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Anarkali is still a mystery: claims and reality

आज भी एक रहस्य है अनारकली : दावे और हकीकत

अनारकली का नाम सुनते ही प्रत्येक हिन्दुस्तानी के जेहन में सबसे पहले एक बेहद खूबसूरत महिला की तस्वीर उभरकर सामने आती है जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा बादशाह अकबर के बेटे सलीम की माशूका के रूप में की जाती है। हांलाकि हैरानी की बात यह है कि जो सलीम अपनी माशूका अनारकली पर मर-मिटने को तैयार था और उसकी कब्र पर यह लिखवाता है कि यदि मैं अपनी महबूबा को एक बार भी पकड़ सकता तो अल्लाह का शुक्रिया करता, कयामत तक। वही सलीम जब जहांगीर बनकर जब मुगलिया गद्दी पर बैठता है तब अपनी आत्मकथा तुजुक--जहांगीरीया​नी जहांगीरनामा में कहीं भी अनारकली का जिक्र तक नहीं करता है। इतना ही नहीं अकबर के नवरत्नों में से एक अबुल फजल ने भी अपनी कृति 'अकबरनामा' में अनारकली का कही भी जिक्र नहीं किया है।

इतना ही नहीं, मुगलकालीन इतिहास की इन दो सबसे अमूल्य कृतियों के अ​तिरिक्त किसी भी तत्कालीन इतिहासकार की रचनाओं में भी अनारकली का उल्लेख नहीं किया जाना उसकी शख्सियत को और भी रहस्मयी बना देता है। निष्कर्षतया यह कहना बिल्कुल ​लाजिमी है कि अनारकली की जिन्दगी एक ऐसे रहस्य की तरह है जिसकी पुष्टि आजतक नहीं हो सकी। अत: इस स्टोरी में हम अनारकली के जिन्दगी और मौत से जुड़े कुछ प्रश्नचिह्नों पर रोशनी डालने की कोशिश करेंगे।

आखिर कहां से आई थी अनारकली ?

साल 1860 में इतिहासकार नूर अहमद चिश्ती अपनी किताब 'तहकीकात-ए-चिश्तिया' लिखता है कि बेइंतहा खूबसूरत नादिरा बेगम उर्फ शर्फुन्निसा ईरान से व्यापारियों के कारवां के साथ लाहौर आई थी। बेहद हसीन नादिरा बेगम को नृत्य का शौक था जिससे चंद ही दिनों में उसकी शोहरत पूरे शहर में फैल गई। ऐसे में मुगल बादशाह अकबर की नजरों से बचना नामुमकिन था लिहाजा उसने नादिरा बेगम को अपने दरबार में तलब किया। नादिरा बेगम की खूबसूरती और नृत्य से प्रभावित होकर मुगल बादशाह अकबर ने उससे अपनी सबसे खास कनीज का ओहदा दिया। चूंकि नादिरा बेगम असाधारण सौन्दर्य की मलिका थी बिल्कुल खिल अनार की तरह इसलिए बादशाह अकबर ने उसका नया नाम अनारकली रखा।

अकबर की बीवी थी या सलीम की महबूबा

ब्रिटिश यात्री विलियम फिंच ने साल 1608 से 1611 तक लाहौर में अपना जीवन बिताया था। मतलब साफ है कि अनारकली की मौत से ठीक 9 साल बाद ही विलियम फिंच लाहौर में रहा था। ऐसे में उसने जो कुछ भी लिखा है उसे सुनना, समझना जरूरी हो जाता है। विलियम फिंच के यात्रा वृत्तांत के मुताबिक, “मुगल बादशाह अकबर की कई पत्नियों में से एक थी अनारकली जिसे दानियाल का जन्म हुआ था मध्यकालीन ऐतिहासिक ग्रन्थों में ​दानियाल की मां का नाम छुपाने की कोशिश की गई है। अबुल फजल अपनी कृति अकबरनामा में बस इतना लिखता है कि दानियाल के पैदा होते ही उसकी मां मर गई और उसका लालन-पालन बेगम मरियम उज्मानी ने किया। इस सम्बन्ध में इतिहासकार अब्राहम एर्ली अपनी किताब द लास्ट​ स्प्रिंग- द लाइव्स एण्ड टाइम्स आफ द ग्रेट मुगल्स में लिखते हैं कि यह सम्भव है कि अनारकली ही दालियाल मिर्जा की मां रही हो

वहीं इतिहासकार सैयद अब्‍दुल लतीफ भी अपनी किताब 'तारीख-ए-लाहौर' में लिखते हैं कि अनारकली असल में अकबर की बीवी थी लेकिन शहजादा सलीम से इश्क के कारण उसकी जान चली गई ब्रिटिश यात्री सर टॉमस रो एक पादरी था जिसने जहांगीर के बारे में विस्तार से लिखा है, उसी के साथ एडवर्ड टैरी ने साल 1617 से 1619 के मध्य भारत के कई शहरों की यात्रा की। एडवर्ड टैरी ने सलीम यानि जहांगीर को मांडू में पहली बार देखा था। टैरी ने भी बादशाह जहांगीर से जुड़ी कई अहम बातें लिखीं हैं।

ब्रिटिश यात्री एडवर्ड टैरी अपने यात्रा वृत्तांत में लिखता है कि बादशाह की खूबसूरत पत्नियों में से एक थी अनारकली जिसे वह बेहद प्यार करता था। लेकिन बाद में अकबर के बेटे सलीम और अनारकली के ​बीच जिस्मानी रिश्तों की वजह से बाप-बेटे के बीच सम्बन्ध खराब हो गए।एडवर्ड टैरी यह भी लिखता है कि बादशाह अकबर ने सलीम के इस प्रेम संबंध को लेकर धमकी दी थी और उसे मुगलिया हुकूमत से बेदखल करने की फटकार भी लगाई थी। एक कहानी यह भी उभरकर सामने आती है कि अकबर के द्वारा अनारकली को दीवार में जिन्दा चिनवा दिए जाने की घटना से दुखी होकर सलीम ने बगावत कर दी थी। खैर जो भी हो, हांलाकि इस बात को सभी इतिहासकारों ने एक मत से स्वीकार किया है कि सलीम और अनारकली के बीच प्रेम सम्बन्ध था।

अनारकली का मकबरा

पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त स्थित लाहौर में अनारकली का मकबरा मौजूद है जो कि मुगलकाल की सबसे महत्वपूर्ण इमारतों में से एक है। यह मकबरा जहां निर्मित है, वह क्षेत्र ही अनारकली के नाम से जाना जाता है। ऐतिहासिक ग्रन्थों के मुताबिक, अनारकली के इस अष्टकोणीय मकबरे का निर्माण सम्राट जहांगीर (सलीम) ने साल 1599 में करवाया था। ऐसा कहा जाता है कि इस मकबरे में अनारकली के अवशेषों को दफनाया गया था। जबकि इतिहासकार सैयद अब्दुल लतीफ अपनी किताब 'तारीख-ए-लाहौर' में लिखते हैं कि अनारकली की कब्र पर दो तारीखें लिखी हैं- एक 1599 और दूसरी 1615। इनमें 1599 अनारकली की मौत का साल है जबकि 1615 में यह मकबरा बनकर तैयार हुआ था। जहांगीर ने अनारकली की कब्र पर यह पंक्तियां उत्कीर्ण करवाई-“यदि मैं अपनी महबूबा को एक बार भी पकड़ सकता तो अल्लाह का शुक्रिया करता, कयामत तक।

विलियम फिंच भी अपने यात्रा वृत्तांत में लिखता है कि उसने लाहौर-काबुल के रास्ते में अनारकली और उसके बेटे दानियल की कब्रों को भी देखा। ऐसे में एकबारगी फिंच की बातें भी प्रमाणिक हो सकती हैं। जबकि 18वीं शताब्दी के इतिहासकार और चित्रकार अब्दुर रहमान चुगताई के मुताबिक जहांगीर ने यह मकबरा अनारकली के लिए नहीं बल्कि अपनी प्रिय पत्नी साहिब-ए-जमाल बेगम के लिए बनवाया था। इस मत को भी कई इतिहासकार स्वीकार करते हैं।

हांलाकि इस मकबरे पर पूर्व में सिख सरदार खारक सिंह का कब्जा था, बाद में यह रणजीत सिंह की सेना के एक जनरल वेंचुरा का निवास स्थान बन गया। कालान्तर में इस मकबरे का इस्तेमाल एक कार्यालय के रूप में किया गया जहां ब्रिटिश रेजिडेंट हेनरी लॉरेंस के कर्मचारी काम करते थे। साल 1857 में इस मकबरे को सेंट जेम्स चर्च में बदल दिया गया था। वर्तमान में यह मकबरा पंजाब के पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है।

अनारकली की रहस्यमयी मौत

ब्रिटिश यात्री विलियम फिंच और इतिहासकार सैयद अब्दुल लतीफ के मुताबिक अनारकली मुगल बादशाह अकबर की बीवी थी, जिसके बेटे के नाम दानियाल था। चूंकि अकबर का विद्रोही बेटा सलीम मुगलिया हरम की अनारकली से मोहब्बत करने लगा था ऐसे में अकबर ने उसे लाहौर किले में ही कहीं अनारकली को जिन्दा चिनवा दिया।

कुछ इसी तरह से ब्रिटिश यात्री एडवर्ड टैरी भी लिखता है कि ​अकबर की पत्नी थी अनारकली। ऐसे में सलीम का अपनी सौतेली मां से जिस्मानी रिश्ते बनाने से बाप-बेटे के बीच सम्बन्ध खराब हो गए। इसके बाद अकबर ने अनारकली को दीवार में जिन्दा चिनवा दिया।जबकि इतिहासकार कन्हैया लाल की किताब 'तारीख-ए-लाहौर' (1897) के अनुसार, अनारकली की मौत बीमारी से ही हुई थी। कई इतिहासकार यह भी कहते हैं कि अनारकली के बेटे ने ही उसका कत्ल कर दिया था।

अनारकली की मौत से जुड़ी एक दूसरी कहानी भी है। अहमद चिश्‍ती की तहकीकात-ए-चिश्तिया (1860) के मुताबिक, बादशाह अकबर की रखैल थी अनारकली जो बेइंतहा खूबसूरत थी। कुछ लोगों का कहना है कि ​​अकबर जब दक्कन अभियान पर था तब अनारकली बीमार पड़ी और उसकी मौत हो गई। अकबर ने वापसी के बाद अनारकली का भव्य मकबरा बनवाया। अहमद चिश्ती का कहना है कि मैंने संगमरमर का वह मकबरा देखा है जिस पर अल्‍लाह के 99 नाम लिखे हैं। सिर की तरफ सुल्‍तान सलीम अकबर लिखा था।

गौरतलब है कि मुगल बादशाह अकबर तथा खुद सलीम (सत्ता सम्भालने के बाद जहांगीर) ने भी अनारकली को इतिहास के पन्नों से गायब करवा दिया। मतलब साफ है कि बेइंतहा खूबसूरत अनारकली एक ऐसी शख्सियत थी जिसके चलते अकबर और उसके बेटे जहांगीर में तलवारें खिंच गई थीं।

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