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History about Chandragupta Maurya's Greek wife Helena

चन्द्रगुप्त मौर्य की यूनानी पत्नी हेलेना के बारे में क्या कहता है इतिहास?

आचार्य चाणक्य की मदद से चन्द्रगुप्त मौर्य ने अंतिम नन्द शासक धननन्द को पराजित कर मौर्य वंश की स्थापना की। ग्रीक साहित्य में चन्द्रगुप्त मौर्य को सेन्ड्रोकोटस अथवा एन्ड्रोकोटस कहा गया है। यूनानी लेखक प्लूटार्क लिखता है कि चन्द्रगुप्त मौर्य ने छह लाख की सेना लेकर सम्पूर्ण भारत को रौंद डाला।

चन्द्रगुप्त मौर्य जब साम्राज्य निर्माण में व्यस्त था तभी सिकन्दर के सेनापति सेल्यूकस निकेटर ने 305 ईसा पूर्व में भारत पर आक्रमण कर दिया। जाहिर सी बात है, सेल्यूकस निकेटर का सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ युद्ध होना तय था। आश्चर्य की बात है कि कोई भी यूनानी तथा रोमन लेखक सेल्यूकस और चन्द्रगुप्त मौर्य के बीच युद्ध का कोई विस्तृत व्यौरा नहीं देते हैं परन्तु एप्पियानस एकमात्र लेखक है जो सेल्यूकस तथा चन्द्रगुप्त मौर्य के बीच युद्ध तथा सन्धि का वर्णन करता है।

युद्ध और सन्धि के फलस्वरूप यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर ने अपनी पुत्री हेलेना ​का विवाह चन्द्रगुप्त मौर्य से कर दिया। हैरानी की बात है कि भारतीय इतिहासकारों ने चन्द्रगुप्त मौर्य की यूनानी पत्नी हेलेना का कहीं भी विस्तार से वर्णन नहीं किया है।

ऐसे में आपका यह सोचना लाजिमी है कि आखिर में चन्द्रगुप्त मौर्य की यूनानी पत्नी हेलेना भारत में कितने दिनों तक रही? राजमाता हेलेना का कोई पुत्र था अथवा नहीं। यदि हेलेना का पुत्र था तो मौर्य इतिहास में उसका वर्णन क्यों नहीं मिलता है?  सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपनी दूसरी पत्नी दुर्धरा के पुत्र बिन्दुसार को ही अपना उत्तराधिकारी क्यों बनाया? इन सभी प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए यह रोचक स्टोरी अवश्य पढ़ें।

सेल्यूकस निकेटर की पुत्री थी हेलेना

यूनानी आक्रमणकारी सिकन्दर की मृत्यु के पश्चात पूर्वी प्रदेशों का उत्तराधिकारी उसका सेनापति सेल्यूकस निकेटर हुआ। सेल्यूकस निकेटर ने बेबीलोन तथा बैक्ट्रिया को जीतकर पर्याप्त शक्ति अर्जित कर ली। तत्पश्चात वह सिकन्दर द्वारा जीते गए भारत के प्रदेशों को पुन: अपने अधिकार में लेने को उत्सुक था।

इसी उद्देश्य से सेल्यूकस निकेटर 305 ईसा पूर्व के लगभग काबुल होते हुए सिन्ध तक आ पहुंचा। सेल्यूकस ने जैसे ही सिन्ध नदी पार की उसका सामना चन्द्रगुप्त मौर्य से हुआ। यूनानी इतिहासकार एप्पियानस द्वारा लिखे विवरणों से ऐसा संकेत मिलता है कि इस युद्ध में चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस निकेटर को करारी शिकस्त दी, तत्पश्चात उसने चन्द्रगुप्त मौर्य से सन्धि कर ली। सन्धि के फलस्वरूप सेल्यूकस ने अपनी पुत्री हेलेना का विवाह सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य से कर दिया और दहेज के रूप में अरोकोसिया (कान्धार), पेरीपेमिसदाई (काबुल), एरिया (हेरात) तथा जेड्रोसिया (बलूचिस्तान) के प्रान्त उसने चन्द्रगुप्त मौर्य को सौंप दिए। प्लूटार्क लिखता है कि चन्द्रगुप्त मौर्य ने भी सेल्यूकस को 500 युद्धक हाथी उपहार में दिए थे।

जाहिर सी बात है, यूनानी राजकुमारी हेलेना से विवाह के पश्चात चन्द्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य तकरीबन 2000 से अधिक साल पहले उस प्राकृतिक सीमा तक पहुंच गया जिसके लिए अंग्रेज तरसते रहे और मुगल बादशाह भी उसे पूरी तरह प्राप्त करने में असमर्थ रहे।

चन्द्रगुप्त मौर्य और हेलेना की वैवाहिक स्थिति

यूनानी राजकुमारी हेलेना का विवरण भारतीय इतिहास में बेहद सीमित है, इसलिए हेलेना से जुड़े कुछ तथ्यों को लेकर विद्वानों में मतभेद है। यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर ने जब अपनी पुत्री हेलेना का विवाह किया तब वह किशोरावस्था में थी जबकि चन्द्रगुप्त मौर्य की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी।

यूनानी इतिहासकार जस्टिन लिखता है कि सिकन्दर की मृत्यु के पश्चात भारत से उसके क्षत्रपों के निष्कासन अथवा विनाश के पीछे चन्द्रगुप्त का ही मुख्य हाथ था। ऐसा कहा जाता है कि आचार्य चाणक्य ने सेल्यूकस की पुत्री हेलेना को सर्वप्रथम खैबर पख्तूनवा में देखा था। उन दिनों उस पूरे क्षेत्र पर सिकन्दर के क्षत्रपों का शासन था। ऐसे में महान राजनीतिज्ञ चाणक्य ने इस विवाह के जरिए यूनानी आक्रमणकारियों को सम्पूर्ण भारतीय क्षेत्र से अलग कर दिया। 

वहीं कुछ अन्य विद्वान यह कहते हैं कि अपने जीवन के आरम्भिक दिनों में चन्द्रगुप्त ने वाहीक प्रदेश  (वर्तमान अफगानिस्तान)  में सिकंदर से मुलाकात की थी, इस दौरान सेनापति सेल्यूकस निकेटर की बेटी हेलेना ने युवा चन्द्रगुप्त को युद्धाभ्यास के दौरान सात- सात सैनिकों के साथ तलवारबाजी करते देखा था। चन्द्रगुप्त के शौर्य को देखकर हेलेना पहली बार में ही अपना दिल दे बैठी थी।

खैर जो भी हो, भारतीय सभ्यता और संस्कृति में गहरी रुचि रखने वाली चन्द्रगुप्त की पत्नी हेलेना संस्कृत भाषा की जानकार थी।  हेलेना के साथ ही सेल्यूकस ने मेगस्थनीज को भी अपने राजदूत के रूप में चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा। मेगस्थनीज 304-305 ईसा पूर्व से 299 ईसा पूर्व के बीच पाटलिपुत्र के दरबार में उपस्थित हुआ। मेगस्थनीज ने तकरीबन चार साल तक यूनानी राजदूत के रूप में अपनी सेवाएं दी। मेगस्थनीज ने भारत में रहकर जो कुछ भी देखा-सुना उसे इंडिका नामक चर्चित कृति के रूप लिपिबद्ध किया।

मेगस्थनीज लिखता है कि गंगा तथा सोन नदियों के संगम पर स्थित पाटलिपुत्र नगर पूर्वी भारत का सबसे बड़ा नगर था। मेगस्थनीज के मुताबिक, “पाटलिपुत्र नगर के मध्य चन्द्रगुप्त मौर्य का विशाल राजप्रासाद था, जिसकी भव्यता और शौन-शौकत में सूसा व एकबतना के राजमहल भी उसकी तुलना नहीं कर सकते थे।

चन्द्रगुप्त मौर्य की प्रिय पत्नी थी हेलेना

चन्द्रगुप्त मौर्य की प्रिय पत्नी थी हेलेना किन्तु वह महारानी का पद नहीं प्राप्त कर सकी। चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रति वफादार हेलेना के सम्बन्ध में ऐसा कोई दृष्टान्त नहीं मिलता है, जो मौर्यवंश के विरोध में नजर आता हो। मेगस्थनीज के अनुसार, रानी हेलेना के पुत्र का नाम ​जस्टिन था, किन्तु उससे जुड़ी परिस्थितियों का कोई उल्लेख नहीं मिलता है।

वहीं कुछ स्थानीय विद्वानों के अनुसार, हेलेना के पुत्र जस्टिन मौर्य की संतानें हल्दी की तरह गोरी थीं, ऐसे में इनके वंशज हल्दिया मौर्य कहलाए। हांलाकि सभी मौर्य जाति तथा उपजातियों में अंतर्विवाह के कारण आपस में घुलमिल गए। जबकि भारतीय अभिलेखों के अनुसार, हेलेना की कोई संतान नहीं थी।

उपरोक्त तथ्यों से परे इतिहासकार के.सी. श्रीवास्तव लिखते हैं किचन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा विदेशी कन्या हेलेना से विवाह करना भारत के तत्कालीन सामाजिक जीवन में एक क्रांतिकारी परिवर्तन था। इससे चन्द्रगुप्त के मस्तिष्क की उदारता सूचित होती है।

चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु के पश्चात हेलेना का जीवन

जैन अनुयायियों के अनुसार, अपने जीवन के अंतिम दिनों में चन्द्रगुप्त ने जैन धर्म स्वीकार कर लिया। कहते हैं, जब मगध में 12 वर्ष का दुर्भिक्ष (अकाल) पड़ा तो चन्द्रगुप्त राज्य त्यागकर जैन आचार्य भद्रबाहु के साथ श्रवणबेलगोला (मैसूर के निकट) चला गया और एक सच्चे जैन भिक्षु की भांति उपवास पद्धति (संल्लेखना) द्वारा प्राण त्याग दिया।

चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र बिन्दुसार मौर्य साम्राज्य की गद्दी पर बैठा। यूनानी लेखकों ने बिन्दुसार को अमित्रोकेडीज कहा है, जिसका अर्थ है- ‘शत्रुओं का नाश करने वाला। जैन परम्पराओं के अनुसार, चन्द्रगुप्त की दूसरी रानी दुर्धरा का पुत्र था बिन्दुसार। 

ऐसा कहते हैं, बिन्दुसार के मौर्य सम्राट बनते ही राजमाता हेलेना मैसेडोनिया लौट गईं, उन्होंने ऐसा क्यों किया? इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती है। हांलाकि ऐतिहासिक विवरणों में चंद्रगुप्त मौर्य की पत्नी हेलेना की मृत्यु के सम्बन्ध कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है।

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