भोजन इतिहास

Street food Pav Bhaji has a special connection with the American Civil War

अमेरिकी गृह युद्ध से है स्ट्रीट फूड पाव भाजी का खास कनेक्शन

भारतीय की सभ्यता और संस्कृति में अनादि काल से ही गैरों को अपने में समाहित करने की परम्परा रही है। यही वजह है कि भारत ही एक मात्र ऐसा देश है, जहां दुनिया के तकरीबन सभी धर्मों के अनुयायी निवास करते हैं। अपनी सभ्यता को बरकरार रखते हुए वैदेशिक सभ्यता को दिल में जगह देने के कारण दुनियाभर की अलग-अलग चीजें यहां स्वत: ही ​खिचीं चली आईं, इनमें वस्त्र-आभूषण, स्थापत्य से लेकर खानपान त​क शामिल है।

आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश में कई विदेशी पकवान इस कदर लोकप्रिय हो चुके हैं कि यहां के अधिकांश लोग इसे स्वदेशी व्यंजन ही मानते हैं। ​बतौर उदाहरण- मशहूर डिश पाव भाजी को आज भी ज्यादातर लोग महाराष्ट्र का ही व्यंजन मानते हैं लेकिन जब आपको पता चलेगा कि पाव भाजी की जड़ें महाराष्ट्र से नहीं बल्कि अमेरिका से जुड़ी हैं तो निश्चित रूप से आप चौंक जाएंगे। तो देर किस बात की, चलिए हम आपको बताते हैं मुम्बई के मशहूर स्ट्रीट फूड पाव भाजी का रोचक इतिहास।

अमेरिकी गृह युद्ध से है पाव भाजी का कनेक्शन 

आपको जानकारी के लिए बता दें कि वर्ष 1861 ई. में अमेरिका के उत्तरी तथा दक्षिणी राज्यों के बीच आर्थिक असमानता तथा दासता के कारण आपसी संघर्ष शुरू हुआ जो तकरीबन 1865 ई. में सेनाओं के आत्मसमर्पण के साथ खत्म हुआ। इसी के साथ अमेरिका में दासता का भी अंत हो गया।

चूंकि उन दिनों अमेरिकी कपास की डिमांड दुनियाभर में थी, लेकिन सिविल वार के चलते कपास का व्यापार भी पूरी तरह से ठप्प हो चुका था। ऐसे में अमेरिकी गृह युद्ध के कारण अंग्रेजों के पास कपास आपूर्ति की कमी होने लगी। इस आपातकालीन परिस्थिति का लाभ उठाते हुए बॉम्बे कपास मिल के मालिक कावसजी नानाभाई ने दुनिया के अन्य देशों से बड़े पैमाने पर आर्डर ले​ना शुरू किया जिससे मिल के मजदूरों को दिन-रात काम पर लगना पड़ा। समय के अभाव में मिल मजदूरों को खाने तक का समय नहीं मिल पाता था। ऐसे में उन्हें खाने को कुछ ऐसा चाहिए था जो सस्ता तथा जल्दी तैयार होने वाला हो। ऐसे में मुम्बई में सड़क किनारे स्ट्रीट फूड बेचने वालों ने एक नई डिश तैयार की।

मुम्बई के स्ट्रीट फूड विक्रेताओं ने तैयार की पाव भाजी

मुम्बई के स्ट्रीट फूड विक्रेताओं ने टमाटर, आलू आदि को मिक्स कर भाजी तैयार की और ​इसे मजदूरों को बेची जाने वाली सस्ती बेकरी के साथ परोसा जाने लगा। ऐसे में यह नई डिश खाने में भी स्वादिष्ट थी और इससे मजदूरों का समय भी बचता था। पचने में भी बेहद हल्की होने की वजह से मिल में काम करते समय मजदूरों को नींद नहीं आती थी। इस प्रकार देखते ही देखते यह डिश बॉम्बे मिल के मजदूरों में बेहद पॉपुलर बन गई।

चूंकि पुर्तगाली भाषा में ब्रेड को 'पाओ' कहा जाता है, जिसे भारत में ज्यादातर लोग पाव कहते हैं। कई लोगों का मानना है कि ब्रेड का चौ​था हिस्सा होने की वजह से भी इसे पाव कहा जाता है। पुर्तगाली लोग कई सब्जियों को एक साथ मिलाकर भाजी बनाते थे और रोटी से खाते थे।

एक किस्सा यह भी है कि यूरोप की एक शाही शादी के बाद पाव भाजी पुर्तगाल से मुम्बई आई। दरअसल पुर्तगाल की राजकुमारी कैथरीन की शादी इंग्लैड के राजा चार्ल्स चार्ल्स द्वितीय से हुई, जिसके बाद पुर्तगाल ने राजा को दहेज के रूप में मुंबई दे दी।

देश के अलग-अलग हिस्सों में पाव-भाजी का स्वाद

मुम्बई की मशहूर स्ट्रीट फूड पाव भाजी देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग स्वाद लिए अपनी जायकेदार खूशबू बिखेर रही है। मुम्बई की पाव भाजी मसालेदार होती है जिसे बारीक कटे हुए प्याज और धनिया के साथ परोसा जाता है। दक्षिण भारत की पाव भाजी को करी पत्ते का तड़का लगाकर तैयार किया जाता है।  गुजरात की पाव भाजी भी बहुत मशहूर है, यह दो तरह से तैयार की जाती है, एक मसालेदार पाव भाजी और दूसरी जैन पावभाजी जो बिना लहसुन-प्याज के तैयार की जाती है। गुजरात में पाव भाजी को छाछ के साथ बड़े चाव से खाया जाता है।

देश की राजधानी दिल्ली में कुछ खास जगहें हैं, जो पाव भाजी के लिए मशहूर है। जैसे-करोल बाग, चांदनी चौक, राजौरी गार्डेन, चावड़ी बाजार, नार्थ कैम्पस दिल्ली विश्वविद्यालय। तो देर किस बात की, आप पाव भाजी को लंच, ब्रंच या फिर डिनर में कभी भी खा सकते हैं। हां, पाव भाजी सर्व करते समय बारीक कटे टमाटर-प्याज के साथ मक्खन को गार्निश करना कत्तई ना भूलें।