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why Afzal Khan killed his 63 wives before fighting Shivaji

शिवाजी से युद्ध करने से पहले अफजल खान ने अपनी 63 बीवीयों की हत्या क्यों की थी?

कर्नाटक के बीजापुर (अब विजयपुर) से तकरीबन 5 किमी. की दूरी पर साठ कब्र नामक एक कब्रगाह है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इस जगह पर आदिलशाही सल्तनत के सेनापति अफजल खान ने अपनी 63 बीवीयों की हत्या कर दी थी। इस कब्रगाह में मौजूद 63 कब्रों के आकार, डिजाइन और समान दूरी से पता चलता है कि ये सभी कब्रें ऐसे लोगों की हैं जिनकी मृत्यु लगभग एक ही समय में हुई होगी।

काले पत्थर से निर्मित  इन सभी कब्रों का ऊपरी चपटा हिस्सा यह ज़ाहिर करता है कि ये सभी महिलाओं की हैं। अब सवाल यह उठता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज से युद्ध करने से पहले अफजल खान ने अपनी सभी बीवीयों की हत्या क्यों की थी? इस रोचक प्रश्न का उत्तर जानने के लिए यह स्टोरी जरूर पढ़ें।

छत्रपति  शिवाजी महाराज  ने की थी अफजल खान  की हत्या

साल 1659 में मुगल बादशाह औरंगजेब के उत्तर लौटते ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपना विजय अभियान शुरू कर दिया, जिसकी कीमत सबसे पहले बीजापुर को चुकानी पड़ी। शिवाजी महाराज ने समुद्र तटीय क्षेत्र कोंकण पर आक्रमण करके उसके उत्तरी हिस्से पर अधिकार कर लिया। इसके साथ ही उन्होंने कुछ पहाड़ी दुर्गों को भी अपने कब्जे में ले लिया। ऐसे में बीजापुर के सुल्तान ​आदिलशाह द्वितीय ने शिवाजी के विरूद्ध सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया।

इसके लिए सुल्तान आदिलशाह ने आदिलशाही वंश के शक्तिशाली सेनापति अफजल खान को दस हजार की सैन्य टुकड़ी के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज को कैद करने के लिए भेजा। खूंखार योद्धा अफजल खान की लम्बाई सात फीट थी। अफजल खां ने सबसे पहले कोंकण में मार्च किया और शिवाजी से मिलने की मांग। दरअसल अफजल खान युद्ध से पहले ही शिवाजी की हत्या करना चाहता था।

अफजल खान ने शिवाजी महाराज के पास प्रतापगढ़ के निकट मिलने का सन्देश भेजा। छत्रपति शिवाजी महाराज ने अफजल खान का यह सन्देश स्वीकार कर लिया और दोनों की मुलाकात का स्थान तय हुआ। अफजल खान ने शिवाजी से यह वायदा किया था कि वह बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह द्वितीय से माफी दिलवा देगा। परन्तु ब्राह्मण दूत कृष्णाजी भास्कर ने शिवाजी को अफजल खान का वा​स्तविक उद्देश्य बता दिया था। फिर क्या था, 20 नवम्बर 1659 ई. को प्रतापगढ़ के पास एक शामियाने में अफजल खान और शिवाजी महाराज की मुलाकात हुई।

मुलाकात के दौरान छत्रप​ति शिवाजी महाराज अपने लबादे के नीचे चेनमेल और अपनी आस्तीन में बाघनख (बाघ के पंजों की तरह दिखने वाला हथियार) छुपाकर ले गए थे। गले मिलते समय अफजल खान ने शिवाजी महाराज की पीठ में चाकू घोंपने की कोशिश की परन्तु पहले से ही सर्तक शिवाजी महाराज ने बाघनख से अफजल खान की आंतें चीरकर रख दी। इस प्रकार तुलजा भवानी की मूर्ति को क्षतिग्रस्त करने वाला आतातायी अफजल खान मारा गया।

आखिर में  अफजल खान ने  63 बीवीयों की हत्या क्यों की?

यह घटना साल 1659 की है, जब बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह द्वितीय ने अपने सेनापति अफजल खान को दस हजार की सैन्य टुकड़ी के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज को कैद करने के लिए भेजा था। परन्तु युद्ध पर जाने से पूर्व अफजल खान ने अपनी 63 बीवीयों की हत्या कर दी जिनकी कब्रें बीजापुर (अब विजयपुर) से तकरीबन 5 किमी. की दूरी पर स्थित पांच एकड़ में फैली 'साठ कब्र' नामक एक कब्रगाह में मौजूद हैं। 'साठ कब्र' नामक इस कब्रगाह में कब्रों में सात कतारें हैं जिनमें कुल 63 कब्रें हैं।

इस कब्रगाह में मौजूद 63 कब्रों के आकार, डिजाइन और समान दूरी से पता चलता है कि ये सभी कब्रें ऐसे लोगों की हैं जिनकी मृत्यु लगभग एक ही समय में हुई होगी। इन कब्रों का ऊपरी चपटा हिस्सा यह ज़ाहिर करता है कि ये सभी महिलाओं की हैं।

प्रख्यात मराठी इतिहासकार यदुनाथ सरकार लिखते हैं कि अफजल खान द्वारा 63 बीवीयों की हत्या से जुड़े किस्से बाद के वर्षों में मशहूर हुए। अत: इस घटनाक्रम को लेकर अलग-अलग इतिहासकारों ने अलग-अलग कारण प्रस्तुत किए हैं।

साल 1891 से 1910 तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पश्चिमी डिविज़न में सुप्रिटेंडेंट रहे हेनरी कजिन्स अपनी किताब 'बीजापुर: द ओल्ड कैपिटल ऑफ द आदिल शाही किंग्स' में लिखते हैं कि छत्रपति शिवाजी के विरूद्ध युद्ध अभियान पर जाने से पहले ज्योतिषियों ने अफजल खान से कहा कि वे युद्ध से जीवित नहीं लौटेंगे। कवीन्द्र परमानन्द की कृति शिवभारतके अनुसार, “जब अफजल खान ने शिवाजी महाराज के विरूद्ध युद्ध अभियान के लिए प्रस्थान किया तो उसकी सेना को कई बुरे संकेत मिले जैसे-उल्काओं का गिरना और बादल रहित आकाश में वज्रपात आदि।

अफजल खान को भविष्यवाणियों पर इतना यकीन था वह अपना हर कदम इन्ही के आधार पर उठाता था। इस बारे में हेनरी कजिन्स लिखता है कि इन्ही भविष्यवाणियों पर विश्वास करके अफजल खान ने अपने महल के पास ही अपनी कब्र और एक दो मंजिला मस्जिद का निर्माण करवाया था जोकि 1653 ई. में बनकर तैयार हो चुकी थी।

युद्ध अभियान पर जाने से पूर्व अफजल खान इस बात के लिए पूरी तरह से आश्वस्त था कि वह जीवित नहीं लौटेगा। शायद इसीलिए  उसने अपनी कब्र के पत्थर पर मृत्यु की तारीख के रूप में प्रस्थान का वर्ष भी उत्कीर्ण करवाया था। हेनरी कजिन्स की किताब में लिखा है कि इसी वजह से अफजल खान ने अपनी सभी पत्नियों को डूबोकर मारने का निर्णय लिया। प्रतिष्ठित अंग्रेजी समाचार पत्र 'द हिंदू' के एक लेख में इतिहासकार लक्ष्मीशरत लिखते हैं कि अफजल खान ने अपनी सभी बीवीयों को कुएं में धकेल कर इसलिए मार दिया ताकि उसके मरने के बाद वे किसी अन्य के हाथ न लगें। 

वहीं यदुनाथ सरकार यह लिखते हैं कि शिवाजी के विरूद्ध युद्ध पर जाने से पहले अफजल खान से एक ज्योतिषी ने कहा था कि वह युद्ध से जिन्दा नहीं लौटेगा। इसीलिए अफजल खान ने बीजापुर के पास अपनी 63 बीवीयों की हत्या कर दी ताकि वे किसी अन्य मर्द से न मिलें।

वहीं इतिहासकार अनीसुर रहमान ख़ान के अनुसार, शिवाजी के साथ हुए युद्ध से पहले अफजल खान ने अपनी सभी पत्नियों की हत्या कर दी ताकि उसकी मौत के बाद वे किसी और शादी न करें। अफजल खान की इच्छा थी कि उसे उसकी पत्नियों के बगल में दफनाया जाए, यही कारण है कि 63 कब्रों के अतिरिक्त एक कब्र खाली है। परन्तु प्रतापगढ़ में जहां शिवाजी महाराज ने उसे मार दिया था, उसी जगह अफजल खान को दफना दिया गया।

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