भोजन इतिहास

Just 300 years ago India was unaware of papaya Fruit

महज 300 साल पहले पपीते से अनजान था भारत, कैसे इतना पॉपुलर हुआ यह फल?

दोस्तों, हिन्दुस्तान के प्रत्येक गांव-शहर की फल एवं सब्जी की दुकानों पर पपीता जरूर दिख जाएगा। अपच और कब्ज के मरीज तो इसे ढूंढ़-ढूंढ़ कर खाते हैं, दरअसल यह फल पाचन तंत्र के लिए रामबाण है। परन्तु क्या यह बात आप जानते हैं कि महज 300 साल पहले भारत के लोग पपीते से परिचित नहीं थे।

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर में इस बेहद गुणकारी फल की उ​त्पत्ति कहां हुई,  साथ ही इतने कम समय में पपीता हमारे देश में इतना ज्यादा पॉपुलर कैसे हो गया? इन सब रोचक प्रश्नों की जानकारी के लिए भोजन इतिहास से जुड़ी यह स्टोरी जरूर पढ़ें।

300 साल पहले पपीते से परिचित नहीं था भारत

यदि हम भारत के प्राचीन धर्मग्रन्थों तथा आयुर्वेदिक ग्रन्थों की बात करें तो इनमें कहीं भी पपीते की जानकारी नहीं मिलती है। यहां तक कि प्राचीन साहित्यिक ग्रन्थों में भी पपीते का कहीं भी उल्लेख नहीं मिलता है।

यदि हम मध्यकालीन ऐतिहासिक ग्रन्थों की बात करें तो मुगल बादशाह बाबर अपनी ऐतिहासिक कृति तुजुक--बाबरी यानि बाबरनामा में हिन्दुस्तान के विभिन्न फलों का जिक्र करता है, जैसे- आम, केला, इमली, महुआ, खिरनी, जामुन, कटहल, बेर, आमला, चिरौंजी आदि परन्तु उसने पपीते का नाम तक नहीं लिया है। स्पष्ट है 13वीं सदी तक पपीते का भारत में नामोनिशां नहीं तक नहीं था, दरअसल पपीता 16वीं सदी में ​हिन्दुस्तान आया था।

पुर्तगालियों के जरिए भारत पहुंचा पपीता

पपीते का मूल जन्म स्थान मध्य अमेरिका और मैक्सिको है। इन देशों में पपीता कब पैदा हुआ, इसकी सटीक जानकारी नहीं मिलती है। इतना अवश्य है कि 14वी-15वीं शताब्दी तक यह फल पूरे मध्य और दक्षिण अमेरिका में फैल चुका था और यहां के निवासी पपीते को ज्यादातर नाश्ते के रूप में खाते थे।

बेहद गुणकारी फल पपीते का उपयोग शर्बत, ज्यूस, सलाद और कन्फेक्शनरी आदि में भी किया जाता है। मध्य अमेरिका की कुछ संस्कृतियों में पपीते को प्रजनन शक्ति का प्रतीक माना जाता था। वहां ऐसी मान्यता थी कि पपीते का सेवन करने से संतान प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है। अमेरिका की खोज करने वाले क्रिस्टोफर कोलम्बस ने भी अपने यात्रा वृत्तांत में पपीते को 'देवदूतों का फल कहा है।

लोकप्रिय फल एवं औषधीय गुणों से युक्त पपीता 1550 ई.तक स्पेन निवासियों के द्वारा मनीला गैलियन ले जाया जाता रहा, स्पेनियों के जहाज प्रशान्त महासागर से होते फिलीपींस तक जाते थे। इस प्रकार 16वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में पपीते ने फिलीपींस से मलेशिया के रास्ते पुर्तगालियों के द्वारा भारत में एन्ट्री मारी।

भारत में इतना कैसे पॉपुलर हुआ पपीता

आज से ठीक 300 साल पहले पपीते से अनभिज्ञ था हमारा देश भारत परन्तु अब यह पपीते का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है। विश्व का तकरीबन 35 फीसदी पपीते का उत्पादन भारत में ही होता है। दरअसल भारत के बहुतेरे राज्य जैसे-गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, असम, तमिलनाडु और केरल आदि की मिट्टी पपीते के लिए अनुकूल है।

पपीता एक ऐसा पौधा है, जिसमें लकड़ी का तना भी नहीं होता है। पपीता के पौधे बड़ी सुगमता से उगाए जा सकते हैं और थोड़े से क्षेत्रफल में ज्यादा पौधे लगाए जाते हैं। दोमट मिट्टी में पपीता बहुत ज्यादा फलता-फूलता है। सबसे बड़ी बात कि पौधा लगाने के सालभर के अन्दर ही यह पर्याप्त फल भी देने लगता है। यही वजह है कि उच्च पोषण और औषधीय मूल्यों से युक्त पपीता देखते ही पूरे हिन्दुस्तान में बेहद लोकप्रिय हो गया।

पाचन तंत्र के लिए रामबाण है पपीता

आचार्य बालकृष्ण के मुताबिक, औषधीय गुणों से युक्त पपीते में विटामिन , फोलेट, मिनरल, मैग्नीशियम, कॉपर, पैंटोथेनिक एसिड (विटामिन बी5) और फाइबर आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यही वजह है कि यह फल कई सारे रोगों के लिए बेहद फायेदमंद साबित होता है। पके हुए पपीते में पित्त और वात को कम करने, सूजन के दर्द में राहत तथा रक्त को भी शुद्ध करने की क्षमता है।

पाचन तंत्र तथा पेट की बीमारियों के लिए पपीता नामक फल किसी रामबाण से कम नहीं है। पपीते के सेवन से कब्ज से छुटकारा मिलता है तथा बवासीर की समस्या में भी यह फल बेहद गुणकारी है। पपीते के सेवन से भोजन भी बेहद आसानी से पच जाता है। यहां तक कि पपीते का रस पेट के कीड़ों को जड़ से समाप्त कर देता है। पपीते का ​सेवन आंत की गम्भीर बीमारियों से भी बचाता है। यहां तक कि यह लीवर को भी स्वस्थ्य रखता है।

अन्य रोगों में भी लाभकारी है पपीता

विटामिन ए, बी, डी तथा आयरन से भरपूर पपीते के सेवन से मूत्राशय की बीमारी दूर होती है। यहां तक कि पपीते का सेवन मोटापा दूर करने में भी मददगार साबित होता है। पपीते के सेवन से खट्टी डकार आदि की समस्या बन्द हो जाती है। कच्चे पपीते का रस चेहरे पर लगाने से झाईयां आदि नहीं होती है। हांलाकि ज्यादा पपीता खाने से बचना चाहिए क्योंकि इससे एलर्जी की समस्या हो सकती है। यदि आप शुगर के मरीज हैं तो शुगर लेवल बढ़ सकता है।

चूंकि पपीते की तासीर गरम होती है, ऐसे में गर्भवती महिलाओं को पपीता नहीं खाना चाहिए। यह रिपोर्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, उपरोक्त रोगों के लिए पपीता कितना गुणकारी है, इस बात का दावा लेखक नहीं करता है। ऐसे में पपीते का सेवन कब और कितनी मात्रा में करनी है, इसके लिए चिकित्सा विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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