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The treasure of Magadha is imprisoned in 'Son Bhandar Cave', the mysterious formula is written on th

‘सोन भंडार गुफा’ में कैद है मगध का खजाना, दीवार लिखा है स्वर्ण भंडार तक पहुंचने का रहस्यमयी सूत्र

हम आपको भारत के ​बिहार राज्य में मौजूद एक ऐसे रहस्यमयी स्वर्ण गुफा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें मगध का स्वर्ण भंडार कैद है। इस रहस्यमयी स्वर्णगुफा का वर्णन वायु पुराण से लेकर प्राचीन भारतीय इतिहास के पन्नों पर अंकित है। जी हां, बिहार सहित पूरे देश में ‘सोन भंडार गुफा’ के नाम मशहूर इस रहस्यमयी खजाने तक पहुंचने में आज तक हर कोई नाकाम रहा है, यहां तक कि ब्रिटीश शासनकाल में अंग्रेज भी इस खजाने तक पहुंचने का असंभव प्रयास कर चुके हैं।

जरासंध के अधीन कैद 80 राजाओं का खजाना

ऐसा माना जाता है कि नालंदा जिले के राजगीर में स्थित सोन भंडार गुफा में मगध वशं के दो शक्तिशाली राजवंशों का विशाल स्वर्ण भंडार छुपा है। इस सोन भंडार गुफा से जुड़े रहस्य का वर्णन वायु पुराण में भी उल्लेखित है। वायु पुराण के मुताबिक हर्यक वंश के शासन से करीब 2500 वर्ष पूर्व मगध पर शिव भक्त जरासंध का शासन था। शिव का परम भक्त जरासंध एक शक्तिशाली चक्रवर्ती सम्राट था, उसने तकरीबन 80 से अधिक राजाओं को पराजित कर उन्हें न केवल कैद कर लिया था बल्कि उनकी संपत्ति को भी अपने अधिकार में ले लिया था।

वायु पुराण में इस बात का वर्णन है कि जरासंध ने अपने अधीन राजाओं की समस्त सम्पत्ति विभारगिरि पर्वत की तलहटी में गुफा बनाकर छिपा दिया था। भगवान श्रीकृष्ण के निर्देश पर महारथी भीम ने 13 दिनों तक चले मल्ल युद्ध में जरासंध को परास्त कर उसका वध कर दिया। इस प्रकार जरासंध के वध के साथ ही गुफा में मौजूद खजाने का रहस्य हमेशा के लिए दफन हो गया।

हर्यक वंश के संस्थापक बिम्बिसार का विशाल खजाना

प्राचीन इतिहासकारों के अनुसार, राजगीर में स्थित सोन भंडार गुफा का निर्माण हर्यक वशं के संस्थापक बिम्बिसार की पत्नी ने करवाया था। इतिहासकारों का कहना है कि बिम्बिसार को सोने-चांदी से बेहद लगाव था, इसलिए वह स्वर्ण आभूषणों को एकत्र करता रहता था। बिम्बिसार की कई रानियों में से एक रानी उसकी इस पसन्द का पूरा ख्याल रखती थी। कहते हैं कि अजातशत्रु ने जब अपने पिता को कारागार में कैद कर दिया तब बिम्बिसार की पत्नी ने राजगीर के सोन भंडार गुफा में समस्त खजाने को छुपाना दिया था।

नालंदा जिले के राजगीर में स्थित है रहस्यमयी ‘सोन भंडार गुफा’

दुनियाभर के लाखों पर्यटक हर साल रहस्यमयी सोन भंडार गुफा को देखने के लिए बिहार राज्य के राजगीर में आते हैं। सभी पर्यटक सोन भंडार गुफा का दीदार करते हुए उसकी रहस्यमयी कहानी सुनकर वापस लौट जाते हैं। 

यदि सोन भंडार गुफा की बात करें तो इसमें प्रवेश करते ही 5.2 मीटर चौड़ा तथा 10.4 मीटर लंबा कमरा मौजूद है जिसकी ऊंचाई तकरीबन 1.5 मीटर है। बताया जाता है कि यह कमरा सोन भंडार गुफा में मौजूद रहस्यमयी खजाने की रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए निर्मित था। इस कमरे के दूसरी तरफ एक बड़ा कमरा मौजूद हैं जिसे चट्टान से ढका गया है, जिसे आज तक कोई खोल नहीं पाया है। खजानों से भरा यह विशाल कमरा आज तक लोगों के लिए रहस्य बना हुआ। 

सोन भंडार गुफा में मौजूद खजाने वाले रहस्यमयी कमरे को खोलने की कोशिश कितनी बार की जा चुकी है लेकिन आज तक किसी को सफलता नहीं मिली है। ब्रिटीश शासनकाल में अंग्रेजों ने इस खजाने तक पहुंचने के लिए इस पर तोप से गोले भी बरसाए थे फिर भी प्रवेश द्वार नहीं खोल पाए। बतौर उदाहरण- अंग्रेजों द्वारा दागे गए तोप के गोलों के निशान आज भी सोन भंडार गुफा में मौजूद खजाने के प्रवेश द्वार पर मौजूद है। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि मगध के इस खजाने का रहस्यमयी मार्ग वैभवगिरी पर्वत से होकर सप्तपर्णी गुफाओं तक जाता है। 

सोन गुफा भंडार की दीवार पर लिखा है खजाने का रहस्य

स्वर्ण गुफा की दीवार पर रहस्यमयी भाषा में कुछ लिखा हुआ ​जिसे आज तक कोई भी पढ़ नहीं सका है। ऐसा माना जाता है कि जो भी इस शिलालेख लेख को पढ़ने में सक्षम हो जाएगा वह खजाने तक पहुंच सकता है। बता दें कि सोन गुफा की दीवार पर लिखा रहस्य किस भाषा में है, आज तक यह रहस्य ही बना हुआ है।

राजगीर की गुफा में मौजूद हैं जैन तीर्थकरों की मूर्तियां

इतिहासकारों  के अनुसार, मगध सम्राट बिम्बिसार ने ही ‘राजगृह’ का निर्माण करवाया था, जो कालान्तर में राजगीर के नाम से विख्यात हुआ। राजगीर में सोन भंडार गुफा के अतिरिक्त अन्य गुफाएं भी मौजूद हैं जहां मौर्यकालीन कलाकृतियों तथा गुप्त राजवंश की भाषा या चिह्नों में शिलालेखों को देखा जा सकता है। प्राचीन ऐतिहासिक दस्तावेज के अनुसार इन गुफाओं का निर्माण चौथी सदी में ‘जैन मुनि’ ने करवाया था जिनमें 6 जैन धर्म तीर्थंकरों की मूर्तियां भी चट्टान में उकेरी गई हैं। इससे स्पष्ट होता है कि यह स्थान कभी जैन धर्म के अनुयायियों से रक्षित रहा है। इतना ही नहीं इन गुफाओं के बाहर भगवान विष्णु की प्रतिमा भी मिली है जिसे हिन्दू तथा बौद्ध धर्म से जोड़कर देखा जाता है।