
भारतीय इतिहास में ऐसी अनगिनत वीरांगनाएं हैं जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लिया। इनमें से कुछ रानियां भी हैं, जैसे- लक्ष्मीबाई, बेगम हजरत महल, रानी चेन्नमा, रानी अवंतीबाई आदि। इसी क्रम में आज हम आपको भारत की उस पहली रानी से परिचित कराने जा रहे हैं, जिसने ईस्ट इंडिया कम्पनी को धूल चटाई थी।
जी हां, शिवगंगा रियासत की उस रानी का नाम था वेलु नाचियार। अंग्रेजी, फ्रेंच और उर्दू सहित कई भाषाओं में निपुण रानी वेलु नाचियार वलारी (दरांती फेंकना), सिलंबम (बांस की छड़ी से लड़ना), कलारीपयट्टू जैसे मार्शल आर्ट के साथ ही घुड़सवारी तथा तीरंदाजी में भी माहिर थी।
तमिल समाज में रानी वेलु नाचियार को ‘वीरमंगई’ (बहादुर महिला) की उपाधि से नवाजा गया है। रानी वेलु नाचियार ने हैदर अली की मदद से ईस्ट इंडिया कम्पनी को किस प्रकार से करारी शिकस्त दी थी? इसे जानने के लिए यह रोचक स्टोरी जरूर पढ़ें।
रानी वेलु नाचियार का परिचय
शिवगंगा रियासत की रानी वेलु नाचियार का जन्म 3 जनवरी, 1730 ई. को हुआ था। तमिलनाडु स्थित रामनाथपुरम के राजा चेल्लमुत्थू विजयरागुनाथ सेथुपति तथा रानी सकंधिमुथल की इकलौती संतान थीं रानी वेलु नाचियार। ऐसे में रानी वेलु नाचियार का पालन-पोषण बिल्कुल राजकुमारों की तरह हुआ।
किशोरावस्था में ही वेलु नाचियार अंग्रेजी, फ्रेंच और उर्दू सहित कई भाषाओं में पारंगत हो चुकी थी। इतना ही नहीं, घुड़सवारी और तीरंदाजी में माहिर वेलु नाचियार को अस्त्र-शस्त्रों सहित वलारी (दरांती फेंकना), सिलंबम (बांस की छड़ी से लड़ना), कलारीपयट्टू जैसे मार्शल आर्ट का भी प्रशिक्षण दिया गया था। ईस्ट इंडिया कम्पनी को करारी शिकस्त देने वाली शिवगंगा रियासत की रानी वेलु नाचियार को तमिल समाज में ‘वीरमंगई’ (बहादुर रानी) की उपाधि प्राप्त है।
वेलु नाचियार बनी शिवगंगा रियासत की रानी
वेलु नाचियार जब 16 साल की थी तब उनकी शादी साल 1746 में शिवगंगा रियासत के राजा मुथु वदुग्नाथ पेरियाउदय थेवर के साथ हुई। विवाह के पश्चात शिवगंगा रियासत की शासन-सत्ता सम्भालने में रानी वेलु नाचियार एक करीबी सलाहकार, मार्गदर्शक और विश्वासपात्र के रूप में अपने पति मुथु वदुग्नाथ पेरियाउदय थेवर की खूब मदद किया करती थीं।
राजा मुथु वदुग्नाथ पेरियाउदय थेवर तथा रानी वेलु नाचियार से एक पुत्री पैदा हुई जिसका नाम था वेल्लाची जो शिवगंगा रियासत की वास्तविक उत्तराधिकारी थी। राजा मुथु वदुग्नाथ पेरियाउदय थेवर तथा रानी वेलु नाचियार ने साल 1750 से 1772 तक शिवगंगा रियासत पर राज किया।
शिवगंगा रियासत पर ईस्ट इंडिया कम्पनी का कब्जा
रानी वेलु नाचियार के पति मुथु वदुग्नाथ पेरियाउदय थेवर 1772 ई. में 'कलयार कोयिल युद्ध' में ईस्ट इंडिया कम्पनी तथा आरकाट के नवाब की संयुक्त सेना के विरूद्ध लड़ते हुए शहीद हो गए। इस युद्ध में अंग्रेज़ी सेना ने शिवगंगा रियासत के बच्चे, बूढ़े और महिलाओं तक को नहीं बख्शा था। इस प्रकार साल 1772 में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने शिवगंगा रियासत पर कब्जा कर लिया।
दुश्मनों के हमले के समय रानी वेलु नाचियार और उनकी नवजात बेटी मंदिर में थी, इसलिए बच गईं। राजा के वफादार मारुथु (मरुधु) भाइयों, वेल्लई और चित्रा उन्हें सुरक्षित दूसरी जगह ले गए। यहां तक कि रानी वेलु नाचियार अपने पति के शव को भी नहीं प्राप्त कर पाईं।
विधवा रानी वेलु नाचियार को अपनी नवजात बेटी के साथ शिवगंगा रियासत छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। पति की शहादत का प्रतिशोध लेने तथा शिवगंगा रियासत पर दोबारा कब्जा करने के लिए रानी वेलु नाचियार को तकरीबन आठ वर्षों तक डिंडीगुल के जंगलों में रहना पड़ा।
हैदर अली से मांगी सैन्य सहायता
इन आठ सालों में रानी वेलु नाचियार ने एक प्रशिक्षित महिला सेना का गठन किया। रानी वेलु नाचियार ने अपनी महिला सेना का नाम ‘उडियाल’ (उदयाल) रखा था। इसके अतिरिक्त रानी वेलु नाचियार के विश्वासपात्र मारुथु बंधुओं ने भी वफादार सैनिकों की एक सेना तैयार की।
हांलाकि इनकी सेना अभी भी अंग्रेजों से मुकाबला करने में सक्षम नहीं थी। ऐसे में रानी वेलु नाचियार ने शिवगंगा रियासत को अंग्रेजी चंगुल से मुक्त कराने के लिए डिंडीगुल में हैदर अली से मुलाकात की। रानी वेलु नाचियार ने हैदर अली से उर्दू भाषा में बात की।
रानी वेलु नाचियार की हिम्मत और दृढ़ता से हैदर अली बेहद प्रभावित हुआ, उसने रानी वेलु नाचियार को डिंडीगुल क़िले में रहने के लिए जगह दी तथा वेलु के लिए अपने महल के अंदर एक मंदिर भी बनवाया।
अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ वेलु नाचियार की लड़ाई में हैदर अली ने 400 पौंड की मासिक रकम के साथ ही 5000 पैदल सैनिकों और घुड़सवार दस्तों की मदद दी। ईस्ट इंडिया कंपनी के विरूद्ध हैदर अली के साथ-साथ गोपाल नायकर, मारुथु बंधु, थंडावरायण पिल्लई व अमीर व्यापारियों ने रानी वेलु नाचियार की जमकर मदद की।
ईस्ट इंडिया कम्पनी को चटाई धूल
हैदर अली तथा अपने विश्वासपात्र साथियों की मदद से एक सशक्त सेना का गठन करने के पश्चात साल 1780 में रानी वेलु नाचियार ने ईस्ट इंडिया कम्पनी के विरूद्ध युद्ध का शंखनाद किया। चूंकि शिवगंगा रियासत के किले पर अंग्रेजी सेना ने पहले से ही कब्जा जमा रखा था, ऐसे में रानी वेलु नाचियार ने अपनी उदयाल सेना की मदद से किले को चारों तरफ से घेर लिया।
किले के अन्दर प्रवेश करने के लिए रानी वेलु नाचियार की महिला सेनापति कुइली ने एक जबरदस्त योजना बनाई। विजयदशमी के दिन सेनापति कुइली ने अपने कुछ महिला सैनिकों के साथ पूजा करने के बहाने ग्रामीण महिलाओं का वेष बनाकर किले के अन्दर प्रवेश किया। किले के अन्दर प्रवेश करने के पश्चात सही मौका देखकर महिला सेनापति कुइली ने अपने साथियों की मदद से अंग्रेज सैनिकों पर अचानक प्रहार करना शुरू कर दिया।
इस अचानक हमले से अंग्रेज स्तब्ध हो गए। थोड़े ही देर में कुइली और उसकी महिला सैनिकों ने पहरेदारों को मारकर किले का द्वार खोलने में सफलता प्राप्त कर ली। किले का द्वार खुलते ही अपनी पूरी सेना के साथ रानी वेलु नाचियार ने बेहद तीव्र गति से अन्दर प्रवेश किया।
किले के अन्दर रानी वेलु नाचियार और ईस्ट इंडिया कम्पनी के सैनिकों के बीच भयंकर खूनी संघर्ष हुआ। इस लड़ाई में वेलु नाचियार की महिला सेनापति कुइली ने अदम्य साहस का परिचय दिया। कहते हैं, सेनापति कुइली ने किले के मंदिर में रखे घी को अपने शरीर पर उड़ेलकर खुद को आग के हवाले कर दिया और ब्रिटिश गोला-बारूद के डिपो में कूद पड़ी। गोला-बारूद के उड़ते ही अंग्रेजी सेना का मनोबल तहस-नहस हो गया और कर्नल विलियम्स फ़्लार्टन के नेतृत्व वाली अंग्रेजी सेना ने अपनी हार स्वीकार कर ली। इस प्रकार साल 1781 में रानी वेलु नाचियार और हैदर अली की संयुक्त सेना ने किले पर कब्जा कर लिया।
रानी वेलु नाचियार का निधन
1781 ई. में ईस्ट इंडिया कम्पनी के विरूद्ध विजय प्राप्त करने के पश्चात रानी वेलु नाचियार ने तकरीबन 16 वर्षों तक शिव गंगा रियासत पर शासन किया। रानी वेलु नाचियार ने साल 1790 में अपनी इकलौती पुत्री वेल्लाची को उत्तराधिकारी घोषित किया तथा प्रशासनिक सहायता के लिए मारुथु बंधुओं वेल्लू मारुतू को सेनापति और चिन्ना मारुतू को अपना मंत्री बनाया। रियासत का कार्यभार सम्भालते हुए रानी वेलु नाचियार ने 25 दिसम्बर 1796 ई. को अंतिम सांस ली।
इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर रानी वेलु नाचियार
— रानी वेलु नाचियार के अदम्य साहस एवं वीरता से प्रभावित तमिल लोग उन्हें गर्व से ‘वीरमंगई’ (बहादुर महिला) कहते हैं।
— भारत सरकार ने 31 दिसंबर 2008 ई. को रानी वेलु नाचियार के सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया।
— तमिलनाडु में हर साल 3 जनवरी को रानी वेलू नाचियार जयंती मनाई जाती है।
— साल 2014 में तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने शिवगंगा में वीरा मंगाई वेलु नाच्चियार मेमोरियल का उद्धघाटन किया तथा रानी वेलु नाचियार की आदम कद कांस्य प्रतिमा स्थापित की।
— प्रख्यात हिप-हॉप कलाकार प्रोफेसर अली ने साल 2016 में वेलु नाचियार को समर्पित एक गीत "अवर क्वीन" जारी किया।
— चेन्नई की ओवीएम डांस अकादमी ने शिवगंगा क्वीन पर आधारित एक भव्य नृत्य बैले ‘वेलु नचियार’ की प्रस्तुती दी।
— नाट्य निर्देशक श्रीराम शर्मा ने 21 अगस्त 2017 ई. को चेन्नई नारदगण सभा में रानी वेलु नाचियार के जीवन-चरित्र पर आधारित एक भव्य नृत्य नाटिका का मंचन किया।
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