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Akbar son Daniyal Mirza used to drink wine by filling it in the barrel of gun

बन्दूक की नली में शराब भरकर पीता था अकबर का यह पियक्कड़ बेटा

अकबर उस मुगल बादशाह का नाम है, जिसे प्रख्यात ब्रिटिश इतिहासकार विसेन्ट आर्थर स्मिथ ने अकबर द ग्रेट कहा है। मध्यकालीन भारतीय इतिहास में जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर कई नामों से विख्यात है, जैसे- अकबर, अकबर--आजम, शहंशाह अकबर तथा महाबली आदि।

नवरत्नों से सुशोभित अकबर के मुगल दरबार में एक से बढ़कर एक विद्वान तथा शक्तिशाली राजा उपस्थित रहते थे। परन्तु हैरानी की बात यह है कि मुगलिया हुकूमत के सबसे ताकतवर बादशाह अकबर के सभी बेटे एक से बढ़कर एक शराबी थे। इस बात को इतिहासकार एमएम बर्के अपनी किताब अकबर द ग्रेट मुग़लमें कुछ इस तरह लिखते है- “अकबर के दो बेटों मुराद और दानियाल ने शराब पी-पीकर बहुत कम उम्र में ही खुद को मौत के हवाले कर दिया। उसका तीसरा बेटा सलीम भी शराबी था।

अकबर का सबसे बेड़ा बेटा सलीम जिसे हम सभी जहांगीर के नाम से जानते हैं, वह दिनभर में 20 प्याला से अधिक शराब पीता था। जहांगीर अपनी आत्मकथा तुजुक--जहांगीरी में लिखता है कि  “जब वह शराब नहीं पीता था तो उसके हाथ-पांव कांपने लगते थे।

अकबर का दूसरा बेटा मुराद मिर्जा साल 1593 में दक्कन की हार तथा अपने 9 वर्षीय बेटे रूस्तम की मौत के सदमें से उबर नहीं पाया अत: वह शराब के नशे में रहने लगा। मुराद मिर्जा शराब की लत में इतना डूब चुका था कि उसे तमाम बीमारियों ने घेर लिया और वह 29 वर्ष की उम्र में ही अल्लाह को प्यारा हो गया।

अब हम बात करते हैं अकबर के सबसे छोटे बेटे दानियाल मिर्जा की। वह इतना पियक्कड़ था कि बन्दूक की नली में शराब भरकर पीता था। इसी वजह से दानियाल मिर्जा की भयावह मौत हुई थी। अब आपका यह सोचना बिल्कुल लाजिमी है कि आखिर में मुगल शहजादा दानियाल मिर्जा बन्दूक की नली में शराब भरकर क्यों पीता था? यह जानने के लिए इस रोचक स्टोरी को जरूर पढ़ें।

दानियाल मिर्जा का संक्षिप्त परिचय

मुगल बादशाह अकबर का सबसे छोटा बेटा था दानियाल मिर्जा, जिसका जन्म साल 1572 में 11 सितम्बर को हुआ था। बादशाह अकबर ने अजमेर के सूफी संत हजरत सैयद शेख दानियाल के नाम पर अपने सबसे छोटे बेटे का नाम दानियाल मिर्जा रखा।

अकबर ने अपने प्रिय बेटे दानियाल को पांच वर्ष की छोटी उम्र में ही 6000 का मनसब प्रदान किया था। दानियाल मिर्जा जब 12 साल का था तब उसे 7000 का मनसबदार बना दिया गया। दानियाल मिर्जा हिन्दी और फारसी में कविताएं लिखता था। दानियाल को हिन्दी गाने भी बेहन्द पसन्द थे।

दानियाल का रूप-रंग बेहद आकर्षक तथा आचरण बहुत अच्छा था। दानियाल को हाथी और घोड़े इतने प्रिय थे कि वह किसी के भी पास अच्छा हाथी या घोड़ा होने की बात सुन लेता था तो उसे प्राप्त करके ही रहता था। इसके साथ-साथ वह योग्य सेनापति भी था, उसके आगे अहमदनगर को आत्म-समर्पण करना पड़ा था। अकबर ने उसे बुरहानपुर (दक्कन) का वायसराय नियुक्त किया था।

अकबर का सबसे पियक्कड़ बेटा था दानियाल

उपरोक्त सभी योग्यताओं के बावजूद दानियाल मिर्जा की सबसे बड़ी कमी यह थी कि वह एक नम्बर का पियक्कड़ था। अकबर को जब इस बात की भनक लगी कि दानियाल मिर्जा जमकर शराब पीता है, तब उसने अब्दुल रहीम ख़ानख़ाना को फ़रमान भेजा कि शहज़ादे को शराब पीने से तत्काल रोका जाए। इसके बाद अब्दुल रहीम ख़ानख़ाना ने दानियाल पर सख्त पहरा बैठा दिया और यह आदेश जारी कर दिया कि महल में शराब की एक बूंद भी नहीं जाने पाए।

जानकारी के लिए बता दें कि ​योग्य सेनापति दानियाल को बन्दूकों का बेहद शौक था। उसने अपनी एक बन्दूक का नाम याकू-यू-जनाजा रखा था। याकू-यू-जनाजा का हिन्दी अर्थ है - ‘एक ही गोली से जनाजा निकल जाना शहज़ादा दानियाल मिर्जा शिकार का भी बेहद शौकीन था। वह अपनी बन्दूक याकू-यू-जनाजा से जानवरों का शिकार किया करता था।

बादशाह अकबर ने अपने बेटे दानियाल तक शराब की पहुंच बिल्कुल रोक करके उसकी लत को छुड़ाने का प्रयास किया। लिहाजा शराब के अभाव में दानियाल छटपटा उठा, उसने रोते हुए अपने सेवकों से कहा कि मेरी बन्दूक याकू-यू-जनाजामें शराब डालकर ले आओ।

इनाम के लालच में सेवक बन्दूक की नली में शराब भरकर दानियाल को पिलाते रहे। बाद में अब्दुल रहीम 'खान-ए-खाना' को जब इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने न केवल सेवकों को कैद कर लिया बल्कि उन्हें खूब पीटा और मार डाला। चूंकि बन्दूक याकू-यू-जनाजा की नली में जंग लगा था, अत: जंग से युक्त विषाक्त शराब पीने से दानियाल ने जल्द ही बिस्तर पकड़ लिया।

फिर क्या था, दानियाल मिर्जा बीमार होता चला गया और बीमारी के 40वें दिन 19 मार्च 1605 को 32 वर्ष की उम्र में उसकी मौत हो गई। यह सच है कि दानियाल मिर्जा अपनी जिस बन्दूक याकू-यू-जनाजा से शिकार किया करता था, उसी बन्दूक ने उसे अपना शिकार बना लिया। मुगल बादशाह अकबर भी अपने इस प्रिय बेटे के सदमें से उबर नहीं पाया और ठीक सात महीने बाद उसकी भी मौत हो गई।

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