भोजन इतिहास

The interesting history of 'Sambhar' is related to Chhatrapati Shivaji's son Sambhaji

छत्रपति शिवाजी के पुत्र संभाजी से जुड़ा है ‘सांभर’ का रोचक इतिहास ; दावे और हकीकत

दक्षिण भारत का खास व्यंजन सांभर न केवल हमारे देश के प्रत्येक राज्य में बल्कि सरहद पार भी अपने स्वाद के लिए मशहूर है। वैसे तो ज्यादातर लोग सांभर के साथ इडली को ही तरजीह देते हैं, हांलाकि कुछ लोग सांभर को भात के साथ भी बड़े चाव से खाते हैं। 

इमली, सहजन, टमाटर, हरा धनिया, पकी हुई दाल (अरहर अथवा चने की), गाजर और कद्दू को मिक्स कर, इन सभी में मसालों का छौंक लगाकर तैयार किए जाने वाले सांभर का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। अक्सर लोग इस बात पर ज्यादा चर्चा करते हैं कि आखिर सांभर शब्द की उत्पति कैसे हुई और सबसे पहले सांभर किसने तैयार किया आदि?

दोस्तों, सांभर से जुड़ी रोचक और सर्वाधिक चर्चित कहानी मराठा साम्राज्य के स्वामी छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी को लेकर है।  मराठा इतिहास के मुताबिक छत्रपति शिवाजी महाराज के सौतेले भाई व्यंकोजी तंजावुर रियासत के शासक थे। व्यंकोजी के निधन के पश्चात उनके पुत्र शाहूजी तंजावुर की गद्दी पर बैठे। बता दें कि शाहूजी लिखने-पढ़ने, ​कविताओं और कला के शौक के अतिरिक्त पाक-कला में भी विशेषज्ञ थे।

कहा जाता है कि एक बार छत्रपति संभाजी महाराज तंजावुर के दौरे पर गए। चूंकि संभाजी को मराठी व्यंजन आमटी बहुत पंसद था, इसलिए शाहूजी महाराज ने उनके स्वागत में अपने खानसामों को आमटी बनाने का आदेश दिया लेकिन संयोगवश उस दिन रसोई में मूंगदाल खत्म हो  चुकी थी और कोकम (व्यंजनों को खट्टा स्वाद लाने के लिए इस्तेमाल होने वाली चीज़) भी नहीं था, लिहाजा शाहू जी ने मूंग दाल की जगह अरहर दाल और कोकम की जगह इमली डालकर जो सब्जी तैयार करवाई वह संभाजी महाराज को इतना पसन्द आई की, शाहूजी ने इस व्यंजन का नाम संभाजी के नाम पर रखने का निर्णय लिया। तब से सांभर शब्द अस्तित्व में आया।

दोस्तों, सांभर बनाने वाले अक्सर यही कहानी दोहराते हैं, इतना ही नहीं प्रख्यात भोजन इतिहासकार पुष्पेश पंत का कहना है कि तंजावुर सरस्वती महल पुस्तकालय में मौजूद पांडुलिपियां इस कहानी का समर्थन करती हैं। मशहूर भोजन इतिहासकार के. टी अचाया भी मत है कि सांभर बनाने की शुरूआत तंजावुर से ही हुई थी।

इसके अतिरिक्त तंजावुर के मराठा शासकों के मौजूदा वंशज शिवाजी महाराज भोंसले द्वारा बीबीसी मराठी को दिए एक वक्तव्य के अनुसार, छत्रपति संभाजी तंजावुर दौरे पर गए थे, तब उन्हें दाल, सब्जियों और इमली से बना एक खास व्यंजन परोसा गया था, और तब से इस व्यंजन को सांभर कहा गया था।

ठीक इसके विपरीत खान-पान की संस्कृति पर शोध करने वाले पुणे निवासी डाक्टर चिन्मय दामले  छत्रपति संभाजी से जुड़ी सांभर की कहानी को एकसिरे से खारिज कर देते हैं। डाक्टर चिन्मय दामले के मुताबिक मराठों से पूर्व तंजावुर पर नायक राजवंश का शासन था। उस दौर की 'रघुनाथभ्युदयामु' नाम की कविता में तंजावुर के राजा रघुनाथ नायक की ज़िंदगी के प्रत्येक दिन का विवरण मिलता है। इस ​कविता में राजा को परोसे जाने वाले व्यंजनों की एक लंबी सूची मिलती है। इनमें से कुछ पकवानों में सांबारोटी और सांबर-चावल का उल्लेख मिलता है। लेकिन कोई भी ऐसा पकवान नहीं मिलता है, जो आज के दौर में खाए जाने वाले सांभर से मिलता-जुलता हो।

डाक्टर चिन्मय दामले एक अन्य तर्क का हवाला देते हुए कहते हैं कि तंजावुर शासक शाहूजी ने जिस सांभर का आविष्कार किया था, उनके द्वारा लिखि किसी भी किताब में ऐसे किसी व्यंजन का जिक्र नहीं मिलता है। हां, शाहूजी ने अपनी किताब में पोरिचाचाकुलूम्बु नाम के एक पकवान का उल्लेख जरूर किया है, जिसे अरहर की दाल, सब्जियां, इमली, करी पत्ते, हींग और मीर के चूर्ण से तैयार किया गया था। ऐसे में सांभर शब्द और शाहूजी महाराज के इस पकवान के बीच कोई ताल्लुक नजर नहीं आता है।

आज की तारीख में भारत में स्वाद के अनुरूप तकरीबन 35 से 40 तरह के सांभर बनाए जाते हैं, जिसमें कई तरह के सब्जियों का इस्तेमाल किया जाता है। यदि हम तंजावुर के सांभर की बात करें तो इसकी भी अपनी अलग रेसिपी है। तंजावुर के रसोइए जो सांभर तैयार करते हैं उसमें प्याज और लहसुन नहीं होता है और न ही यह बहुत मसालेदार होता है, जबकि शाहूजी के सांभर में इमली का इस्तेमाल किया गया था।

कर्नाटक में जो सांभर बनाया जाता है, वह गीला पेस्ट लिए और थोड़ा मीठा होता है। वहीं तमिलनाडु के क्षेत्रों में सांभर में सूखे पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें सहजन, बैंगन और भिंडी जैसी सब्जियों का मिश्रण मौजूद होता है। तमिलनाडु में सांभर को लोग कुडुल नाम से जानते हैं। वहीं केरल में सांभर बनाने के लिए सबसे पहले ताजा कसा हुआ नारियल भूना जाता है, इसके बाद मेथी के बीज, धनिया के बीज, हींग, लाल मिर्च तथा चना के साथ पीसकर उसका पेस्ट तैयार किया जाता है। खैर जो भी डोसा, हो इडली या फिर वडे इन सभी के साथ आप सांभर का जमकर स्वाद ले सकते हैं।