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Were all the sons of Mughal emperor Akbar drunkards?

क्या मुगल बादशाह अकबर के सभी बेटे शराबी थे?

मुगल वंश के सबसे ताकतवर और तीसरे शासक का नाम था जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर। मध्यकालीन इतिहास में जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर के कई नाम हैं, जैसे- अकबरअकबर--आजम, शहंशाह अकबरमहाबली आदि।

यह सच है कि अपनी शानदार उपलब्धियोंकिताबों से लगावलेखकों और विद्वानों के लिए सम्मान के बावजूद अकबर अनपढ़ रहा। अनपढ़ इस मायने में कि वह न लिख सकता थान पढ़ सकता था। बावजूद इसके अकबर तुर्की और फ़ारसी भाषा में माहिर था और हिंदुस्तान के शिष्टाचार और रीति-रिवाजों से अच्छी तरह वाकिफ था। पर्शियन अध्यापकों से वह ड्राइंग और बढ़ईगिरी जैसे शिल्पों की तालीम लेता रहा। कम उम्र में ही वह युद्ध कौशल में निपुण हो गया था।

हिन्दू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरियां कम करने के लिए दीन--इलाही पंथ की स्थापनानवरत्नों के रूप में 9 विद्वानों की नियुक्तिदरबार में मुस्लिम सरदारों की तुलना में हिन्दू सरदारों की ज्यादा नियुक्तिजजिया कर की समाप्ति और दक्षिण भारत से लेकर कंधार तक फैला विशाल मुगल साम्राज्य जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर को शहंशाह अकबर बनाते  हैं।

लेकिन क्या आप इस बात से वाकिफ हैं कि इतने योग्य और ताकतवर मुगल बादशाह के बेटे निकम्मे और शराबी थे। यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि अकबर के कुल पांच बेटे थे। मरियम के गर्भ से जुड़वा बच्चे पैदा हुए थेजिनका नाम रखा गया था मिर्जा हसन और मिर्जा हुसैन। लेकिन दुर्भाग्यवश जन्म के कुछ ही दिन बाद ही इनका इंतकाल हो गया। तमाम दुआओं और मिन्नतों के बाद अकबर को फिर एक बेटा हुआ जिसका नाम सलीम रखा गया। सलीम के बाद अकबर के दो और बेटे हुए जिनका नाम मुराद मिर्जा और दानियाल मिर्जा था।

मुराद मिर्जा 

मुराद मिर्जा की मां मरियम-उज-जमानी अकबर की पसंदीदा बेगम थीं। हांलाकि शुरू में मुराद मिर्जा का लालन-पालन अकबर की तीसरी पत्नी सलीमा सुल्तान बेगम ने किया। साल 1575 में जब सलीमा बेगम हज पर गईं तो मुराद अपनी मां के पास लौट आए। अकबर के नौरत्नों में शामिल अबुल फजल ने मुराद मिर्जा की तालीम का जिम्मा संभाला। अकबर ने मुराद मिर्जा को पुर्तगाली और ईसाई धर्म के मूल सिखाने के लिए विदेश से शिक्षक बुलवाए। 7 साल की उम्र में ही मुराद मिर्जा को मनसबदार बनाया गया जिनके अधीन 7000 सैनिक थे। इसके बाद 14 साल की उम्र में मुराद के अधीन सैनिकों की संख्या 9000 कर दी गई।

1593 में दक्कन की सेना मुराद मिर्जा के हाथों में आ गई थीलेकिन शराब की लत के चलते सेना की कमान अबुल फजल को संभालनी पड़ी थी। मुराद मिर्जा अपने 9 साल के बेटे रूस्तम की मौत और जंग में हार का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सके और शराब की लत में डूब गए। ऐसे में तमाम बीमारियों ने उन्हें घेर लिया और महज 29 साल की उम्र में ही 12 मई 1599 को मुराद मिर्जा की असामयिक मृत्यु हो गई।

दानियाल मिर्जा

अकबर का सबसे छोटा बेटा दानियाल भी जमकर शराब पीता था। जब इस बात की खबर अकबर को लगी तो दानियाल पर सख्त पहरा बैठा दिया। आपको बता दें कि दानियाल को बन्दूकों का बेहद शौक थाउसने अपनी एक बन्दूक का नाम याकू-यू-जनाजा रखा था। इसका मतलब था-एक ही गोली से जनाजा निकल जाना। ऐसे में शराब से बेचैन दानियाल ने रोते हुए अपने सेवक से कहा कि मेरे लिए याकू-यू-जनाजा में शराब डालकर ले आओ।

इनाम के लालच में दानियाल का सेवक बंदूक की नली में शराब डालकर ले आया। चूंकि बंदूक की नली में जंग लगा थाऐसे में शराब पीते ही दानियाल ने बिस्तर पकड़ लिया। वह लगातार बीमार होता गया और बीमारी के 40वें दिन महज 35 साल की उम्र में उसकी भी मौत हो गई।

सलीम

अकबर जब बीमार पड़े तो उन्हें सबसे ज्यादा याद अपने प्रिय बेटे सलीम की आईजो उन दिनों बगावती हो चुके थे। अकबर की आंखें मुराद और दानियाल को ढूंढ रही थीं जो अब इस दुनिया में नहीं थे। बता दें कि अकबर का प्रिय बेटा सलीम आगे चलकर जहांगीर के नाम से मुगल बादशाह बना। अकबर का इकलौता बारिस होने के कारण और वैभव-विलास में पालन-पोषण की वजह से जहांगीर एक बेहद शौकीन और रंगीन मिजाज का शासक थाजिसने करीब 20 शादियां की थीहालांकि उनकी सबसे चहेती और पसंदीदा बेगम नूरजहां थीं। जहांगीर की कई शादियां राजनीतिक कारणों से भी हुईं थी।

हांलाकि जहांगीर ने अपने पिता अकबर द्दारा रखी गई मुगल साम्राज्य की मजबूत नींव को कमजोर भी नहीं पड़ने दिया लेकिन शराब और अफीम की बुरी लत ने उसके शरीर को बर्बाद कर दिया था। आत्मकथा ‘तुजुक-ए-जहांगीरी में अपने शराब पीने की आदत के बारे में जहांगीर लिखता है कि हमारा मदिरापान इतना बढ़ गया था कि प्रतिदिन बीस प्याला या इससे अधिक पीता था। हमारी ऐसी अवस्था हो गई थी कि यदि एक घड़ी भी न पीता तो हाथ कांपने लगता तथा बैठने की शक्ति नहीं रह जाती थी।”  बता दें कि सलीम 20 प्याला शराब में से 14 प्याला शराब वह दिन में पीता था और बाकी 6 प्याला शराब रात में पीता ​था। पार्वती शर्मा अपनी किताब जहांगीर एन इंटिमेट प्रोर्ट्रेट ऑफ ग्रेट मुगलमें लिखती हैं कि हकीम ने जहांगीर को चेतावनी देते हुए कहा कि शराब छोड़नी होगी अन्यथा अगले छह माह में हालात बदतर हो जाएंगे। इसके बाद जहांगीर ने शराब पीना तो थोड़ा कम कर दिया लेकिन इसकी जगह फिलोनियम का नशा करने लगा, दरअसल फिलोनियम जटामांसी, शहद और अफीम का मिश्रण होता था।

जहाँगीर कश्मीर और काबुल जाकर अपना स्वास्थ्य ठीक करना चाहता था। वह काबुल से कश्मीर चला गया लेकिन भीषण ठंड के कारण लाहौर लौटने का फैसला किया। कश्मीर से लाहौर की यात्रा के दौरान 28 अक्टूबर 1627 को जहांगीर की मृत्यु हो गई थी। गौरतलब है कि अकबर जैसे योग्य और शक्तिशाली शासक के सभी बेटों की मौत शराब की वजह से हुई थी।