजोरी इसके नेतृत्व का बुरी तरह से बंटा होना है। परन्तु यह बात तो निश्चित है कि पाकिस्तान जितना कमजोर होगा, बलूच विद्रोहियों को उतनी ही ताकत मिलेगी। इस बारे में विकास दिव्यकीर्ति कहते हैं कि “पाकिस्तान इन दिनों पेट से है, बलूचिस्तान कभी भी पैदा हो सकता है।”
इसके पीछे दिव्यकीर्ति यह तर्क देते हैं कि पाकिस्तान की माली हालत बेहद खराब है, मंहगाई चरम पर है, भूखमरी के चलते पाकिस्तान में गृह युद्ध जैसे हालात बन रहे हैं इसलिए पाकिस्तानी सेना जनता का ध्यान भटकाने के लिए कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रही है।
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ही मंगलवार रात डेढ़ बजे भारत ने पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की है जिसमें तकरीबन 100 आतंकियों के ढेर होने की खबरें आ रही है। यदि पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई करने की कोशिश की तो युद्ध होना तय है। इन परिस्थितियों में पाकिस्तान एक ऐसे दुष्चक्र में फंस जाएगा जिससे बाहर निकलना उसके लिए बेहद कठिन होगा। ऐसे में इस अवसर का फायदा बलूच अलगाववादी निश्चिततौर पर उठाएंगे और बलूचिस्तान की आजादी का रास्ता साफ हो जाएगा।
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