
भारत में मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर का पूरा नाम था ‘ज़हीरुद्दीन मोहम्मद बाबर पादशाह ग़ाज़ी’। ज़हीरुद्दीन मोहम्मद बाबर की आत्मकथा 'तुज़्क-ए-बाबरी' से पता चलता है कि वह शराब और माजून (यूनानी मिश्रण) का नशा करता था। बाबर जब शराब का शौकीन था तब उसने एक शायरी लिखी जिसका अर्थ है "नवरोज है, नई बहार है, शराब है, सुंदर प्रेमी है। बाबर, सिर्फ ऐश और मस्ती में ही लगा रहा कि दुनिया दोबारा नहीं है।"
हांलाकि भारत आने के बाद मुगल बाबर ने शराब पीना छोड़ दिया किन्तु उसने माजून का नशा करना कभी नहीं छोड़ा। दरअसल मुगल बादशाह बाबर ने शराब भी मजबूरी में छोड़ी थी। अब आप सोच रहे होंगे कि शराब छोड़ने के पीछे बाबर की ऐसी क्या मजबूरी थी?
वहीं दूसरी तरफ आपका यह सोचना भी लाजिमी है कि माजून क्या होता है और फिर माजून का नशा क्यों करता था बाबर? इसके पीछे का काला सच जानने के लिए यह रोचक स्टोरी जरूर पढ़ें।
मुगल बाबर ने क्यों छोड़ी शराब?
ऐतिहासिक कृति 'तुज़्क-ए-बाबरी' (बाबरनामा) से इस बात की जानकारी मिलती है कि बाबर ने भारत आने के बाद शराब पीना छोड़ दिया, परन्तु इसके पीछे भी एक इतिहास छुपा है। साल 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को निर्णायक शिकस्त देने के पश्चात बाबर ने दिल्ली तथा आगरा पर कब्जा कर लिया, इस प्रकार उसने भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना की।
परन्तु बाबर इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उत्तरी भारत के सबसे शक्तिशाली शासक महाराणा सांगा को पराजित किए बिना उसका भारत में टिकना असम्भव है। मेवाड़ का शासक महाराणा सांगा एक ऐसा योद्धा था जिसने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को दो बार हराया था, वहीं गुजरात तथा मालवा की संयुक्त मुस्लिम सेनाओं को एक साथ करारी शिकस्त दी थी। ऐसे में बाबर तथा महाराणा सांगा के बीच युद्ध होना तय था।
सेनापति मेंहदी ख्वाजा की नेतृत्व वाली मुगल सेना तथा महाराणा सांगा के राजपूत योद्धाओं की पहली भिड़न्त साल 1527 में बयाना में हुई। इस भयंकर युद्ध में महाराणा सांगा के सैनिकों ने बयाना के दुर्ग पर कब्जा कर लिया, परन्तु सबसे बड़ी बात की महाराणा सांगा के राजपूत योद्धाओं के शौर्य से मुगल सैनिक डरकर भाग खड़े हुए।
बयाना के युद्ध से डरकर भागे हुए मुगल सैनिक जब बाबर के पास पहुंचे तब उसने महाराणा सांगा को सजा देने के उद्देश्य से अपने सैनिकों को एकत्र किया। किन्तु भयभीत मुगल सैनिकों ने महाराणा सांगा की सेना के साथ युद्ध करने से मना कर दिया। बयाना के युद्ध से डरे हुए मुगल सैनिकों ने बाबर से कहा कि “राजपूत युद्ध जीतने के लिए नहीं बल्कि सिर्फ मरने-मारने के लिए लड़ते हैं। ऐसे में हमलोग तुम्हारे साथ युद्ध करने नहीं जाएंगे क्योंकि अभी हमे जीना है।”
संयोगवश उसी समय काबुल के एक प्रख्यात ज्योतिषी मोहम्मद शरीफ ने यह भविष्यवाणी कर दी कि “मंगल का तारा पश्चिम में है, इसलिए पूर्व की ओर लड़ने वाले (मुगल) पराजित होंगे।” अत: मुगल सैनिक और भी भयाक्रान्त हो गए। तब बाबर ने अपने भयाक्रान्त सैनिकों से कहा कि, “तुम सभी मेरे शराब पीने के कारण परेशान रहते हो, यदि तुम मेरा युद्ध में साथ दोगे तो मैं कभी भी शराब नहीं पीऊंगा। ऐसा कहते हुए बाबर ने शराब के सभी पात्र मुगल सैनिकों के सामने ही तोड़ दिए।” इसके बाद बाबर ने हमेशा के लिए शराब पीना छोड़ दिया।
यह अलग बात है कि सैनिक इस पर भी राजी नहीं हुए, तत्पश्चात बाबर ने सैनिकों को कुरान की कसम दिलाई और जिहाद (धर्मयुद्ध) का नारा देकर खानवा के युद्ध में महाराणा सांगा को निर्णायक शिकस्त दी।
माजून का नशेड़ी था बाबर
ज़हीरुद्दीन मोहम्मद बाबर पादशाह ग़ाज़ी की आत्मकथा 'तुज़्क-ए-बाबरी' के मुताबिक, भारत आने के बाद उसने शराब पीना तो छोड़ दिया किन्तु वह माजून (यूनानी मिश्रण) का नशा करता रहा। बता दें कि माजून की उत्पत्ति यूनानी शब्द ‘माजौन’ से हुई है।
यूनानी माजौन में भांग, घी, विशिष्ट औषधीय जड़ी-बूटियों, शहद के साथ खसखस तथा सूखे मेवे का इस्तेमाल किया जाता है । अत: माजनू एक पारम्परिक यूनानी दवा है जो मर्दाना ताकत बढ़ाने के काम आती है। ऐसा माना जाता है कि माजून के सेवन से शारीरिक कमजोरी दूर होती है और यौन स्टेमिना में सुधार आता है।
वहीं भारतीय मादक पदार्थ माजून को भांग के पत्तों, बेल, धतूरे के बीज, खसखस, शहद और घी से तैयार किया जाता है जो हशीश और अफीम जैसा प्रभाव पैदा करता है। मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य से इतर माजून के सेवन से स्तंभन शक्ति बढ़ती है।
आखिर कितना अय्याश था बाबर
यह सच है कि मुगल हरम बादशाहों की अय्याशी का अड्डा हुआ करते थे। बादशाह अकबर, जहांगीर और शाहजहां के हरम में पांच हजार से लेकर तीन हजार तक विभिन्न नस्लों की महिलाएं हुआ करती थीं। जानकारी के लिए बता दें कि मुगल इतिहास में ‘हरम’ व्यवस्था की शुरूआत भी बादशाह बाबर ने ही की थी। 11 शादियां करने वाले बाबर के हरम में दो सौ से तीन सौ महिलाएं थीं।
‘तुज्क-ए- बाबरी’ में बाबर ने लिखा है कि “सुल्तान महमूद मिजरा (बाबर का चाचा) ने अपने हरम में सुन्दर लड़कों को रखा था। यहां तक कि उसके चारों तरफ बहुत से सुन्दर लड़के रहते थे। यह प्रथा पूरे राज्य में एक रिवाज बन गई और कुलीन लोग भी इसी विधा में मशगूल हो गए।”
ऐसा कहते हैं कि बाबर का पहले भी कई लड़कों के साथ सम्बन्ध थे परन्तु ‘तुज्क-ए-बाबरी’ में बाबर ने स्वयं लिखा है कि “उसे उर्दू बाजार में 17 साल के एक खूबसूरत लड़के से इश्क हो गया था, जिसका नाम बाबरी अंदिजानी था।” वह आगे लिखता है कि बाबरी के लिए मैं पागल हो गया था। वह जैसे ही मेरे करीब आता था, मेरी जुबान लड़खड़ाने लगती थी।
ज्यादातर इतिहासकारों ने भले ही अपने दस्तावेजों में बाबरी अंदिजानी का जिक्र बहुत कम किया है, लेकिन ‘तुज्क-ए-बाबरी’ में बाबर ने बाबरी के बारे में बिना किसी संकोच के कई बार खुलकर लिखा है। जाहिर है, मुगल बाबर में इस तरह की भावनाओं से जुड़ी कोई भी चेतना अप्राकृतिक नहीं थी। अब आप समझ गए होंगे कि बादशाह बाबर आखिर में माजून का नशा क्यों करता था।
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