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You will be shocked to know the salary of the first Chief Justice of British India

ब्रिटिश भारत के पहले चीफ जस्टिस की सैलरी जानकर उड़ जाएंगे होश

26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के ठीक दो दिन बाद यानि 28 जनवरी 1950 को पुराने संसद भवन के नरेंद्र मंडल में भारत के पहले सुप्रीम कोर्ट का उद्घाटन हुआ। इसके बाद जस्टिस हीरालाल जे. कानिया को स्वतन्त्र भारत का पहला मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) बनने का गौरव प्राप्त हुआ। परन्तु यह बात जानकर आप दंग रह जाएंगे कि ब्रिटिश भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश सर एलीजाह इम्पे की सैलरी आजाद भारत के मुख्य न्यायाधीश हीरालाल जे. कानिया की सैलरी से कई गुना ज्यादा थी। ब्रिटिश भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of British India) सर एलीजाह इम्पे की सैलरी कितनी थी?  यह जानने के लिए इस रोचक स्टोरी को जरूर पढ़ें।

ब्रिटिश भारत का पहला सुप्रीम कोर्ट

ब्रिटिश भारत के पहले गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स के शासनकाल में रेग्युलेटिंग एक्ट (1773 ई.) के प्रावधान लागू किए गए। जिसके तहत साल 1774 में कलकत्ता (अब कोलकाता) के फोर्ट विलियम में क्राउन आज्ञापत्र द्वारा एक सर्वोच्च तथा तीन छोटे न्यायाधीशों वाले सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court of Judicature) की स्थापना की गई।

ब्रिटिश भारत की समस्त जनता चाहे अंग्रेज हों या फिर भारतीय, सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती थी। विशेषकर बंगाल, बिहार और उड़ीसा में होने वाले सभी अपराधों की शिकायतों को सुनने तथा निपटान करने की जिम्मेदारी भी सुप्रीम कोर्ट को प्राप्त थी।

इस सुप्रीम कोर्ट को​ ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी में कार्यरत तथा सम्राट की सेवा में लगे लोगों के विरूद्ध मामले, कार्यवाही अथवा शिकायत की सुनवाई करने का भी अधिकार प्राप्त था। कोलकाता में स्थापित ब्रिटिश भारत के इस पहले सुप्रीम कोर्ट को इंग्लैण्ड में प्रचलित सभी न्यायिक विधियों के अनुसार न्याय करने के अधिकार दिए गए। इस सुप्रीम कोर्ट को प्राथमिक तथा अपील के अधिकार की भी अनुमति थी। इस सुप्रीम कोर्ट को अंग्रेजी परम्परा के अनुसार ज्यूरी (पंच) की सहायता से मुकदमों की सुनवाई करनी थी।

कोलकाता स्थित राइटर्स बिल्डिंग के बगल में सुप्रीम कोर्ट भवन एक दो मंजिला इमारत थी। यह भवन कभी कलकत्ता के टाउन हॉल के रूप में कार्य करता था। साल 1792 में इसे ध्वस्त कर दिया गया तत्पश्चात 1832 ई. में एक नई इमारत बनाई गई।

ब्रिटिश भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश की सैलरी

साल 1774 में गठित ब्रिटिश भारत के पहले सुप्रीम कोर्ट में एक मुख्य न्यायाधीश और तीन अन्य छोटे न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई। मुख्य न्यायाधीश के पद पर सर एलीजाह इम्पे (Sir Elijah Impey) की नियुक्ति की गई। जबकि तीन अन्य सहायक न्यायाधीशों के रूप में सर रॉबर्ट चेम्बर्ज, लिमैस्टर और हाइड (Sir Robert Chambers, Lemaister and Hyde ) को नियुक्त किया गया।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सर एलीजाह इम्पे की वार्षिक सैलरी £8000 तथा छोटे न्यायाधीशों की वार्षिक सैलरी £6000 निर्धारित की गई जो सम्भवत: समकालीन संसार के सबसे ऊंचे वेतन थे।

आजाद भारत का पहला सुप्रीम कोर्ट

26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के ठीक दो दिन बाद यानि 28 जनवरी 1950 को भारत के सुप्रीम कोर्ट का उद्धघाटन पुराने संसद भवन के नरेंद्र मंडल में हुआ। भारत का यह सुप्रीम कोर्ट साल 1958 ई. में पुराने संसद भवन से नई दिल्ली के तिलक मार्ग स्थित वर्तमान भवन में स्थाना​न्तरित कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट की इमारत न्याय के तराजूके आकार में बनी है। 19 कोर्ट रूम वाले सुप्रीम कोर्ट की बिल्डिंग का विस्तार साल 1979, साल 1994 और फिर 2015 में किया गया। साल 1979 में दो नई विंग- पूर्वी विंग और पश्चिमी विंग जोड़ी गई थी। सेंट्रल विंग में ही मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट है।

भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस हीरालाल जे. कानिया व 7 अन्य छोटे न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई। वर्तमान में चीफ जस्टिस के अलावा अन्य छोटे न्यायाधीशों की संख्या 34 है। साल 1950 में आजाद भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश हीरालाल जे. कानिया की सैलरी 5000 रुपए प्रतिमाह तथा अन्य जजों की सैलरी 4000 रुपए प्रतिमाह निर्धारित की गई।

साल 1950 के बाद साल 1986 में संविधान संशोधन के जरिए पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एवं जजों की सैलरी में बढ़ोतरी की गई। जिसके मुताबिक मुख्य न्यायाधीश की सैलरी 10000 रुपए तथा जजों की सैलरी 9000 रुपए प्रति माह तय की गई। इसके बाद क्रमश: साल 1998, 2009 और 2018 में सैलरी में बढ़ोतरी हुई।

यदि हम साल 2025 की बात करें तो भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) की सैलरी 2 लाख 80 हजार रुपए प्रतिमाह है जबकि प्रति महीने 45000 हजार रुपए सत्कार भत्ता अलग से मिलता है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों की सैलरी 2 लाख 50 हजार रुपए प्रति माह है जबकि सत्कार भत्ता प्रति महीने 34000 रुपए है।

एलीजाह इम्पे और हरिलाल जे. कानिया की सैलरी में अन्तर

1774 ई. में ब्रिटिश भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश सर एलिजा इम्पे की वार्षिक सैलरी £ 8000 थी। जबकि 1950 ई. में आजाद भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) हीरालाल जे. कानिया की सैलरी 5000 रुपए प्रतिमाह थी। ऐसे में यदि हम इन दोनों मुख्य न्यायाधीशों की सैलरी की तुलना करें तो साल 1950 में एक पाउण्ड की वैल्यू 13 रुपए 33 पैसे थी। इस हिसाब से भारत की आजादी से तकरीबन 176 साल पहले ब्रिटिश भारत के मुख्य न्यायाधीश की सैलरी तकरीबन 9000 रुपए प्रतिमाह थी।

ऐसे में इस बात का सटीक अन्दाजा लगाना बेहद मुश्किल है कि 1774 ई. में 9000 रुपए प्रतिमाह वेतन की कीमत साल 1950 के 5000 रुपए की तुलना में कितने गुना ज्यादा रही होगी। परन्तु इतना तो स्पष्ट है कि ब्रिटिश भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश सर एलिजा इम्पे की सैलरी संसार के सबसे उंचे वेतनमानों में से एक थी।

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