
मुगल रसोई से जन्मे लजीज पकवानों की डिमांड आज पूरे देश में है। इसमें कोई दो राय नहीं कि बेहद मसालेदार मुगलई पकवानों की खुशबू भी शानदार होती है। कुछ ऐसे विशेष मुगल पकवान हैं जिनका हर कोई दीवाना है जैसे- मुगलई पराठा, मुर्ग मुसल्लम, बिरयानी, कबाब, मटन पसन्दा, रेजाला, पुलाव, नान और मलाई कोफ्ता आदि। इसके अतिरिक्त शीर कोरमा, शाही टुकड़ा, खीर, कुल्फी और फिरनी जैसे मीठे व्यंजनों की भी एक लम्बी सूची है।
पॉपुलर मुगल पकवान
भारतीय तथा फारसी पकवानों का सम्मिश्रण है मुगल व्यंजन। आपको यह बात जानकर हैरान होगी कि मुगलों के भारत में आने से पूर्व कुछ मुगल पकवान यहां पहले से ही प्रचलित थे, दरअसल दिल्ली सल्तनत के विभिन्न तुर्की सुल्तानों ने अपनी शाही रसोई में तंदूर, कबाब और नान बनवाना शुरू कर दिया था। हांलाकि मुगल पकवानों का प्रभाव भारत के विभिन्न हिस्सों जैसे- दिल्ली, उत्तर प्रदेश के अवध में तथा तेलंगाना के दक्षिण भारतीय शहर हैदराबाद की पाक कला शैली में स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है। मुगल पाक कला शैली के गहरे प्रभाव के चलते ही लखनऊ के अवधी व्यंजनों का विकास हुआ।
वैसे तो लोकप्रिय मुगल व्यंजनों में बिरियानी, मुगलई पराठा, मुर्ग कबाब मुगलई, हलीम, नरगिसी कोफ्ता, मुर्ग मोसल्लम, मलाई कोफ्ता, रेशमी कबाब, नवरतन कोरमा, शाही रोगन जोश, रेजाला, पसन्दा, शाही काजू आलू, बोटी कबाब, मुर्ग चाप, मुर्ग तंदूर, कचरी क़ीमा और मीट दरबारी शामिल हैं। परन्तु इस स्टोरी में हम आपको इनमें से 10 बेहद लजीज मुगल पकवानों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका हर कोई दीवाना है।
1- बिरयानी
भारत में सबसे ज्यादा पॉपुलर मुगल पकवान का नाम है बिरयानी। बिरयानी एक फारसी शब्द है जिसकी उत्पत्ति ‘बिरयन’ से हुई है। तुर्क तथा मुगल शासकों की राजकीय भाषा फारसी में बिरयन का अर्थ होता है- भूनना अथवा सेंकना।
बासमती चावल, मांस तथा सुगन्धित मसालों में जायफल, जावित्री, काली मिर्च, लौंग, दालचीनी बड़ी और छोटी इलायची, तेजपत्ता, धनिया के अतिरिक्त अदरक, लहसुन, प्याज के अतिरिक्त देशी घी से तैयार बिरयानी का स्वाद लाजवाब होता है। इस बेहद लजीज पकवान को यदि दही चट्नी अथवा रायता, कॉरमा, करी, उबले हुए अंडे और सलाद के साथ परोसा जाए तो खाने का मजा दोगुना हो जाता है।
भारत के अलग-अलग हिस्सों में बिरयानी तैयार करने का तरीका भी अलग है, जिससे इनकी अलग पहचान है जैसे- हैदराबादी बिरयानी, दिल्ली बिरयानी, कोलकाता बिरयानी, सिंधी बिरयानी और मालाबार बिरयानी। बिरयानी का शाकाहारी स्वरूप भी मौजूद है जिसे हम तहरी कहते हैं।
2- हलीम
तुर्की, ईरान, अजरबैजान और उत्तरी इराक का यह पॉपुलर व्यंजन भारत के तेलंगाना, औरंगाबाद और महाराष्ट्र के शहरों में भी बेहद लोकप्रिय बन चुका है। बता दें कि भारत तथा पाकिस्तान में हलीम को खिचड़ा भी कहा जाता है। गेहूं, जौ, दाल, विभिन्न मसालों तथा मांस के टुकड़ों (सामान्यता कीमा) से तैयार इस व्यंजन को बनाने में तकरीबन सात से आठ घंटे लगते हैं। मुसलमानों के पवित्र रमजान और मुहर्रम के महीनों में हलीम की डिमांड काफी बढ़ जाती है।
3-मुगलई पराठा
मुगलई पराठा एक स्वादिष्ट नरम तला हुआ पराठा है जो गेहूं के आटे में कीमा बनाया हुआ मांस, अंडे, कटा हुआ प्याज, हरी मिर्च और काली मिर्च सहित कई अन्य सामग्रियों को भरकर तैयार किया जाता है। आज की तारीख में मुगलई पराठा बंगाल का सबसे लोकप्रिय स्ट्रीट फूड बन चुका है। ऐसा माना जाता है कि मुगलई पराठे को सबसे पहले मुगल साम्राज्य के समय बंगाल सूबा में तुर्की गोजलेमे की नकल (पनीर, पालक और कीमा से तैयार फ्लैटब्रेड) कर तैयार किया गया था।
4-नवरतन कोरमा
नवरतन कोरमा एक ऐसा मुगल व्यंजन है जो शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही तरीके से तैयार किया जाता है। नवरतन से तात्पर्य है- नौ रत्न अर्थात यह पकवान नौ अलग-अलग सामग्रियों से बनाया जाता है। नवरतन एक बेहद स्वादिष्ट करी डिश है जिसमें ढेर सारे सूखे मेवे, मिश्रित सब्जियाँ, फल, क्रीम तथा सुगन्धित मसालें मिले होते हैं। नवरतन कोरमा को तंदूरी रोटी, नान, चपाती, पराठे या रुमाली रोटी के साथ परोसें। यह पकवान जीरा राइस या फिर बिरयानी चावल के साथ भी अत्यंत स्वादिष्ट लगता है।
5-मुर्ग मुसल्लम
मुर्ग मुसल्लम सबसे बेहतरीन मुगल पकवानों में से एक है। इब्नबतूता अपने ऐतिहासिक ग्रन्थ ‘रेहला’ में लिखता है कि मुर्ग मुसल्लम दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक का पसंदीदा व्यंजन था। इसके अतिरिक्त यह पकवान अवध के नवाबों के बीच भी काफी लोकप्रिय रहा। मुर्ग मुसल्लम का अर्थ होता है- पूरा मुर्गा। अत: इस व्यंजन को पूरे मुर्गे में उबले हुए अंडे के साथ टमाटर,अदरक,प्याज और केसर के साथ ही दालचीनी, लौंग, खसखस, इलायची और मिर्च जैसे मसालों को भरकर तैयार किया जाता है।
6- कबाब
भारत के मुगल बादशाह बाबर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-बाबरी’ में भेड़ के मांस से बने कबाब का उल्लेख किया है। यदि हम आज की बात करें तो कबाब स्नैक्स अथवा स्टार्टर के रूप में खाए जाने वाले सबसे पॉपुलर मुगल व्यंजनों में से एक है। कबाब से तात्पर्य है-मांस की तली हुई टिकिया। गिल्ड मांस से तैयार कबाब में मसालों का विशेष संयोजन होता है। इसीलिए बोटी कबाब, रेशमी कबाब, सिक कबाब, शम्मी कबाब, डोनर कबाब, टुंडे कबाब और टिक्का कबाब का आज हर कोई दीवाना है।
7- मटन पसंदा
मुगल रसोई से जन्मा मटन पसन्दा नामक पकवान उर्दू शब्द ‘पसन्दे’ से लिया गया है जिसका अर्थ होता है-पसन्दीदा। दही, क्रीम, टमाटर और विभिन्न मसालों से बनी इस मसालेदार करी को तैयार करने में घंटों लगते हैं। इसके बाद मैरीनेट किए गए चपटे मांस को प्याज, धनिया और मिर्च जैसी अन्य सामग्री के साथ तला जाता है। उपरोक्त सामग्रियों को मिक्स कर अंत में बादाम डालें तथा इसे कुछ मिनट तक पकाएं फिर धनिया पत्ती से सजाकर सर्व करें।
8- रोगन जोश
मुगल रसोई से निकला बेहद लजीज पकवान रोगन जोश वर्तमान में कश्मीर का सबसे पॉपुलर व्यंजन है। मुगल बादशाहों के कश्मीर यात्रा के दौरान शाही खानसामों के द्वारा तैयार किया गया रोगन जोश कालान्तर में इस राज्य का पारम्परिक पकवान बन गया। भेड़ के मांस, प्याज, अदरक, लहसुन और दही के साथ तैयार किए जाने वाले इस पकवान में लौंग, दालचीनी, इलायची और तेजपत्ता जैसे गरम मसाले भी डाले जाते हैं। गाढ़ी ग्रेवी वाले इस लजीज व्यंजन को तंदूरी रोटी, चपाती तथा बासमती चावल के साथ सर्व करें। सच में खाते ही मजा आ जाएगा।
9- शीर खुरमा/खुरमा
शीर खुरमा एक फारसी शब्द है। जिसमें शीर का मतलब होता है दूध और खुरमा से तात्पर्य है- खजूर। मुगल पकवान शीर खुरमा को अक्सर ईद उल-फितर और ईद अल-अज़हा जैसे त्यौहारों के दौरान ज्यादा तैयार किया जाता है। सेंवई के इस हलवे में दूध, खजूर और चीनी के साथ-साथ गुलाब जल, बादाम, किशमिश, पिस्ता, केसर, लौंग और इलायची भी डाला जाता है। शीर खुरमा नाम का यह लजीज व्यंजन भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान, बांगला देश तथा अफगानिस्तान में भी बेहद लोकप्रिय है।
10- शाही टुकड़ा
शाही टुकड़ा एक लाजवाब मुगल मिठाई है। कहा जाता है कि मुगल बादशाह रमजान के महीने में इफ्तार के दौरान इस स्वादिष्ट मिठाई का आनन्द लेते थे। शाही एक फारसी शब्द है जबकि टुकड़ा हिन्दी और उर्दू दोनों। ऐसे में शाही टुकड़ा का मलतब है- मिठाई का एक टुकड़ा। शाही टुकड़ा को देशी घी लगी रोटी, गाढ़ा मीठा दूध, केसर, मेवा से तैयार किया जाता है।
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