महाराष्ट्र का शिरडी नगर दुनिया में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। शिरडी का साईं मंदिर भारत के सबसे धनी मंदिरों में तीसरे पायदान पर आता है। जबकि देश के सर्वाधिक धनी मंदिरों में पहले पायदान पर तिरूपति बालाजी मंदिर तथा दूसरे पायदान पर पद्मनाभ स्वामी मंदिर का नाम मौजूद है।
दोस्तों, महाराष्ट्र के शिरडी की पहचान साईं बाबा से है। हांलाकि साईं बाबा का जन्म कब हुआ? साईं बाबा कहां के निवासी थे? इस बारे में आज तक किसी को कुछ भी नहीं पता। हांलाकि शिरडी वाले साईं बाबा की कुछ तस्वीरें मौजूद हैं, जिनके आधार उनके प्रमाणिक इतिहास की जानकारी मिलती है।
शिरडी वाले साईं बाबा की सात दुर्लभ तस्वीरें आज भी श्रद्धालु भक्तों तथा उनके अनुयायियों के बीच चर्चा का विषय बनी रही रहती हैं। अब आपका यह सोचना भी लाजिमी है कि आखिर शिरडी वाले साईं बाबा की इन तस्वीरों को किसने और कब खींचा था? अत: इस स्टोरी में हम आपको साईं बाबा से जुड़ी उन सात तस्वीरों के बताने जा रहे हैं, जो उनके बारे में रोचक जानकारियां प्रदान करती हैं।
1. साईं बाबा की सबसे पॉपुलर तस्वीर
शिरडी वाले साईं बाबा एक ऐसी तस्वीर जो हिन्दुस्तान के तकरीबन प्रत्येक शहरों में साईं बाबा के मंदिरों में बतौर मूर्ति के रूप में नजर आती है। इतना ही नहीं, शिरडी वाले साईं बाबा के भक्तों तथा उनके अनुयायियों के घरों में साईं बाबा की इस तस्वीर को आसानी से देखा जा सकता है।

जानकारी के लिए बता दें कि शिरडी वाले साईं बाबा की इस सबसे पॉपुलर तस्वीर को मुम्बई के मशहूर फोटोग्राफर एस.एस. देवरे ने साल 1918 में खींचा था। यह साईं बाबा की पूजनीय तस्वीरों में से एक है, इस तस्वीर में साईं बाबा एक एक फकीर के रूप में बैठे हुए हैं।
इसी तस्वीर के आधार पर मूर्तिकार बालाजी वसंत तालीम ने साईं बाबा की संगमरमर की मूर्ति बनाई, जो शिरडी के समाधि मंदिर में स्थापित है। ऐसा कहते हैं, साईं बाबा ने बालाजी वसंत तालीम को स्वप्न में आकर उन्हें यह कार्य पूर्ण करने का आदेश दिया था।
सच है कि इसके बाद बालाजी वसंत तालीम ने कोई अन्य मूर्ति नहीं बनाई। बालाजी वसंत तालीम द्वारा बनाई गई इसी मूर्ति से प्ररेणा लेकर साईं बाबा की अन्य मूर्तियां देशभर के साईं मंदिरों में स्थापित हैं।
2. भिक्षा मांगते हुए साईं बाबा की तस्वीर
साईं बाबा की यह पहली तस्वीर है, जिसमें वह भिक्षा मांगते नजर आ रहे हैं। इस तस्वीर में साईं बाबा शिरडी निवासी सखाराम पाटिल और वामन राव गोंडकर के घर के बीच में खड़े हैं।

साईं बाबा प्रतिदिन शिरडी के सिर्फ पांच खास घरों (सखाराम पाटील शैलके, वामनराव गोंदकर, बय्याजी अप्पा कोते पाटील, बायजाबाई कोते पाटील और नंदराम मारवाड़ी) से ही भिक्षा मांगते थे, इससे ज्यादा नहीं।
साईं बाबा अपने पास एक कपड़े की झोली और टिन का डिब्बा रखते थे। साईं बाबा अपनी झोली में चावल, आटा आदि अनाज रखते थे जबकि टिन के डिब्बे में दूध, दही आदि जिसे वे द्वारकामाई में जरूरतमंद-गरीबों में बांटते थे।
3. धूनी माई के सामने बैठे हुए साईं बाबा
साईं बाबा की यह दूसरी तस्वीर साल 1903 की है, जिसे पूणे के फोटोग्राफर काशीनाथ गोड़े ने खींचा था। इस तस्वीर में साईं बाबा धूनी माई के सामने बैठे नजर आ रहे हैं।

शिरडी के साईं मंदिर परिसर में मौजूद धूनी माई एक पवित्र अग्नि है, जिसे साईं बाबा स्वयं प्रज्जवलित रखते थे। मान्यता है कि इससे निकलने वाली उदी (पवित्र राख) में रोग-शमन की चमत्कारी शक्तियां हैं। साथ ही इस उदी से शारीरिक व मानसिक कष्ट भी दूर होते है। यही वजह है कि साईं बाबा की उदी उनके भक्तों में वितरित की जाती है।
4. अनुयायियों के साथ साईं बाबा
साल 1903 में खींची गई एक अन्य तस्वीर भी हैं जिसमें शिरडी वाले साईं बाबा अपने अनुयायियों के साथ बैठे नजर आ रहे हैं। इस तस्वीर को अहमदनगर के गोपाल फोटो स्टूडियों के एक फोटोग्राफर ने खींचा था।

साईं बाबा अपने अनुयायियों तथा भक्तों की प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष तरीके से मदद किया करते थे। उनकी हर मनोकामना पूरी करते थे तथा समय-समय पर उन्हें जीवन-मार्ग दिखाते तथा उनकी रक्षा भी करते थे। साईं बाबा अपने अनुयायियों तथा भक्तों के साथ चमत्कार भी करते थे।
5. लेंडी बाग की तरफ जाते हुए साईं बाबा
शिरडी वाले साईं बाबा की यह चौथी तस्वीर भी खूब चर्चित है, जिसमें वह दीवार से टेक लगाए खड़े हैं। यह तस्वीर भी लोगों के घरों तथा मंदिरों में आसानी से देखी जा सकती है। यह तस्वीर साल 1906 की है, जिसे फोटोग्राफर काशीनाथ गोड़े ने खींची थी।

इस तस्वीर में साईं बाबा अपने दो प्रमुख भक्तों नाना साहिब निमोकर (दायीं ओर) तथा गोपालराव मुकुन्दराव बूटी (बाईं ओर) के बीच में खड़े हैं। यह तस्वीर शिरडी के लेंडी बाग की ओर जाते समय खींची गई थी। वर्तमान में लेंडी बाग एक उद्यान है।
कहते हैं, लेंडी बाग में साईं बाबा दिन में दो बार ध्यान करने के लिए जाते थे। लेंडी बाग को साईं बाबा ने स्वयं विकसित किया था। यह बगीचा बाबा के दैनिक जीवन का हिस्सा था जहाँ वे सुबह-शाम पौधों को पानी देते थे।
लेंडी बाग में साईं बाबा के प्रिय घोड़े श्याम सुंदर की समाधि, एक दीप गृह, एक दत्त मंदिर और बाबा द्वारा खोदा गया कुआँ स्थित है, जो भक्तों के लिए श्रद्धा का केंद्र है।
6. द्वारका माई में बैठे साईं बाबा

इस तस्वीर में शिरडी वाले साईं बाबा द्वारका माई में बैठे नजर आ रहे हैं। द्वारका माई एक जीर्ण-शीर्ण मस्जिद थी जहां साईं बाबा रहा करते थे। इस तस्वीर को साईं बाबा के एक भक्त वासुदेव सदाशिव जोशी ने खींची थी। द्वारकामाई जो कि शिरडी गाँव में साईं बाबा के समाधि मंदिर के पास स्थित है। साईं बाबा ने अपने निवास स्थान द्वारका माई को चमत्कार का केंद्र और प्रेम, शांति व विश्व बंधुत्व का प्रतीक बना दिया।
7. द्वारका माई की सीढ़ियों पर बैठे साईं बाबा
यह तस्वीर साल 1915 की है, जिसमें साईं बाबा अपने भक्तों के साथ दिखाई दे रहे हैं। यह तस्वीर उस समय की है, जब साईं बाबा द्वारका माई के सीढ़ियों पर बैठे हुए हैं। इस तस्वीर में साईं बाबा के साथ अब्दुल (मियां जान), नानावली और तात्या कोटे पाटिल दिखाई दे रहे हैं, जो साईं बाबा के सबसे वफादार और करीबी भक्त थे।

तात्या कोटे पाटिल बचपन से ही साईं बाबा की सेवा करते थे तथा उन्हें ‘मामा’ कहकर बुलाते थे। जबकि साई बाबा भी उन्हें 'मेरा तात्या' कहते थे। तात्या कोटे द्वारका माई की साफ-सफाई, पानी लाने आदि का कार्य करते थे। वहीं नानावली स्वयं को 'साईं की सेना का जनरल' कहते थे। अब्दुल भी साईं बाबा के सबसे करीबी भक्तों में से एक थे तथा बाबा की शिक्षाओं व कई चमत्कारों के साक्षी बने।
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