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Kiran Devi picture in Bikaner Museum tarnishes the character of Meena Bazar and Akbar

मीना बाजार और अकबर के चरित्र को कलंकित करती बीकानेर संग्रहालय में लगी यह तस्वीर

दोस्तों, आपको जानकारी के लिए बता दें कि मुगल बादशाह अकबर ने आगरा किले में मीना बाजार का निर्माण करवाया था। यह मीना बाजार सेना के अधिकार क्षेत्र में हुआ करता था और यह बात जानकर आप हैरान रह जाएंगे कि मीना बाजार में केवल शाही परिवार की महिलाओं, राजपूत रानियों, मनसबदारों अथवा मुगल घरानों की कुछ खूबसूरत महिलाओं को ही दुकान लगाने की अनुमति थी। मीना बाजार में बहुत कीमती वस्तुओं की खरीद-फरोख्त होती थी और इससे जो भी आय प्राप्त होती थी, उसे गरीबों में बांटा जाता था।

परन्तु कुछ लोग मीना बाजार के बारे में यह भी कहते हैं कि यह मुगल बादशाहों की अय्याशी का अड्डा था। मीना बाजार में केवल मुगल बादशाह, शहजादों अथवा कुछ खास लोगों को ही आने की इजाजत थी,  इस बाजार में कोई अन्य मर्द प्रवेश नहीं कर सकता था। कहा जाता है कि मीना बाजार में दुकान लगाने वाली राजघरानों की खूबसूरत महिलाओं को मुगल बादशाह की कामवासना का शिकार बनना पड़ता था। इसी तथ्य से जुड़ी एक तस्वीर बीकानेर के जूनागढ़ फोर्ट में लगी है, जो प्रत्यक्षरूप से मुगल बादशाह अकबर के चरित्र हनन से जुड़ी है। इस स्टोरी में आज हम बीकानेर म्यूजियम में लगी उस तस्वीर से जुड़ी घटना का वर्णन करेंगे जो मीना बाजार के नाकारात्मक पक्ष को जाहिर करती है।

मीना बाजार का मुगल इतिहास

मुगल बादशाह अकबर ने ​अपने पिता हुमायूं की तर्ज पर ही आगरा के किले में नौरोज के पर्व पर मीना बाजार लगवाने की शुरूआत की। आगरा किले के परिसर में तकरीबन पांच से आठ दिनों के लिए मीना बाजार लगता था। मीना बाजार की सबसे बड़ी शर्त यह थी कि मुगल सेना के अधिकारक्षेत्र वाले इस बाजार में केवल शाही परिवार की महिलाएं अर्थात् मनसबदारों की पत्नियां अथवा राजपूत रानियां ही दुकान लगाती थीं। इसके लिए मुगल बादशाह की तरफ से आदेश जारी किया जाता था। मीना बाजार में दुकानदारी के वक्त बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित था। मीना बाजार में केवल बादशाह, शहजादों अथवा मुगल राजघराने के कुछ चुनिन्दा लोगों को ही जाने की अनुमति थी। 

मीना बाजार में दुकान लगाने वाली राजपरिवार की महिलाएं अपने सामानों की बिक्री काफी ऊंचे दामों पर करती थीं जिसे मुगल राजपरिवार के लोग बड़ी कीमत लगाकर खरीदा करते थे। मीना बाजार से मिलने वाले धन को गरीबों में दान कर दिया जाता था। जहांगीर और शाहजहां के समय भी मीना बाजार में दुकान लगाने वाली खूबसूरत महिलाओं का जमावड़ा लगा रहता था। मीना बाजार में मुगल हरम की खूबसूरत बेगमों से लेकर कनीजें तक दुकान सजाकर बैठती थीं। बतौर उदाहरण- मिर्जा गियासबेग की खूबसूरत बेटी मेहरुन्निसा को जहांगीर ने पहली बार मीना बाजार में ही देखा था। मेहरून्निसा को देखते ही जहांगीर उसकी खूबसूरती पर फिदा हो गया था। बाद में उसने मेह​रून्निसा से विवाह कर लिया और नूरजहां की उपाधि दी। इस​के अतिरिक्त शाहजहां और मुमताज की पहली मुलाकात भी मीना बाजार में ही हुई थी।

आगरा किले में अकबर ने बनवाया था मीना बाजार

आगरा के किले में बना मीना बाजार मुगल सेना के अधिकार क्षेत्र में था, जो दिल्ली गेट से मोती मस्जिद की तरफ जाने वाले रास्ते पर बनवाया गया था। मीना बाजार के दोनों तरफ कोठरियां बनी हुई थीं। मीना बाजार में केवल राजपरिवार की सुन्दर महिलाओं को ही दुकान लगाने की इजाजत थी। सच्चाई यह है कि मीना बाजार में केवल एक मर्द को ही प्रवेश करने की अनुमति थी, वह भी सिर्फ मुगल बादशाह। मीना बाजार के सामने बने संगमरमर के सिंहासन पर बैठकर मुगल बादशाह अपनी नजरें सभी के चेहरे की तरफ घुमाता रहता था और अचानक वह खास अन्दाज में ताली बजाता था। बादशाह के ताली बजाते ही कनीज उनके पास जाती थी और बादशाह उसके कान में कुछ कहता था और उसे रेशमी रुमाल थमा देता था। बादशाह जिसकी तरफ इशारा करता था वह खूबसूरत महिला उसके सामने आकर खड़ी हो जाती थी। उस दौरान हर महिला उस हुस्न की परी को देखने के लिए बेचैन रहती थी। मीना बाजार खत्म हो जाने के बाद बादशाह उस विजेता महिला को अपने साथ राजमहल में ले जाता था।    

तो क्या मुगल अय्याशी का अड्डा था मीना बाजार?

मुगल बादशाह अकबर का यह आदेश था कि प्रत्येक मनसबदार अपनी खूबसूरत पत्नियों को मीना बाजार में दुकान लगाने के लिए भेजें। मीना बाजार के प्रवेश द्वार पर दुकान लगाने वाली महिलाओं के नाम व वंश आदि दर्ज होते थे। अकबर की कनीजें मीना बाजार में घूमती रहती थीं। कभी-कभी अकबर भी स्त्री वेश में मीना बाजार में घूमता था। जो भी महिला अकबर की नजरों में चढ़ जाती थी, उसे कनीजें अकबर के महल तक पहुंचाने का काम करती थीं। हांलाकि इतिहास की किसी भी प्रमाणिक किताब में इस तरह का कोई साक्ष्य नहीं मिलता है। लेकिन बीकानेर स्थित जूनागढ़ दुर्ग के संग्रहालय में लगी एक तस्वीर एक अलग ही किस्सा बयां करती है। मीना बाजार के नाकारात्मक पक्ष को दर्शाने वाली यह तस्वीर सोशल मीडिया पर भी वायरल हो चुकी है।

बीकानेर संग्रहालय में लगी किरण देवी और अकबर की तस्वीर

राजस्थान के बीकानेर स्थित जूनागढ़ दुर्ग का निर्माण महाराजा राय सिंह ने करवाया था। 37 बुर्जों वाले इस दुर्ग के चारों तरफ खाईं बनी हुई है। इसी दुर्ग में एक संग्रहालय बना हुआ है जिसमें बीकानेर राजपरिवार से जुड़ी सभी वस्तुएं संजोकर रखी हुई हैं जैसे- शाही वस्त्र, हथियार, स्वर्ण जड़ित सिंहासन, पेंन्टिग आदि। इसी संग्रहालय में बीकानेर राजपरिवार के पृथ्वी सिंह की पत्नी किरण देवी के द्वारा अकबर के सीने पर कटार से प्रतिघात करते हुए चित्र लगा है, जिसके नीचे कुछ इस प्रकार लिखा है

किरण सिंहणी सी चढी उर पर खींच कटार। भीख मांगता प्राण की अकबर हाथ पसार।।

उन दिनों मीना बाजार के प्रवेश द्वार पर दुकान लगाने वाली खूबसूरत महिलाओं के नाम तथा वंश आदि का विवरण दर्ज किया जाता था। यह घटना उन दिनों की है जब बीकानेर के राव कल्याणमल की पत्नी मीना बाजार में दुकान लगाती थी, किन्तु कल्याणमल के राजपरिवार की सुन्दर और जवान महिलाएं अभी मीना बाजार में कभी नहीं आई थीं। वैसे भी  बीकानेर नरेश राव कल्याणमल ने अपनी बेटी की शादी अकबर से की ​थी। ऐसे में अकबर ने राव कल्याणमल को संदेश भेजा कि आपके परिवार की महिलाएं मीना बाजार में अभी तक एक बार भी खरीदी के लिए नहीं आई हैं, यह ठीक नहीं है। ऐसे में विवश होकर कल्याणमल ने अपने बड़े बेटे राय सिंह की पत्नी के साथ दो दासियों को मीना बाजार में भेजा। परन्तु राय सिंह की पत्नी मीना बाजार की अय्याशियों से अवगत थीं। ऐसे में वह रोने लगी तभी रायसिंह के छोटे भाई पृथ्वी​सिंह की पत्नी किरण देवी एक तीखी कटारी अपने जूड़े में खोसते हुए बाहर आई और बोली- भाभी सा, आप अकेले नहीं मरेंगी, यह सिसोदिया की बेटी भी आपका साथ देगी। जानकारी के लिए बता दें कि पृथ्वीसिंह की पत्नी किरण देवी महाराणा प्रताप के छोटे भाई शक्ति सिंह की पुत्री थी।

अकबर ने जैसे ही मीना बाजार में राव कल्याणमल की दोनों बहुओं का नाम पढ़ा, खुशी से उछल पड़ा। उसने देखा कि जिस सिसोदिया वंश ने उसके सामने कभी सिर नहीं झुकाया, उसी सिसोदिया की बेटी मीना बाजार में आ चुकी है। किरण देवी के रूप-सौन्दर्य पर मोहित होकर अकबर ने एक दासी से सूचना भिजवाई कि बीकानेर वाली बेगम साहिबा अपनी भाभियों को याद कर रही हैं।

किरण कुंवर ने अपनी जेठानी की तरफ देखते हुए कहा, भाभी सा! आप यहीं रूके मैं जाती हूं। कोई भी मेरे जीवित शरीर को नहीं पा सकेगा। मीना बाजार से आगे बढ़कर किरण देवी जैसे ही महल की तरफ बढ़ीं, पूरा क्षेत्र सुनसान था। शराब के नशे में धुत मुगल बादशाह अकबर अचानक किरण देवी के सामने आकर खड़ा हो गया। किरण देवी के सामने अब दो ही विकल्प थे, या तो वह खुद ही अपनी जान दे दें अन्यथा अकबर के आगे आत्मसमर्पण कर दें। लेकिन किरण देवी ने क्षणमात्र में अपना निर्णय बदलते हुए भूखी शेरनी की तरह नशे में धूत अकबर पर टूट पड़ी और उसे जमीन पर पटक दिया। जैसे ही अकबर जमीन पर गिरा किरण देवी ने बड़ी फूर्ति से अपने जूड़े से कटार निकाल ली और कटार चलाने के लिए अपना हाथ उपर उठाया। इतने में ही अकबर ने कहा- देवी! मुझे माफ कर दो, ऐसा पापकर्म अब मैं कभी नहीं करूंगा। बावजूद इसके किरण देवी ने सोचा यदि मैं अकबर पर कटार चला देती हूं तो जेल में बंद मेरा पति मारा जाएगा। किरण देवी ने अकबर के गले पर कटार रखकर कहा- मैं तुम्हें माफ करती हूं लेकिन कुरान की कसम खाओ कि आज के बाद मीना बाजार में किसी भी महिला के साथ ऐसी हरकत नहीं की जाएगी। कर्नल जेम्स टॉड ने तो लिखा है कि फिर उसके बाद मीना बाजार लगना बंद हो गया। हांलाकि इस घटना का उल्लेख इतिहास के किसी भी प्रमाणिक पुस्तक में नहीं मिलता है।

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