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muhammad ali jinnah, who created Pakistan in the name of religion, was not religious at all, know ho

धर्म के नाम पर पाकिस्तान बनाने वाले मोहम्मद अली जिन्ना धार्मिक बिल्कुल भी नहीं थे, जानिए कैसे?

पाकिस्तान के कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना का जन्म 25 दिसम्बर 1876 को कराची में हुआ था। जबकि जिन्ना का निधन 1948 में हुआ था। यह सभी जानते हैं कि जिन्ना ने अविभाजित भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी निभाई थी लेकिन एक समय के बाद वे अलगाव के हिमायती बन गए और आखिरकार देश का बंटवारा हो गया। फलस्वरूप भारत से अलग होकर पाकिस्तान नाम से अलग एक मुस्लिम राष्ट्र की स्थापना हुई।

दरअसल मोहम्मद अली जिन्ना का भी यही मानना था कि पाकिस्तान को उन्होंने ही बनाया है। इस संबंध में हुमायूं मिर्ज़ा अपनी चर्चित किताब 'फ़्रॉम प्लासी टू पाकिस्तान' में लिखते हैं, एक पाकिस्तान के रक्षा सचिव और कालान्तर में पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे इसकंदर मिर्ज़ा ने जिन्ना से कहा था कि ‘हमें मुस्लिम लीग का ध्यान रखना चाहिए जिन्होंने हमें पाकिस्तान दिया है।’ इसके तुरंत बाद जिन्ना ने जो जवाब दिया, उससे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। जिन्ना ने कहा, “कौन कहता है मुस्लिम लीग ने हमें पाकिस्तान दिया? मैंने पाकिस्तान को खड़ा किया है अपने स्टेनोग्राफ़र की मदद से।”

दोस्तों, यह बात जानकर आपको हैरान होगी कि पाकिस्तान का निर्माण इसी सिद्धांत पर हुआ था कि हिन्दू और मुसलमान एक साथ एक देश में नहीं रह सकते। लेकिन जब पाकिस्तान बन गया तो मोहम्मद अली जिन्ना को साम्प्रदायिकता का डर सताने लगा। 11 अगस्त, 1947 को दिए गए भाषण में जिन्ना ने कहा- “आप आजाद हैं। आप अपने मंदिरों में जाने के लिए आजाद हैं। आप अपनी मस्जिदों में जाने को आजाद हैं। इस मुल्क में आप अपनी इबादत की मनचाही जगह जाने को आजाद हैं। आप किसी भी धर्म के हो सकते हैं। किसी भी जाति, किसी भी संप्रदाय के हो सकते हैं। आपके मजहब का, आपकी जाति का या फिर आपके संप्रदाय का सरकार के कामकाज से कोई लेना-देना नहीं, पाकिस्तान की नजर में उसका हर नागरिक बराबर है।” कहा जाता है कि ​जिन्ना के इस भाषण के बाद पाकिस्तान के मौलवी-मुल्ला सदमें में आ गए। इन सभी कटटर धार्मिक नेताओं का कहना था कि जब यही करना था तो फिर पाकिस्तान क्यों बनाया?

पाकिस्तान के इतिहासकार मुबारक अली ने बीबीसी से बातचीत के दौरान कहा कि भले ही मोहम्मद अली जिन्ना धार्मिक नहीं थे लेकिन उनमें पर्सनल इगो बहुत ज्यादा था। मोहम्मद अली जिन्ना इमाम को फॉलो नहीं करना चाहते थे इसीलिए उन्होंने खुद को शिया बना लिया था। बता दें कि जिन्ना इस्माइली से शिया सिर्फ इसलिए बन गए थे क्योंकि इस्माइली 6 इमामों को मानते हैं जबकि शिया 12 इमामों को मानते हैं।

- पूरा पाकिस्तान जानता है कि मोहम्मद अली जिन्ना शराब पीते थे और सूअर का मांस खाते थे। भारतीय सिनेमा के मशहूर संगीतकार जावेद अख्तर ने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना पर कटाक्ष करते हुए ​कहा है कि एक हाथ में शराब और दूसरे हाथ में सूअर का मांस, जिन्ना कहते थे ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’  (अल्लाह के अलावा कोई भगवान नहीं) और इस्लाम के बारे में ​बस इतना ही जानते थे।

एक ज़माने में जिन्ना के असिस्टेंट रहे और बाद में भारत के विदेश मंत्री बने मोहम्मद करीम छागला अपनी आत्मकथा 'रोज़ेज़ इन दिसंबर' में लिखते हैं, 'एक बार मैंने और जिन्ना ने तय किया कि हमलोग बंबई के मशहूर रेस्तराँ 'कॉर्नेग्लियाज़' में जा कर खाना खाएंगे। तब जिन्ना ने दो कप कॉफ़ी, पेस्ट्री और सुअर के सॉसेज मंगाए।’

मोहम्मद अली जिन्ना सिगरेट और चिरूट के आदी थे। जिन्ना रोजाना करीब 50 सिगरेट पीते थे। क्रैवन ए. उनका पसंदीदा सिगरेट ब्रैंड था। इतना ही नहीं जिन्ना के पास बेहतरीन किस्म के क्यूबन सिगार भी होते थे, जिनकी सुगंध से उनका कमरा हमेशा महकता रहता था। ऐसे में आप खुद सोचिए क्या यह इस्लाम में जायज है।

- मशहूर इतिहासकार हरबंश मुखिया के अनुसार जिन्ना ने कभी कुरान नहीं पढ़ा था। निजी जीवन में उनके लिए धर्म का कोई विशेष महत्व नहीं था। बतौर उदाहरण 14 अगस्त 1947 को जिस दिन पाकिस्तान बना तब रमजान का महीना चल रहा था। उस दिन जिन्ना ने कहा ग्रैंड लंच होना चाहिए। लोगों ने कहा कि रमजान का महीना है, कैसे लंच आयोजन करेंगे? अब आप समझ गए होंगे कि जिन्ना कितने धार्मिक इंसान थे।

- मोहम्मद अली जिन्ना ने खुद से 24 साल छोटी एक पारसी लड़की रति से शादी कर ली। बता दें कि रति के पिता दिनशा पेटिट मुम्बई के एक अमीर पारसी कारोबारी थे। उस दौर में रति का नाम मुंबई की सबसे खूबसूरत लड़कियों में हुआ करता था। इस प्रकार इस्लाम के खिलाफ जिन्ना ने अंतरजातीय विवाह किया था।

- सन 1939 में मोहम्मद अली जिन्ना ने दिल्ली के 10 औरंगज़ेब रोड (अब एपीजे अब्दुल कलाम रोड) पर एक बंगला खरीदा। करीब डेढ़ एकड़ में बने इस दो मंजिले बंगले का डिजाइन एडवर्ड लुटियन की टीम के सदस्य और कनाट प्लेस के डिजाइनर रॉबर्ट रसेल ने तैयार किया था। पाकिस्तान जाने से पहले जिन्ना ने इस बंगले को अपने खास दोस्त सेठ रामकृष्ण डालमिया को करीब ढाई लाख रूपए में बेच दिया।

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जिन्ना के दिल्ली छोड़ते ही डालमिया ने सबसे पहले बंगले के उपर से मुस्लिम लीग के झंडे को उतरवाया और उसकी जगह गौरक्षा आंदोलन का झंडा लगवाया। इतना ही नहीं पूरे बंगले को गंगाजल से धुलवाया। अब आप समझ गए होंगे कि इस्लाम की पैरवी करने वाले पाकिस्तान के कायदे आजम जिन्ना की एक कट्टर हिन्दू नेता से कितनी गहरी छनती थी।

- कहते हैं जिन्ना ने केवल अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए इस्लाम के नाम का इस्तेमाल किया। जिन्ना ने कभी कुरान नहीं पढ़ी। अगर पढ़ी भी हो तो उन्होंने कभी पाबंदी से पांच वक्त की नमाज तक नहीं पढ़ी। मशहूर लेखक ख़ालिद लतीफ़ गौबा ने एक बार मोहम्मद अली जिन्ना को एक मस्जिद में नमाज़ पढ़ने के लिए आमंत्रित किया। मस्जिद में पहुंचने के बाद जिन्ना ने गौबा से कहा कि  'मुझे नहीं पता कि नमाज़ किस तरह पढ़ी जाती है।' फिर खालिद लतीफ गौबा ने जवाब दिया, 'आप वही करिए जो दूसरे वहाँ कर रहे हैं।'