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Raja Man Singh bharatpur had hit CM Shiv Charan Mathur's helicopter with a jeep

राजा ने मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर को जीप से मारी थी टक्कर, फिर क्या हुआ ?

एक ऐसा राजा जो न केवल इंजीनियर बल्कि सात बार का विधायक भी था। जनता में उस राजा की लोकप्रियता इतनी थी कि 1977 के चुनाव में जेपी लहर और 1984 में इंदिरा लहर भी उसे हरा नहीं पाई थी। जी हां, मैं भरतपुर रियासत के राजा मान सिंह की बात कर रहां हूं। स्वभाव से क्रोधी राजा मान सिंह ने सूबे के मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर को अपनी जोंगा जीप से टक्कर मार दी थी। इसके बाद क्या हुआ, इस तथ्य को जानने के लिए यह रोचक स्टोरी जरूर पढ़ें।

भरतपुर रियासत के राजा मान सिंह

भरतपुर रियासत के महाराजा कृष्‍णसिंह जी के तीसरे पुत्र राजा मानसिंह को मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए ब्रिटेन जाना पड़ा। ब्रिटेन से पढ़ाई करके वापस लौटेते ही अंग्रेजों ने राजा मान सिंह को ब्रिटिश सेना में सेकेन्ड लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त कर दिया।

राजा मा​न सिंह अपने रगों में दौड़ रहे राजपूताना खून के चलते कभी-कभी सेना का हुक्म मानने से भी इनकार कर देते थे। इतना ही नहीं, राजा मान सिंह अपनी जीप पर दो झण्डे लगाकर चलते थे, एक बार अंग्रेजों ने उन्हें ऐसा करने से रोका तो नौकरी छोड़कर भरतपुर आ गए।

5 दिसंबर 1921 को जन्में राजा मानसिंह का विवाह साल 1945 में कोल्हापुर राज्य के कांगल नरेश की बेटी राजकुमारी अजय कौर से हुआ। राजा मानसिंह और राजकुमारी अजय कौर से तीन बेटियां हुईं। राजा मान सिंह की एक चर्चित पुत्री का नाम कृष्णेंद्र दीपा कौर है, जो राजस्थान की पूर्व कैबिनेट मंत्री भी रह चुकी हैं। 

इंजीनियर अंग्रेजी सेना में सेकेंन्ड लेफ्टिनेंट रह चुके राजा मान सिंह ने साल 1952 में राजनीति में कदम रखा और डीग विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। फिर क्या था, राजा मानसिंह साल 1952 से 1984 तक सात बार निर्दलीय विधायक चुने गए। डीग विधानसभा क्षेत्र में राजा मानसिंह की लोकप्रियता इतनी थी कि 1977 के चुनाव में जेपी लहर और 1984 में इंदिरा लहर भी उन्हें हरा नहीं पाई थी।

राजा मानसिंह के खिलाफ कांग्रेस ने खड़ा किया उम्मीदवार

मीडिया सूत्रों के मुताबिक, सात बार के निर्दलीय विधायक राजा मान सिंह राजस्थान के मुख्यमंत्री शिवचारण माथुर की नजरों में खटकने लगे थे। साल 1985 के चुनाव में शिवचारण माथुर ने राजा मानसिंह के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में सेवानिवृत्त आईएएस बृजेन्द्र सिंह को चुनाव मैदान में उतार दिया।

इतना ही नहीं, तत्कालीन मुख्यमंत्री माथुर स्वयं राजा मानसिंह के खिलाफ चुनाव प्रचार करने लिए डीग विधानसभा क्षेत्र में जा पहुंचे। इस दौरान कांग्रेस नेताओं ने राजा मानसिंह के झण्डे को न केवल नुकसान पहुंचाया बल्कि पोस्टर भी फाड़ने शुरू कर दिए थे। यहां तक कि चुनाव प्रचार के समय डीग में कांग्रेस समर्थकों ने लक्खा तोप के पास अपना झंडा लहरा दिया।

राजा ने सीएम के हेलीकॉप्टर को कई बार मारी टक्कर

इस कार्रवाई से नाराज राजा मानसिंह ने यह ठान लिया कि अब वह कांग्रेस की सभा नहीं होने देंगे लिहाजा उन्होंने न केवल कांग्रेस के मंच को तोड़ दिया बल्कि मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर को अपनी जोंगा जीप से कई बार टक्कर मारी। आरोप यह था कि राजा मान सिंह ने अपनी जीप से टक्कर मारकर सीएम के हेलीकॉप्टर को क्ष​तिग्रस्त कर दिया। यह घटना 20 फरवरी 1985 की है, हालात को बिगड़ते देख मुख्यमंत्री शिवचारण माथुर को सड़क के रास्ते जयपुर जाना पड़ा।

राजा मान सिंह का एनकाउंटर

राजा मान सिंह के परिजनों का कहना है कि इस घटना के ठीक एक दिन बाद यानि 21 फरवरी 1985 को वह आत्मसमर्पण करने के लिए डीग थाने जा रहे थे, तभी अनाज मंडी के पास डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी के नेतृत्व में 11 पुलिसकर्मियों ने गोलाबारी जिसमें राजा मानसिंह सहित उनके दो साथियों के मौत की सूचना मिली।

एनकाउंटर के दौरान राजा मानसिंह के दामाद कुंवर विजय सिंह भी साथ में थे, लेकिन संयोगवश वह बच गए। कुवंर विजय सिंह कहते हैं कि जीप में सवार हम सभी निहत्थे थे, राजा मान सिंह की हत्या पूर्व नियोजित थी। पुलिस एनकाउंटर में राजा मान सिंह की हत्या से पूरा राजस्थान धधक उठा। भरतपुर में तकरीबन सप्ताहभर कर्फ़्यू रहा, जिले की सीमा को सील कर दिया गया था। आखिरकार तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के निर्देश पर सूबे के मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर ने 22 फरवरी 1985 की अर्द्धरात्रि को इस्तीफा दे दिया।

राजा मान सिंह को मिला इंसाफ

सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश में मथुरा की अदालत ने 20 जुलाई 2020 को राजा मानसिंह के एनकाउंटर में शामिल 11 पुलिसकर्मियों को दोषी करार करते हुए आजीवन कारावास तथा 12-12 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। 35 साल तक चले मुकदमे के दौरान 1700 से अधिक सुनवाई हुई तथा 26 जज बदले।

इसके बाद 27वें जज ने अपना निर्णय सुनाया। इस फैसले के ​बाद राजा मान सिंह की पुत्री व राजस्थान की पूर्व कैबिनेट मंत्री कृष्णेंद्र दीपा कौर ने अदालत द्वारा दोषियों को सजा सुनाए जाने पर बयान दिया था कि, “35 साल बाद ही सही, न्याय तो मिला।

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