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Pistol was used-by Indian revolutionary during freedom movement

भारत में किस क्रांतिकारी के पास कौन सी पिस्तौल थी?

भारतीय मुक्ति संग्राम के दौरान क्रांतिकारी आतंकवाद की दो धाराएं विकसित हुईं - एक पंजाब, उत्तर प्रदेश और ​बिहार में तथा दूसरी बंगाल में। इन युवा क्रांतिकारियों ने सशस्त्र क्रांति के माध्यम से ब्रिटिश सत्ता को उखाड़ फेंकने का निर्णय लिया।

युवा क्रांतिकारियों में कुछ ऐसे प्रमुख नाम हैं जिन्होंने क्रूर एवं अत्याचारी ब्रिटिश अफसरों को अपनी गोलियों का निशाना बनाया जैसेदामोदर हरि चापेकर और बाल कृष्ण हरि चापेकर, मदनलाल ढींगरा, अनंत लक्ष्मण कान्हेरे, बाघा जतिन, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, उधम सिंह आदि।

अब आपका यह सोचना लाजिमी है कि आखिर में भारत के इन सभी क्रांतिकारियों के पास किस तरह की पिस्तौलें थीं? इस संवेदनशील प्रश्न का उत्तर जानने के लिए यह रोचक स्टोरी जरूर पढ़ें।

दामोदर हरि चापेकर और बाल कृष्ण हरि चापेकर

दामोदर हरि चापेकर और उनके भाई बाल कृष्ण हरि चापेकर ने 22 जून, 1897 की रात पुणे में आईसीएस मिस्टर रैंड और उनके सैन्य रक्षक लेफ्टिनेंट एमहर्स्ट की गोली मारकर हत्या कर दी थी। चापेकर बंधुओं ने जिस पिस्तौल का इस्तेमाल किया था, उसका सटीक विवरण उपलब्ध नहीं है, किन्तु ऐसा माना जाता है कि उन्होंने सेमी-ऑटोमैटिक पिस्तौल का इस्तेमाल किया था। तत्पश्चात ब्रिटिश सरकार ने चापेकर बन्धुओं को साल 1899 में फांसी के फन्दे पर लटका दिया।

मदनलाल ढींगरा

मदनलाल ढींगरा ने पूर्व वायसराय लॉर्ड कर्जन और बंगाल के पूर्व गवर्नर ब्रैमफील्ड फुलर की एक समारोह में हत्या करने की योजना बनाई थी किन्तु जबतक ढींगरा पहुंचे तबतक कर्जन और फुलर वहाँ से जा चुके थे।

ऐसे में मदनलाल ढींगरा ने 1 जुलाई, 1909 को लंदन स्थित इंडिया ऑफिस के राजनीतिक सहयोगी सर विलियम कर्जन वायली की गोली मारकर हत्या कर दी। कर्जन वाइली की हत्या में मदनलाल ढींगरा ने निकल-प्लेटेड कोल्ट रिवॉल्वर का इस्तेमाल किया था। इस रिवॉल्वर से ढींगरा ने पांच गोलियां चलाई थीं।

अनंत लक्ष्मण कान्हेरे

युवा क्रांतिकारी अनंत लक्ष्मण कान्हेरे ने 29 दिसंबर, 1909 ई. को नासिक के ज़िला मजिस्ट्रेट एएमटी जैक्सन की गोली मारकर हत्या कर दी थी। ज़िला मजिस्ट्रेट एएमटी जैक्सन एक थिएटर में मराठी नाटक शारदा देख रहे थे, इसी दौरान अनंत लक्ष्मण कान्हेरे ने अपनी ब्राउनिंग पिस्तौल से उसे ढेर कर दिया। जैक्सन हत्याकांड के प्रमुख अभियुक्त कन्हेरे को 19 अप्रैल 1910 को फांसी दे दी गई। 

एएमटी जैक्सन की हत्या में इस्तेमाल ब्राउनिंग पिस्तौल का संबंध वीर सावरकर से था, जिन पर इंग्लैंड से भारत में ऐसे 20 हथियार भेजने का आरोप था। वीर सावरकर की गिरफ्तारी का टेलीग्राफिक वारंट लंदन भेजा गया और सावरकर ने 13 मार्च, 1910 को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। उन्हें भारत लाया गया। इसके बाद जैक्सन की हत्या में उनकी भूमिका के चलते सावरकर को 50 वर्ष की सजा सुनाकर काला पानी भेज दिया गया।

रास बिहारी बोस और बाघा जतिन

सत्येन्द्रनाथ गंगोपाध्याय लिखते हैं कि “1930 के दशक में महान क्रान्तिकारी सूर्य सेन के नेतृत्व में अंजाम दिए गए चटगांव हथियार डकैती’ (चटगांव विद्रोह) के दौरान कम से कम एक माउजरc96 पिस्तौल का इस्तेमाल किया गया था।रास बिहारी बोस और बाघा जतिन भी एक- एक माउजरc96 पिस्तौल अपने पास रखते थे। गदर षडयंत्र के दौरान भी माउजर सी96 पिस्तौलों का ही इस्तेमाल किया गया था।

इतिहासकार सुमित सरकार लिखते हैं कि “26 अगस्त 1914 को बंगाल में क्रांतिकारियों को एक बड़ी सफलता मिली। कलकत्ता (अब कोलकाता) के रोडा फर्म से दिन के उजाले में ही क्रांतिकारियों ने एक बड़े लूट को अंजाम दिया था, इस दौरान उन्हें 50 माउजर c96 पिस्तौलें तथा 460000 कारतूस प्राप्त हुए थे।आधुनिक भारत के इतिहास में इस लूट कांड को रोडा आर्म्स डकैती के नाम से जाना जाता है। उस वक्त इस घटना को दैनिक समाचार पत्र स्टे्टसमैन ने ग्रेटेस्ट डेलाइट रॉबरी” (दिनदहाड़े सबसे बड़ी डकैती) कहा था।

रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और शचीन्द्रनाथ बख्शी

9 अगस्त 1925 ई. को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन को रोककर भारत के दस क्रांतिकारियों ने रेलवे विभाग का खजाना लूट लिया था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में यह घटना काकोरी कांड के नाम से मशहूर है। बता दें कि रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खां, शचीन्द्रनाथ बख्शी और चन्द्रशेखर आजाद ने केवल चार माउजर c96 पिस्तौलों के दम पर इस घटना को अंजाम दिया था।

बता दें कि रामप्रसाद बिस्मिल को हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के प्रमुख सदस्य प्रेमकृष्ण खन्ना ने अपनी लाइसेन्सी माउज़र पिस्तौल दी थी। काकोरी काण्ड में प्रेमकृष्ण खन्ना को केवल 5 वर्ष की सजा हुई थी। जबकि काकोरी कांड के अन्य अभियुक्तों रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खां, रोशन सिंह और राजेन्द्र लाहिड़ी को फांसी दे दी गई, वहीं चन्द्रशेखर आजाद फरार हो गए।

भगत सिंह

भगत सिंह के पास शुरूआत में माउजरc96 नामक पिस्तौल थी, किन्तु आखिरी दिनों में उनके पास .32 बोर की कोल्ट सेमी-ऑटोमेटिक पिस्तौल थी। भगत सिंह की कोल्ट पिस्टल का सीरियल नंबर 168896 था। इसी पिस्तौल से भगत सिंह ने 17 दिसंबर, 1928 को ब्रिटिश पुलिस अफसर जॉन सैंडर्स की लाहौर में हत्या की थी। भगत सिंह की य​ह पिस्तौल पंजाब पुलिस प्रशिक्षण अकादमी में तकरीबन 85 साल बाद मिली थी। अब इस पिस्तौल को पंजाब के हुसैनिवाला के म्यूज़ियम में रखा गया है।

चन्द्रशेखर आजाद

मन्मनाथ गुप्ता अपनी किताब they lived dangerously’ में लिखते हैं कि कैसे चन्द्रशेखर आजाद ने माउजरc96 पिस्तौल चलाना सीखते समय गलती से उन्हें ही गोली मार दी थी? हांलाकि 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के अल्फ्रेड पार्क में ब्रिटिश सिपाहियों से मुठभेड़ के दौरान चन्द्रशेखर आजाद के हाथों में माउजर नहीं बल्कि कोल्ट पिस्टल थी जिसे 'बमतुल बुखारा' नाम दिया था, जिसकी आवाज़ और अचूकता प्रसिद्ध थी। यद्यपि भारतीय फिल्मों में बड़े ही नाटकीय ढंग से यह साबित करने की कोशिश की गई है कि चन्द्रशेखर आजाद के हाथों में माउजर था। 

उधम सिंह

उधम सिंह ने लंदन के कैक्सटन हॉल में साल 1940 में 13 मार्च को ब्रिटिश पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ'डायर को गोली मारकर जलियांवाला बाग हत्याकांड (साल 1919)  का प्रतिशोध लिया था। जनरल माइकल ओ'डायर को मारने के लिए उधम सिंह ने स्मिथ एंड बेसन रिवॉल्वर (Smith & Wesson revolver) का इस्तेमाल किया था।

उधम सिंह ने यह रिवॉल्वर एक ब्रिटिश सिपाही से खरीदा था। उधम सिंह अपनी रिवॉल्वर को एक किताब में छिपाकर ले गए थे, दरअसल किताब के पन्ने रिवॉल्वर के आकार में काटे हुए थे। लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ'डायर के हत्या अभियुक्त  उधम सिंह को 31 जुलाई 1940 को लंदन स्थित पेंटनविले जेल में फाँसी दे दी गई।

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